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शान्ति में विश्राम | मृत्यु के बाद क्या होता है?

एक प्रिय जन की मृत्यु लाती है हृदय पीड़ा, दुःख, एक दूसरे मौके की लालसा, और अक्सर . . . प्रश्न.

किसी के भी जीवन में इस अति संवेदनशील दुःख के समय में, मस्तिष्क उत्तर चाहता है.

कब्रिस्तान“क्या यही सब कुछ है?”

“क्या वह हमेशा ले लिए चली गई?”

“उसका अब क्या हो रहा है?”

“वह कहाँ है?”

“निश्चय मेरा बेबी अब स्वर्ग में है... वह है ना?”

“काश मैं निश्चित होता!”

“मैं यह विचार भी सहन नहीं कर सकती कि वो नरक में दुःख झेल रहा है!”

“कैसा ईश्वर है जो लोगों को जलाता है?”

“क्या वो वहाँ ऊपर है मुझे देख रही है? हर समय ?”

“यहाँ तक की जब मैं . . . मैं निश्चित नहीं हूँ कि मैं हर समय देखे जाने के विचार को पसंद करूं!”

एक प्रेमी स्वर्गीय पिता जानता है उसके सांसारिक बच्चों के पास ऐसे प्रश्न होंगे. धर्मशास्त्र में, उसने प्रत्येक ह्रदय पीड़ित आत्मा के लिए उत्तर दिया हुआ है. बहुत से लोगों को यह सिखाया जाता है कि उनकी अनश्वर आत्मा जीवित रहती है. जबकि, बाइबल दो सिद्धान्तों को स्थापित करती है जो शैतान के इस छल को प्रगट करते हैं.

१ तीमुथियुस ६:१६ बताता है की केवल यहुवाह “अमरता केवल उसी [यहुवाह] की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा और न कभी देख सकता है.”

बाइबल सिखाती है, “इसलिए जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा.” (यहेजकेल १८:४)

धर्मशास्त्र स्पष्ट रूप से बताते जाता है:

“निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है.” (१ राजा ८:४६)

“इसलिए कि सबने पाप किया है और [यहुवाह] की महिमा से रहित हैं.” (रोमियो ३:२३)

मृत्यु प्रत्येक मनुष्य का भाग है, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य ने पाप किया है. सृष्टिकर्ता, जिसके प्रेमी ह्रदय ने कभी यह नहीं चाहा की उसके बच्चे पाप में दुःख झेलें, उसी ने मृत्यु के समय क्या होता है की सभी शंकाओं को दूर कर दिया.आदमी कब्रिस्तान में बैठेएक “आत्मा” कोई देह मुक्त जीव नहीं है जो चारों तरफ तैर रहा है. आदि में, यहुवाह ने “आदम को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया और आदम जीवित प्राणी बन गया.” (उत्त्पति २:७) एक “आत्मा” एक साधारण देह मुक्त जीव नहीं हो सकता क्योंकि इसके पास आत्मा को बनाने के लिए दोनों एक शरीर और जीवन की श्वास होती है.

“क्योंकि अब तक मेरी साँस बराबर आती है, और यहुवाह का आत्मा मेरे नथुनों में बना है.” (अय्यूब २७:३)

मृत्यु के बाद चेतना नहीं होती.

“तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उसमे उद्धार करने की भी शक्ति नहीं. उसका भी प्राण निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन [उसकी मृत्यु के दिन] उसकी सब कल्पनाएँ नष्ट हो जाएँगी.” (भजन १४६:३,४)

वे सभी जो धर्मशास्त्र के स्पष्ट व्याख्यानों को अनदेखी करते हैं की मृत्यु के बाद कोई चेतना नहीं है वे अपने आप को संकट में डालते हैं. इस विश्वास के साथ चिपके रहना की मृत्यु के बाद जीवन है, एक व्यक्ति को प्रेतों के द्वारा छले जाने के लिए खुला निमंत्रण है. आत्माओं से बातचीत करना दुष्ट दूतों द्वारा एक मृतक प्रिय जन का रूप लेने से अधिक और कुछ नहीं है. इस व्यवहार की बाइबल में तीव्र निंदा की गई है.

धर्मशास्त्र में स्वर्गीय पिता के चरित्र का बड़े ही सारगर्भित ढंग से निष्कर्ष निकाला गया है. १ यहुन्ना ४:८ बताता है कि यहुवाह सर्वथा और सम्पूर्ण रूप से प्रेम है. पूर्ण प्रेम किसी को एकमात्र जीवन काल में किये गये पापों के लिए अनन्त काल तक जलाए जाने की दण्ड आज्ञा नहीं देता.

“पाप की मजदूरी तो मृत्यु है.” (रोमियों ६:२३)

पाप के लिए दण्ड मृत्यु है नाकि अनन्त काल के जीवन की पीड़ा.

“क्योंकि जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे, परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते, और न उनको कुछ और बदला मिल सकता है, क्योंकि उनका स्मरण मिट गया है.” (सभोपदेशक ९:५)

यहाँ तक की मृत्यु में भी प्रेमी स्वर्गीय पिता का प्यार लगातार चमकते रहता है. धर्मशास्त्र मृत्यु को नींद से कुछ अधिक नहीं प्रगट करता है. जब मुक्तिदाता याइर के घर आया, जिसकी लड़की अभी मरी थी, उसने प्रोत्साहित किया, “लड़की मरी नहीं पर सोती है.” किराये के रोने वाले उसका मतलब नहीं समझे और “उसकी हँसी” करने लगे. (देखिये मत्ती ९:२४)

ओपन बाइबिल

एक ईमानदार बाइबल के छात्र के समान, धर्मशास्त्र के अध्ययन के समय हमे हमेशा साक्ष्य के महत्व को स्वीकार करना चाहिए. व्याख्यान और प्रथाओं ने बहुतों को मृतक की दशा की गलत समझ की ओर अग्रसर किया है.  

यहाँ तक कि चेले भी यह जानकर भौचच्के थे की मृत्यु सृष्टिकर्ता के लिए केवल “नींद” है. जब लाजर मर गया, यहुशुआ ने अपने चेलों से कहा, “हमारा मित्र लाजरस सो गया है, परन्तु मैं जाता हूँ कि उसे जगा सकूँ.”  चेले समझ नहीं सके कि लाजरस मर गया है. उन्होंने कहा, “यदि सो गया है तो वह स्वस्थ हो जाएगा.” जबकि यहुशुआ उसकी मृत्यु के बारे में कह रहा था, परन्तु वे सोच रहे थे कि वह नींद में किये जा रहे विश्राम के बारे में कह रहा है. तब यहुशुआ ने उनसे साफ-साफ कह दिया, “लाजरस मर गया है.” (देखिये यहुन्ना ११:११-१४) जब आदम और हव्वा ने पाप किया, उनके प्रेमी पिता ने दुःख

पूर्वक बताया कि उनके जीवन का नया भाग क्या होने वाला है:

“और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है; तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा. (उत्पत्ति ३:१९)

जब एक व्यक्ति मरता है, जीवन की श्वास सृष्टिकर्ता के पास लौट जाति है और शरीर मिट्टी में वापस चला जाता है जहाँ से वह बनाया गया था. बुद्धिमान राजा सुलैमान ने अपने जीवन के अन्त के समय सभी को यह शिक्षा दी:

“अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख,

इससे पहले की विपत्ति के दिन [वृद्धावस्था] आये,

और वे वर्ष नजदीक आएँ, जिनमें तू कहे, “कि मन इनमे नहीं लगता,

अपने सृष्टिकर्ता का स्मरण कर इससे पहले कि चाँदी का तार दो टुकड़े हो जाए. . .

तब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी.

और आत्मा सृष्टिकर्ता के पास जिसने उसे दिया लौट जाएगी.” (सभोपदेशक १२:१, ६-७)

विचारों का अन्त हो जाता है और आत्मा नींद में चली जाती है जब शरीर मर जाता है श्वास सृष्टिकर्ता के पास लौट जाती है.

“क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होता; अधोलोक में कौन तेरा धन्यवाद करगा?” (भजन ६:५)

“मृतक चुपचाप पड़े रहते हैं वे तो [यहुवाह] की स्तुति नहीं कर सकते.” (भजन ११५:१७)

दूसरा Yahushua के आ रहा हैउन सभी के लिए जो मुक्तिदाता से प्रेम करते हैं, मृत्यु एक नींद है—उनके परिश्रम से एक विश्राम जबकि वे जीवन देने वाले की बाट जोहते रहते हैं कि वह वापस आये और उन्हें वापस जीवन में उठाए. जब यहुशुआ दूसरी बार आएगा, वह उन सभी को जो उस विश्वास करते हुए मरे हैं उन्हें वापस जिलाएगा. तब वे जो पुनर्जीवित हो चुके हैं और साथ ही साथ धर्मी जो अभी जीवित हैं उसके साथ स्वर्ग ले जाए जाएँगे.

जैसा कि प्रेरित पौलुस ने थिस्लुनिकियो को प्रोत्साहित किया:

“हे भाइयों हम नहीं चाहते कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञानी रहो; ऐसा न हो कि तुम दूसरों के समान शोक करो जिन्हें आशा नहीं. क्योंकि यदि हम विश्वास करते हैं कि यहुशुआ मरा और जी भी उठा, तो वैसे ही यहुवाह उन्हें भी जो यहुशुआ में सो गये हैं उसी के साथ ले जाएगा. क्योंकि हम यहुवाह के वचन के अनुसार तुमसे यह कहते हैं कि हम जो जीवित हैं और यहुशुआ के आने तक बचे रहेंगे, सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे. क्योंकि यहुशुआ आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और यहुवाह की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे: तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे कि हवा में मुक्तिदाता से मिलें; और इस रीति से हम सदा यहुशुआ के साथ रहेंगे. इस प्रकार इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो. (देखिये १ थिस्लुनिकियो ४:१३-१८)”

अनश्वरता दान है जो यहुशुआ अपने दूसरे आगमन पर उन सभी को जो उससे प्रेम रखते और भरोसा रखते को देता है.

“क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु [यहुवाह] का वरदान हमारे [यहुशुआ हमारे उद्धारकर्ता] में अनन्त जीवन है.” (रोमियो ६:२३)

उन सभी को जो दूसरे आगमन तक जीवित रहेंगे यह बताते हुए पौलुस बताता है:

“देखो, मैं तुमसे भेद की बात कहता हूँ: हम सब नहीं सोयेंगे, परन्तु सब बदल जाएँगे, और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा. क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे और हम बदल जाएँगे. क्योंकि अवश्य है कि यह नाशवान देह अमरता को पहन ले.” (१ कुरन्थियो १५:३१-५३)”

वे सभी जो सृष्टिकर्ता से प्रेम और उस पर भरोसा रखते उन्हें मृत्यु से डरने का आवश्यकता नहीं. यहुवाह ने वाचा बाँधी है:

आनन्द महिला“मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूँगा और मृत्यु से छुटकारा दूँगा. हे मृत्यु तेरी मारने की शक्ति कहाँ रही? हे अधोलोक तेरी नष्ट करने की शक्ति कहाँ रही?” (होशे १३:१४)

उस आनन्द के दिन में, प्रत्येक नई अनश्वरता पाये लोगों की जुबान पर यह गीत होगा:

“हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ?

हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रही?”

(१ कुरन्थियो १५:५५)

किसी भी वस्तु के डर से बहुत दूर, मृत्यु एक विश्राम है जो प्रेमी पिता अपने थके हुए बच्चे को देता है, जो दूसरे आगमन की बाट जोह रहे हैं जहाँ “हम कभी अलग नहीं होंगे.”