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उद्धार व्यक्तिगत उपहार है: समूह उपहार नहीं

उद्धार एक उपहार है, लेकिन उस उपहार को प्रत्येक व्यक्ति अपने लिए स्वीकार करना होगा। कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के लिए उद्धार स्वीकार नहीं कर सकता; कोई किसी और के लिए समर्पण नहीं कर सकता।

विमान चालककिसी पति और पत्नी के बीच ठीक से संपर्क न होना विवाद पैदा करने से ज्यादा हो सकती है। इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। २०११ में, सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर विमान चालक और हवाई यातायात नियंत्रकों द्वारा दुनिया भर में उपयोग की जाने वाली भाषा के रूप में अंग्रेजी को अपनाया गया था। हालांकि, डॉ डामिनिक ऐस्टिवॉल, एक आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय के भाषाविद जोकि विमान चालक और प्राशिक्षक भी हैं, इनके अनुसार, ठीक से संपर्क न होने के कारण से विमान दुर्घटनाओं में २००० से अधिक लोगों की मृत्यु सन् १९७० से हुई है।1

जितना दुखद इसके परिणाम हैं, कई लोग फिर भी, अनजाने में, एक ऐसी ही गलती - अपने आत्मिक ज़िंदगी में कर रहे हैं। वे अपनी उद्धार की जिम्मेदारी अपने प्रचारक, या आत्मीय गुरुओं को सौंप रहे हैं।

अनुरूपता के लिए प्रतिबद्ध

यह अनजाने में शुरू होता है। एक छोटी बच्ची को उसके माँ-बाप द्वारा सिखाई जाती है कि यीशु उससे प्यार करता है। एक युवा को उसके परिवार के विशेष संस्था के सिद्धांतों के खास स्कूल में निर्देश दिया जाता है। बचपन से ही, उन्हें क्या विश्वास करना सिखाया जाता है, लेकिन सच्चाई को खुद के लिए ढूँढना की जिम्मेदारी नहीं सिखाया जाता है। यही उनके आगे के ज़िंदगी में भी लागू होता है। हर रविवार या शनिवार को, दुनिया के अधिक्तर २४० करोड ईसाई चर्च जाते हैं, अपने पुजारी, पास्टरो पर यह भरोसा करते हुए कि वे उन्हें बताऐंगे कि बचाये जाने के लिए उन्हें क्या जानना चाहिए।

समस्या यह है कि वे अपनी व्यक्तिगत, आत्मीय उद्धार की ज़िम्मेदारी को किसी दूसरे को सौंप रहे हैं। कई पादरी, प्रचारक याहुवाह से प्यार तो करते हैं, लेकिन उनका पहली निष्ठा उस संस्था संगठन को है जो उनको वेतन देते हैं। इस प्रकार, कई लोग सत्य को अस्वीकार कर देते हैं जब वह सत्य उनके संस्थाओं के सिद्धांतों का खंडन करता है।

यहुन्ना ने घोषित किया: तब मुझे एक अन्य शब्द सुनाई दिया: “ ‘मेरी प्रजा उस नगरी से बाहर निकल आओ कि तुम,’ उसके पापों में उसके सहभागी न बनो कि, उसकी विपत्तियां तुम पर न आ पड़ें। उसके पापों का ढेर स्वर्ग तक आ पहुंचा है। परमेश्वर ने उसके अधर्मों को याद किया है। (प्रकाशित वाक्य १८:४-५; सरल हिन्दी बाइबिल)। यह गंभीर आदेश सब के लिए है। कोई भी एक समुदाय छूटा नहीं है।

व्यक्ति

उद्धार एक व्यक्ति की व्यक्तिगत मामला है

नबी यहेजकेल के द्वारा, याहुवाह ने एक व्यक्ति के व्यक्तिगत आत्मीय जिम्मेदारी को किसी और के हाथों में सौंपने के खतरों के बारे में गंभीर चेतावनी दी थी।

तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, “हे मनुष्य के सन्तान, जब किसी देश के लोग मुझ से विश्‍वासघात करके पापी हो जाएँ, और मैं अपना हाथ उस देश के विरुद्ध बढ़ाकर उसका अन्नरूपी आधार दूर करूँ, और उसमें अकाल डालकर उसमें से मनुष्य और पशु दोनों का नाश करूँ, तब चाहे उस में नूह, दानिय्येल, और अय्यूब ये तीनों पुरुष हों, तौभी वे अपने धर्म के द्वारा केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे;’ याहुवाह एलोआह की यही वाणी है।

यदि मैं किसी देश में दुष्‍ट जन्तु भेजूँ जो उसको निर्जन करके उजाड़ डालें, और जन्तुओं के कारण कोई उसमें होकर न जाए, तो चाहे उसमें वे तीन पुरुष हों, तौभी , याहुवाह एलोआह की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न वे पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, वे ही अकेले बचेंगे; परन्तु देश उजाड़ हो जाएगा।

यदि मैं उस देश पर तलवार खींचकर कहूँ, ‘हे तलवार उस देश में चल;’ और इस रीति मैं उस में से मनुष्य और पशु नष्‍ट करूँ, तब चाहे उसमें वे तीन पुरुष भी हों, तौभी याहुवाह एलोआह की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न तो वे पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, वे ही अकेले बचेंगे।

यदि मैं उस देश में मरी फैलाऊँ और उस पर अपनी जलजलाहट भड़काकर उसका लहू ऐसा बहाऊँ कि वहाँ के मनुष्य और पशु दोनों नष्‍ट हों, तो चाहे नूह, दानिय्येल और अय्यूब भी उसमें हों, तौभी, याहुवाह एलोआह की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, वे न पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, अपने धर्म के द्वारा वे केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे। (यहेजकेल १४:१२-२०; HINDI-BSI)

एक व्यक्ति दूसरे के लिए आत्मसमर्पण नहीं कर सकता है। उद्धार एक उपहार है, लेकिन उस उपहार को प्रत्येक व्यक्ति अपने लिए स्वीकार करना होगा। एक पति अपने पत्नी के लिए उद्धार स्वीकार नहीं कर सकता; एक बड़े बच्चे के लिए उसके माँ-बाप उद्धार स्वीकार नहीं कर सकते। और न ही एक प्रचारक किसी के लिए भी उद्धार स्वीकार नहीं कर सकता सिवाय उस प्रत्येक व्यक्ति के।

गुरुओं का खतरा

धार्मिक गुरु

गुरु, हिंदू धर्म के निजी धार्मिक नेता हैं। दुःख की बात है, कि कई मसीही अपने प्रचारक को निजी गुरु के तौर पर बदल देते हैं। वे नई सच्चाई को एक खुले मन से स्वीकार करने को इनकार करते हैं। वे मान लेते हैं, कि अगर उन्हें कुछ और जानने की जरूरत हो, तो उनके गुरु उन्हें बता देंगें। अगर उनके धार्मिक नेता किसी नई बात को नकारते हैं, तो, वे भी उस बात को बिना खुद पढ़े नकारते हैं। यही खतरा है, किसी और पर भरोसा करने का, कि वे आपके लिए तय करें कि क्या सच है।

अपने प्रचारक (पाॅस्टर) को अपना आत्मीय गुरु बनाना, आपको याहुवाह के सामने इस जिम्मेदारी से छूट नहीं देता कि आप खुद के लिए अध्ययन न करें। आप बाइबिल अध्यापकों, प्रचारकों, पाॅस्टरों, इमाम, गुरुओं या रब्बी पर निर्भर नहीं हो सकते आपको यह कहने के लिए कि क्या यकीन करना है और क्या नहीं। आपको खुद के लिए पढ़ना होगा।

जब आप, अपने आप के लिए पढ़ते हैं, तो याहुवाह की आत्मा आपका अध्यापक बनेगा। याहुशुआ ने अपने मृत्यु से पहले कहा: “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आने वाली बातें तुम्हें बताएगा।” (यहून्ना १६:१२-१३; HINDI-BSI)

जब याहुवाह की आत्मा आपका अध्यापक है तो आप सच में इतना दृढ़ रहेंगे कि आपको कोई भ्रमित नहीं कर सकता। आप विश्वास में बहुत दृढ़ होंगे, परिणाम स्वरूप, शैतान के अंत-समय के धोखों से आप सुरक्षित रहेंगे। लेकिन अगर आप कुछ विश्वास करते हैं क्योंकि किसी ने आपको बताया क्या विश्वास करना है, तो आप कमजोर रहेंगे। कोई भी दूसरा व्यक्ति आ सकता है, और अगर वह वाकपटुता में निपुण हुआ तो वह आपके विश्वासों को बदल सकता है।

खुद के लिए पढ़ें!

व्यक्ति प्रार्थना कते हुएशैतान लोगों को खुद के लिए पढ़ने से डराता है। वो उन्हें बताता है कि बाइबिल समझना कठिन है और बड़े विद्वान जिनके पास कई डिग्री है, सिर्फ वे समझ सकते हैं। लेकिन यह झूठ है! बाइबिल साधारण मानव के लिए लिखा गया था!

पौलुस ने तीमुथियुस को प्रोत्साहित किया: "अपने आप को याहुवाह का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।" (२ तीमुथियुस २:१५; HINDI-BSI) उसने दुनिया के सबसे उत्तम शिक्षक को ढूँढने के लिए, या किसी प्रचारक के चरणों में बैठने के लिए नहीं कहा।

यशायह के द्वारा, याहुवाह ने एक अद्भुत आमंत्रण को बढ़ा दिया: "आओ, हम आपस में वाद-विवाद करें" (यशायाह १:१८; HHBD) यह याहुवाह की प्रतिज्ञा है कि, सत्य समझने के लिए आपको किसी भी तरह की प्रमाण या सबूत की आवश्यकता हो, तो, वह आपको प्रदान करेगा।

अपने उद्धार को किसी और को न सौंपें, न ही आपके प्रचारक, या पास्टर को, या अपने पति या पत्नी को।

उद्धार एक उपहार है जिसे आप खुद अपने लिए स्वीकार करना होगा।


1विमान चालकों और हवाई यातायात नियंत्रकों के बीच गलत संचार के घातक परिणाम।,” retrieved १२-०८-२०१९।