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क्यों बाइबिल पढ़ना महत्वपूर्ण है

यह एक गैर-WLC लेख है। बाहरी लेखकों के संसाधनों का उपयोग करते समय, हम केवल उस सामग्री को प्रकाशित करते हैं जो बाइबिल और WLC के वर्तमान बाइबिल विश्वासों के साथ १००% मेल खाते हैं। तो इस तरह के लेखों को सीधे WLC के तरफ से आने जैसे माना जा सकता है। याहुवाह के बहुत से सेवकों की सेवकाई से हमें बहुत आशीष मिली है। लेकिन हम अपने सदस्यों को इन लेखकों द्वारा लिखी गई अन्य लेखों को पढ़ने की सलाह नहीं देते हैं। ऐसे लेखों को हमने अपने प्रकाशनों से बाहर रखा है क्योंकि उनमें त्रुटियां हैं। दुख की बात है कि हमें अभी तक ऐसा संस्था नहीं मिला है जो त्रुटि रहित हो। यदि आप गैर-WLC के प्रकाशित सामग्री [लेख/एपिसोड] से चौंकते हैं, तो नीतिवचन ४:१८ को ध्यान में रखें। उसके सत्य के बारे में हमारी समझ बढ़ रही है, जैसे-जैसे हमारे मार्ग पर अधिक प्रकाश पड़ता है। हम जीवन से भी अधिक सत्य से प्रेम रखते हैं, और जहाँ कहीं भी वह मिलता है, उसकी खोज करते हैं।

क्यों बाइबिल अध्यायन करना महत्वपूर्ण है

क्या आपने कभी अपने माँ-बाप से पुछा कि वो जो कर रहें हैं, क्यों करते हैं? और बदले में उनका जवाब, "यह परंपरा है" रहा हो? उदाहरण के लिए यह कहानी को ही ले लीजिए: एक छोटी सी बच्ची अपनी माँ को खाना पकाते देख रही थी। उसकी माँ ब्रेड के सिरों को काट कर तल रही थी। वो छोटी बच्ची अपनी माँ से पुछी, "आपने ब्रेड कि सिरों को क्यों काट दिया?" और बदले में उस बच्ची को जो जवाब मिला, वह उस से संतुष्ट नहीं थी। उसकी माँ ने कहा, " मैं नहीं जानती, मेरी माँ ऐसा ही बनाती थी, और मैं उनसे ऐसे ही सीखी।" तो वो छोटी बच्ची अपनी नानी के पास गई और पुछी कि उन्होंने क्यों ऐसा किया? उसकी नानी ने उसे जवाब में कहा कि वो भी नहीं जानती, उनकी माँ से उन्होंने ऐसा ही सीखा है। छोटी बच्ची, निराश हुए, अपने परनानी के पास गई और पुछी, "अपने क्यों ब्रेड के सिरों को काट दिया?" तो जवाब में उसकी परनानी ने कहा, "मेरे ब्रेड के सिरे सुखे हुए थे, इसलिए तलने से पहले उन्हें काटती थी।"

रसोईघर में तीन पीढीयाँ

इसका बाइबिल के साथ क्या संबंध है? सीधी सी बात है। आज मसीही भी यही काम करते हैं। मसीही, आज, "पारंपारीक मसीही" को गिर गए हैं; बड़े नाम पर आधार होना; एक ऐसी परिस्थिति जहाँ लोग जो भी उनसे कहा जाता है बिना पवित्रशास्त्र से तुलना किए, मान लेते हैं। यह भयानक है। आपको क्या लगता है, कि कैसे प्लेटो, लूथर और अगुस्टीन ने धर्म पर इतना प्रभाव डाल पाए? लोगों ने जो सुना था उसे पवित्रशास्त्र के साथ सिद्ध नहीं किया। वे निष्क्रिय और बेवकूफ थे, और, कह सकते, आलसी भी थे!

महिला बाइबिल के साथअगर हम पवित्रशास्त्र का अध्ययन नहीं करते, तो हम शैतान के धोखे में गिर जाएँगे जो हमारे साम्हने रखे हैं। शैतान, इस युग का भगवान, के अपने तरीके हैं धोखा देने के लिए। और मसीही विश्वास के लोगों के संबंध में उसका बडा अस्त्र परंपरा है। बीज बोने वाला के दृष्टान्त में (मत्ती १३, लूका ८) हमें बताया गया है कि शैतान उन पर हमला करता है जो रास्ते के किनारे पर गिरे हुए हैं, और उद्धार के वचन को उनमें से ले जाता, ताकि वे सुसमाचार पर विश्वास न कर पाएँ, जिस प्रकार से याहुशुआ ने शिक्षा दी है। (देखिए लूका ८:१२)। सच में, शैतान का मुख्य उद्यश्य है कि वह याहुशुआ को उनके शिक्षा से अलग करें। हमें हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए, और जो हमें सीखाया जा रहा उसे पवित्रशात्र से तुलना (मिलाकर देखना) करना चाहिए!

प्रेरितों के काम १७:११ में, हम लोगों की एक समूह के बारे में पढते हैं, बिरीया के लोग, जो प्रतिदिन पवित्र शास्‍त्रों में ढूँढ़ते रहे कि जो बातें पालुस सिखा रहा था, सच है कि नहीं। हालांकि, बिरीया के लोग, पौलुस को गलत साबित करने कि उद्देश्य से पढ़ रहे थे, लेकिन उनकी सच्ची मेहनत और पौलुस की सच्चाई, उन सब का विश्वासी होने में परिणाम हुआ।

कौन से भ्रम चर्च में अब तक अपना रास्ता बना लिए? स्वर्ग एक ऐसी जगह है जो शरीर से अलग हुए आत्माओं के लिए है। बाइबिल में, कहीं भी यह नहीं कहता, जब हम मर जाते, स्वर्ग को जाएँगे। अब्राहाम [अब्राहम], इसहाक, याकूब, और दाऊद को स्वर्ग में बादल या कुर्सी या कोई पद वादा नहीं किया गया बल्कि, यहाँ, धरती पर, राज्य, जमीन, वारिस, और राज्याधिकार का वादा किया गया है। (मत्ती ५:५, प्राकाशितवाक्य ५:१०) याहुवाह ने उनके साथ वाचा बनाया कि उनका राज्य हमेशा पावित्रशास्त्र साझा करनाके लिए स्थापित होगा और नई पृथ्वी में उनका अपना जमीन होगा। हालाँकि, विशिष्ट "अच्छा महसूस" करने वाली संदेश अब इस विषय को शामिल नहीं करता है, क्योंकि किसी को यह बताना आसान है कि जब वे मरेंगे तो वे कब्र (शीओल) में सोने के बजाय स्वर्ग जाएंगे जब तक कि मसीह वापस नहीं आ जाता। इस सीधी-सी कथन "क्योंकि जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे, परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते. . ." (सभोपदेशक 9:5 HINDI-BSI) से आँख बंद कर लेना आसान है और यह विश्वास करने के लिए चुनना आसान है कि मरे हुए स्वर्ग या नरक में पूरी तरह से अभिज्ञ है। यह आसान है क्योंकि यह पारंपारिक है।

और यह भी कहना कि याहुवाह तीन है, अनर्थक है! कहाँ हम बाइबिल में पढ़ते हैं कि याहुवाह तीन व्यक्तियाँ हैं? कहीं भी नहीं। लेकिन ऐसे कई वचन हैं जो कहते हैं, कि याहुशुआ, याहुवाह का पुत्र है। यहुन्ना ३:१६ में हमें यह सीखाया जाता है कि वह [याहुवाह] जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया। व्यवस्थाविवरण ६:४ (HINDI-BSI) कहता है: “हे इस्राएल, सुन, याहुवाह हमारा एलोआह है, याहुवाह एक ही है।" इसलिए याहुवाह दो या तीन नहीं हो सकता। याहुवाह एक ही है और वह याहुशुआ के द्वारा हम में काम करता है।

१ कुरुन्थियों १५:३-४ सुसमाचार को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण वचन हैं। लेकिन, यह वचन उन कई दूसरे वचनों से अलग नहीं किया जाना चाहिए जो सुसमाचार को परिभाषित करते हैं। पौलुस "पहले महत्व" होने वाले तीन चीजों को सूचीबद्ध कर रहा था। और पौलुस निश्चय ही राज्य को सुसमाचार से निकाल कर अलग नहीं कर रहा था। लूका ४:४३ में याहुशुआ हमें बताते हैं कि उन्हें क्यों बेजा गया है: सब को राज्य का सुसमाचार प्रचार करने के लिए (मत्ती २८: १९,२०) मसीही आज नज़र अंदाज कर रहे जो याहुशुआ ने लूका ४:४३ में बताया था। चर्च में राज्य का विषय को ज्यादा एहमीयत नहीं दी जाती । परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार को खुशी से प्रचार करने पर ध्यान देने के बजाय, मसीही, लोगों को सिर्फ यह बताने पर ध्यान देते हैं कि याहुशुआ का मृत्यु हुआ और वह फिर से जी उठा।

यह सीधी सी बात है कि याहुवाह सिर्फ क्रूस पर मरने के लिए नहीं भेजा गया, जैसे हम सन्डे स्कूल या चर्च में से सीखे हैं। बल्कि वह तो याहुवाह के राज्य का सुसमाचार सब को बोलने के लिए भेजा गया था (मार्कुस १: १४,१५), ताकि हम पछताकर, समझकर और विश्वास करते हुए तैयार रहें। याहुशुआ पहले बहुत समय तक प्रचार किए थे, बाद में उनके राज्य के सुसमाचार के संदेश में उनकी मृत्यु और उनका पुनुरुथान के बारे में अधिक जानकारी भी शामिल किया (मत्ती १६;२१) ।

अगर हम मसीह के अनुयायी बनना चाहते हैं, क्या हम भी वही संदेश को सीखाना नहीं चाहिए जिसे याहुशुआ ने लगातार सुसमाचार को प्रचार करने के कार्य में लगा हुआ था?

इस मुख्य विषय के बारे में और जानने के लिए WLC की कन्टेन्ट डैराक्ट्री पर जाएँ : त्रीत्व (मत-संबंधी त्रटि)


यह WLC के द्वारा लिखी हुई आलेख नहीं है। यह आलेख मिरींडा बाल्डविन द्वारा लिखी गई है।

हमने मूल लेख से पिता और पुत्र के सभी मूर्तिपूजक नाम और शीर्षक निकाल दी हैं, साथ ही साथ पवित्रशास्त्र के वचनों में भी, उनके असली नामों को वापस बहाल किए हैं। - WLC टीम।