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याहुशुआ : मेरे लिए उसका जीवन

ब्रह्माण्ड थमी हुई साँस के साथ इंतजार कर रही थी। यह एक ऐसा आपत्ति थी जिसका किसी ने कभी कल्पना नहीं की थी। नुकसान के लिए क्षमता असीम थी। इससे पहले कभी भी इस परिमाण का संकट नहीं था। याहुवाह क्या करेंगे? याहुवाह क्या कर सकते थे?

आदम और हव्वा का चित्र काँच परजब शैतान ने आदम और हव्वा को पाप में ले चला, तो यह कोई अचानक से किया गया कार्य नहीं था। यह दिव्य सरकार के निंव के विरुद्ध की गई एक सोची-समझी साजिश थी। दाँव पर दिव्य व्यवस्था थी, जिस पर सृष्टि के सभी प्राणियों की खुशी आधारित थी। दिव्य व्यवस्था दिव्य चरित्र का प्रतिलेख था। पाप ने याहुवाह के भले चरित्र पर सवाल उठाया जो हमेशा से प्रेम ही है: “हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है...क्योंकि परमेश्‍वर प्रेम है।” (१ यूहन्ना ४:७-८)

शैतान का विश्वास ​​था कि उसने याहुवाह को एक असंभव स्थिति में फंसा लिया था। दिव्य व्यवस्था ने सभी अपराधों के लिए सजा के रूप में मृत्यु की घोषणा की। अगर आदम और हव्वा पाप करने के बाद जीवन के वृक्ष का फल खा लिए होता तो, शैतान, अमर पापियों के होने के अस्तित्व से जीत जाता, और याहुवाह झूठे साबित होते। दूसरी ओर, अगर याहुवाह दोषी जोड़े को मौत के साथ दंडित करते, तो शैतान उनको प्रतिहिंसक और कठोर के रूप में चित्रित करता। लेकिन अगर याहुवाह उस जोडे को बिना सजा के माफ करते, तो शैतान दावा कर सकता था कि याहुवाह झूठे थे - अपनी व्यवस्था बदलने के लिए।

गंभीर संकट के इस समय में, याहुवाह ने अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया और दिव्य चरित्र की पहले से ही अज्ञात विशेषता के साथ शैतान को आश्चर्यचकित किया। याहुवाह ने आदम और हव्वा की ओर अनुग्रह बढ़ाया। इस बात से शैतान आश्चर्यचकित हुआ। उसे अनुग्रह समझ नहीं आया।

अनुग्रह है… “अयोग्य [अपात्रों] के लिए परमेश्वर की मुफ्त मे दी गई प्रेम और कृपा….” (नूह वेबस्टर, अमेरिकन अंग्रेज़ी भाषा की शब्दकोश, १८२८)

इस से पहले कोई भी मनुष्य पाप नहीं किया था, इसलिए किसी को अनुग्रह की आवश्यकता नहीं हुई। यह एक अज्ञात गुण थी।

जब पाप की भयानक आपातकाल स्थिति का सामना करना पड़ा, तब याहुवाह ने अयोग्य, नाहक पाप में गिरी हुई मनुष्य जाती के लिए क्षमा बढ़ा दिया साथ ही साथ उन्होंने खरी दिव्य व्यवस्था को नहीं बदला। उसने अपने पुत्र के जीवन को दोषी व्यक्ति के स्थान पर मरने का वचन दिया। क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु [याहुवाह]. . . का वरदान है हमारे मसीह . . . [याहुशुआ] में शाश्‍वत जीवन। (रोमियों ६:२३) पवित्र बाइबिलCL-(BSI)

निकेदिमुस को इस अद्भुत, कानूनी, लेन-देन को समझाते हुए, उद्धारकर्ता ने बताया: “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए। परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि जगत पर दंड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। (यूहन्ना ३:१६-१७)

उनके पुत्र के जीवन के बलिदान के द्वारा, याहुवाह घोषणा कर सका. . . “कि . . .अपनी धार्मिकता प्रकट करें कि वह स्वयं को तथा उसे धर्मी घोषित करें, जिसका विश्वास याहुशुआ में है।” (देखिए रोमियों ३:२६, सरल हिन्दी बाइबिल) व्यवस्था बदली नहीं जा सकती क्योंकि. . . “ व्यवस्था पवित्र है और आज्ञा पवित्र, धर्मी और भली है।”(रोमियों ७:१२, सरल हिन्दी बाइबिल) खड़ी रहेगी परंतु पापीयों को आज्ञाकारिता और जीवन, या विद्रोह और मृत्यु को चुनने का दूसरा मौका दिया गया था। उन्हें चुनाव करने का एक दूसरा मौका इसलिए दिया गया क्योंकि व्यवस्था की आवश्यकता को याहुशुआ की मृत्यु में पूरा किया गया था।

याहुशुआ की खाली चरनीअनुग्रह के इस दिव्य व्यवहार के दूरगामी महत्त्व को पौलुस ने पूरी तरह से समझ लिया जब उसने लिखा:

उसकी बलिदानी मृत्यु के द्वारा अब हम अपने पापों से छुटकारे का आनन्द ले रहे हैं। उसके सम्पन्न अनुग्रह के कारण हमें हमारे पापों की क्षमा मिलती है। अपने उसी प्रेम के अनुसार जिसे वह मसीह के द्वारा हम पर प्रकट करना चाहता था। उसने हमें अपनी इच्छा के रहस्य को बताया है। जैसा कि मसीह के द्वारा वह हमें दिखाना चाहता था। परमेश्वर की यह योजना थी कि उचित समय आने पर स्वर्ग की और पृथ्वी पर की सभी वस्तुओं को मसीह में एकत्र करे। (इफिसियों १:७-१०;ERV-HI)

निश्चय ही सब इस बात से सहमत होंगे की याहुवाह प्रेममयी थे जब उन्होंने पापियों को क्षमा किया था। लेकिन पौलुस यह बता रहा था कि याहुवाह ज्ञानी और बुद्धिमान थे!

बहुमूल्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विवेकपूर्ण सलाह और सलाह देने में सावधानी बरतना और उन्हें चुनने में और समझने में बुद्धि का प्रयोग करना चतुराई है। चतुराई इस बात में बुद्धि से अलग है कि, चतुराई बुद्धि की तुलना में अधिक सावधानी आरक्षित करता है,या जो अच्छा है उसे संकल्प करने और लागू करने के तुलना में बुराई से बचने के लिए पूर्वाभास का अधिक अभ्यास किया जाता है। (नूह वेबस्टर शब्दकोश, १८२८)

पौलुस कह सका था कि याहुवाह बुद्धिमान और विवेकपूर्ण थे क्योंकि, वह समझ गया कि उद्धार की योजना हमेशा से दिव्य व्यवस्था को पवित्र और अपरिवर्तनीय रूप में स्थापित किया है, साथ ही साथ खोई हुई जाति को भी बचा रहा है। यह जटिल लेकिन सर्वव्यापी योजना मानव जाति के उद्धारकर्ता को हर आदम के पुत्र और पुत्री को बड़ा भाई और उद्धारकर्ता दोनों ही बनने का बुसृलावा देती है। “ यह इसलिए कि जिनके विषय में परमेश्वर को पहले से ज्ञान था, उन्हें परमेश्वर ने अपने पुत्र मसीह येशु के स्वरूप में हो जाने के लिए पहले से ठहरा दिया था कि मसीह येशु अनेक भाइयों में पहलौठे हो जाएँ।” (रोमियों ८:२९, सरल हिन्दी बाइबिल)

छोटी बहन बड़े भाई को गले लगा रही है।याहुशुआ उद्धारकर्ता हैं, विशेष रूप से इस तथ्य से कि उसकी मृत्यु ही थी जो याहुवाह को न सिर्फ न्यायी ठहराया बल्कि पापियों को भी धर्मी ठहराया। ये सत्य हर उस जगह में प्रचार होते हैं जहाँ कहीं मसीह का प्रचार होता है। जो बात कम समझी जाती है, वो यह है कि हमारे उद्धार के कप्तान हमारे बड़े भाई भी हैं।

हमारे बड़े भाई के रूप में याहुशुआ ने हमें पापरहित जीवन जीने कि एक उदाहरण दी है। यह एक शक्तिशाली सत्य है जो शैतान ने कई झूठों से छुपाने की कोशिश की है। इन सभी झूठों में से सबसे व्यापक फैला हुआ झूठ यह है: ये विश्वास करना कि याहुशुआ ने आदम का पाप में गिरने से पहले के स्वभाव को खुद पर ले लिया है। यह एक समस्या है, क्योंकि आदम के गिरने से पहले का उसकी स्वभाव उसके पाप करने के बाद की स्वभाव से भिन्न था। अगर याहुशुआ ने आदम के गिरने से पहले के उसकी स्वभाव को लिया होता, तो वह वास्तव में बड़ा भाई और हमारे लिए उदाहरण नहीं हो सकता क्योंकि उनको हमारे ऊपर एक फायदा होगा। यह शैतान के मूल आरोपों का समर्थन करता है जोकि याहुवाह को अप्रेमी और अन्यायी दिखाता है।

याहुशुआ हमारे स्वभाव में थे। उन्होंने वो सब अनुभव किया जो आदम के किसी भी बच्चे को भुगतना पड़ता है। इस तथ्य को मुख्य कारण के रूप में पौलुस ने प्रोत्साहित किया की हमारे उद्धारकर्ता के रूप में उन पर विश्वास करें!

इसलिए कि वह, जो आकाशमण्डल में से होकर पहुँच गए, जब वह महायाजक—परमेश्वर-पुत्र, मसीह येशु—हमारी ओर हैं; हम अपने विश्वास में स्थिर बने रहें। वह ऐसे महायाजक नहीं हैं, जो हमारी दुर्बलताओं में सहानुभूति न रख सकें परन्तु वह ऐसे महायाजक हैं, जो हरेक पक्ष में हमारे समान ही परखे गए फिर भी निष्पाप ही रहे; इसलिए हम अनुग्रह के सिंहासन के सामने निड़र होकर जाएँ कि हमें ज़रूरत के अवसर पर कृपा तथा अनुग्रह प्राप्त हो। (इब्रानियों ४:१४-१६)

यदि उद्धारकर्ता का स्वभाव हमारे समान नहीं होता, तो वह हमारे लिए उदाहरण नहीं हो सकते थे। इसके साथ, उद्धार की पूरी योजना नष्ट हो जाती यदि याहुशुआ आदम के गिरने से पहले के स्वभाव को ले लिया होता, क्योंकि कोई भी तब तक मृत्यु का पात्र नहीं होता जब तक वह गिरे हुए स्वभाव में नहीं होता।यह सच कि याहुशुआ “जो हर एक पक्ष में हमारे समान ही परखे गए फिर भी निष्पाप ही रहे;” सब को प्रोत्साहित करता है कि हम भी जयवंत हो सकते जिस प्रकार से हमारे मसीह जयवंत हुए। पाप और शैतान की लड़ाई में याहुशुआ की निरंतर जीत का रहस्य उसके पिता की शक्ति पर उसकी लगातार निर्भरता में पाया गया।: “मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता।” (यूहन्ना ५:३०) । अपना सब कुछ याहुवाह को सौंपने के वजह से, याहुशुआ को एक पापरहित जीवन जीने के लिए शक्ति दी गई और उसी तरह जय प्राप्त की जैसे सब जय प्राप्त करते हैं। उसने ऐसी कोई भी शक्ति का प्रयोग नहीं किया जो हम विश्वास के द्वारा नहीं कर सकते। अगर किसी भी तरह, याहुशुआ को उन लोगों के मुकाबले ज्यादा लाभ मिलता, जिन्हें वो बचाने आए थे, तो शैतान के आरोप की याहुवाह अन्यायी हैं, सच साबित होता।

पवित्रशास्त्र स्पष्ट रूप से प्रसतुत करता है कि याहुवाह न्यायी और अनुग्रही हैं:

किन्तु यदि कोई डींग मारना ही चाहता है तो उसे इन चीज़ों की डींग मारने दो:

“उसे इस बात की डींग मारने दो कि वह मुझे समझता और जानता है।
उसे इस बात की डींग हाँकने दो कि वह यह समझता है कि मैं यहोवा हूँ।
उसे इस बात की हवा बांधने दो कि मैं कृपालु और न्यायी हूँ।
उसे इस बात का ढींढोरा पीटने दो कि मैं पृथ्वी पर अच्छे काम करता हूँ।
मुझे इन कामों को करने से प्रेम है।”
यह सन्देश यहोवा का है। (यिर्मयाह ९:२३, २४; ERV-HI)

याहुवाह के पुत्र से जो अपेक्षा की गई है उस से भी ज्यादा मानव जाती से करना न्याय नहीं होगा।.न ही ये पूर्ण दया होगी कि अपराधियों को उस तरह के उच्च मानक तक न पहुँचने के लिए उन्हें दण्डित की जाए जब तक कि सभी को विजय मुफ्त में न दी गई हो। उद्धार की योजना दिव्य सरकार के खिलाफ शैतान के सारे आरोपों को शांत करता है। “निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है. . .करूणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है।” (भजन संहिता ८५:९&१०, HHBD)

आज बहुत मसीही ये विश्वास करते हैं कि वो पाप करेंगे और दूसरे आगमन तक पाप करते रहेंगे। यह शैतान द्वारा रची गई झूठ है। पवित्रशास्त्र के आख़िरी पुस्तक में एक गंभीर चेतावनी है, जो सभी को ध्यान देनी चाहिए: “देखो, मैं शीघ्र ही आ रहा हूँ और अपने साथ तुम्हारे लिए प्रतिफल ला रहा हूँ। जिसने जैसे कर्म किये हैं, मैं उन्हें उसके अनुसार ही दूँगा।” (प्रकाशितवाक्य २२:१२, ERV-HI)

दूसरी आगमन के समय में और कोई दूसरा मौका नहीं मिलेगा। जब याहुशुआ आएँगे तो वो हर इन्सान के काम के अनुसार बदला देने के लिए प्रतिफल अपने साथ लाएँगे। यही समय है अपनी ज़िंदगी सुधारने का। अभी जब अनुग्रह मिल रही है, यही समय है याहुवाह को अपना ज़िंदगी समर्पित करने का। और हर पाप पर विजय प्राप्त करने के लिए उनकी मदद स्वीकार करें। उनकी प्रेममयी निमंत्रण आज भी खुला हुआ: “अथवा यदि वे मेरी छत्र-छाया में शरण लेना चाहें तो वे मेरे साथ शांति स्थापित करें। वे मुझसे मेल-मिलाप करें।” (यशायाह २७:५, HINDICL-BSI)

याहुवाह आप के हर चीज से वाक़िफ़ है आपके सपने, आपकी इच्छाएँ, आपकी समस्याएँ, आपकी कमज़ोरियाँ, आपके गुप्त पाप जो कोई और नहीं जानता - फिर भी वो आपसे प्रेम करते हैं। “जिन्हें हमें हिसाब देना है, उनकी दृष्टि से कोई भी प्राणी छिपा नहीं है—सभी वस्तुएं उनके सामने साफ़ और खुली हुई हैं ।” (इब्रानीयों ४:१३, SHB)

याहुवाह प्रेम हैं। याहुवाह न्यायी हैं। न्यायी और करूणामय परम पिता होने के नाते, आपने बच्चों से जो धरती से संबंध रखते हैं, उनसे असंभव की अपेक्षा नहीं करता। वो जानते हैं कि आपको विरासत में मिली पाप करने की प्रवृत्ति पर अपने बल से जय नहीं प्राप्त कर सकते। यहीं पर कई सारे लोग असफल हो जाते हैं। जब वे लोग पहले बार मसीही बने थे, तो तब उन्होंने पिछले पापों के लिए विश्वास के साथ याहुवाह की क्षमा को स्वीकार किया था। लेकिन दैनिक जीवन में निरंतर विजय प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं क्योंकि वे अचानक से ऐसा जीना शुरू करते देते हैं कि जीत उन पर निर्भर है। यह उन पर निर्भर नहीं हैं। जो लोग पाप पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने इच्छा शक्ति पर निर्भर होते उन लोगों को असफलता ही मिलेगी।

पाप पर वीजयी प्राप्त करने का रहस्य फिल्लीप्पी ४:१३ में दर्ज है: “जो मुझे सामर्थ प्रदान करते हैं, उनमें मैं सब कुछ करने में सक्षम हूँ।” (सरल हिन्दी बाइबिल)। पाप के बाद आदम की प्रवृत्ति को अपने उपर लेने के बाद भी याहुशुआ एक परिपूण जीवन जीते हुए शरीर में पाप को दण्डित किया। इस प्रकार, उन्होंने उन सभी के लिए जीत सुनिश्चित किया जो विश्वास से उनकी जीत को अपना लेते हैं।

यह सही ही था कि परमेश्वर, जिनके लिए तथा जिनके द्वारा हर एक वस्तु का अस्तित्व है, अनेक सन्तानों को महिमा में प्रवेश कराने के द्वारा उनके उद्धारकर्ता को दुःख उठाने के द्वारा सिद्ध बनाएँ। जो पवित्र करते हैं तथा वे सभी, जो पवित्र किए जा रहे हैं, दोनों एक ही पिता की सन्तान हैं। यही कारण है कि वह उन्हें भाई कहते हुए लज्जित नहीं होते।

क्योंकि संतान माँस और लहू युक्त थी इसलिए वह भी उनकी इस मनुष्यता में सहभागी हो गया ताकि अपनी मृत्यु के द्वारा वह उसे अर्थात् शैतान को नष्ट कर सके जिसके पास मारने की शक्ति है। और उन व्यक्तियों को मुक्त कर ले जिनका समूचा जीवन मृत्यु के प्रति अपने भय के कारण दासता में बीता है। क्योंकि यह निश्चित है कि वह स्वर्गदूतों की नहीं बल्कि इब्राहीम के वंशजों की सहायता करता है। इसलिए उसे हर प्रकार से उसके भाईयों के जैसा बनाया गया ताकि वह परमेश्वर की सेवा में दयालु और विश्वसनीय महायाजक बन सके। और लोगों को उनके पापों की क्षमा दिलाने के लिए बलि दे सके। क्योंकि उसने स्वयं उस समय, जब उसकी परीक्षा ली जा रही थी, यातनाएँ भोगी हैं। इसलिए जिनकी परीक्षा ली जा रही है, वह उनकी सहायता करने में समर्थ है।

संपूर्ण और पूरी मदद उन सभी को प्रदान की जाएगी जो अपना सब कुछ उनके सृष्टिकर्ता के हाथ में सौंपते हैं। यिर्मयाह में एक खूबसूरत वादा उन सब के लिए है जो विश्वास के द्वारा पाप पर याहुशुआ की जीत को अपनाते हैं: “परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। (यिर्मयाह ३१:३३, ERV-HI )

याहुवाह को उनके वचन पर लिजिए। आज ही उस उद्धार को स्वीकार करना चुने जो उन्होंने आपके लिए उपलब्ध किया है।“विश्वासी व्यक्ति के लिए सब कुछ संभव है।” (मारकुस ९:२३, ERV-HI)

लड़की विश्वास से उपर की ओर देख रही।