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यहुशुआ की धार्मिकता : पापियों की एकमात्र आशा

बाइबल के बहुत से गम्भीर वचनों में से एक वचन है जबकि यहुशुआ यह घोषणा करता है:

“ जो अन्याय करता है वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है ; वह पवित्र बना रहे.” (प्रकाशितवाक्य २२:११).

यह पवित्र वचन यह प्रगट करता है कि एक ऐसा समय आएगा जब सब कुछ समाप्त हो जाएगा . यहुवह ने सभी को परिवीक्षा की अवधि दी जिसमे सभी यह प्रदर्शित कर सकते है की उस महान विवाद में वे किस ओर खड़े हैं . तौभी समय आता है कि परिवीक्षा समाप्त हो जाए. यह दूसरे आगमन के थोड़ा पहले होगा क्योंकि इससे अगला वचन बताता है कि :

“देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है”, (प्रकाशितवाक्य २२:१२).

जब यहुशुआ स्वर्ग के बादलों पर अपनी बाट जोह रहे लोगों को लेने आएगा वह अपने साथ उनका प्रतिफल लेकर आएगा . अत: इस समय के पहले तक सभी ने जीवन और मृत्यु के बारे में अपनी पसन्द के अनुसार चुनाव कर लिया होगा और यह चुनाव अन्तिम होगा .

“ जो अन्यायी है अन्यायी बना रहे , जो अपवित्र है वह अपवित्र बना रहे .....

यदि परिवीक्ष की अवधि समाप्त होने तक आपके पाप इसलिए क्षमा नहीं हुए क्योंकि वे अस्वीकृत और अंगीकार नहीं किये गए है तब आपने शैतान का पक्ष चुन लिया है .

“ वह जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है ; वह पवित्र बना रहे.”

young contemplative man holding Bibleदूसरी ओर यदि आप अपने आप को अपने उद्धारकर्ता के नजदीक ले जाते हो, सारी बातों में अपने आप को उसकी इच्छा पर समर्पित करते हो, यदि आप पवित्रता को प्राप्त कर रहे हो, अपने जीवन को ईश्वरीय इच्छा के अनुरूप लाने का प्रयास कर रहे हो, तब पवित्रता को पाने के लिये इससे अधिक और कोई जरूरत नहीं है . जब यहुशुआ अपना महायाजकीय सेंसर उन्डेलेगा तब अटल दंड की आज्ञा की घोषणा करेगा . आप अपने उद्धारकर्ता के साथ अमरत्व के अनवरत चक्र में हमेशा बने रहेंगे और भविष्य में कोई प्रलोभन उसके प्रति आपकी निष्ठा को प्रभावित न कर पायेगा .

कोई निश्चित रूप से यह नहीं जानता की परिवीक्षा कब समाप्त होगी . दूसरे आगमन के दिन और घंटे के समान यह वह ज्ञान है जिसे पिता ने गुप्त रखना ही चुना है .

“उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता” . (मरकुस १३:३२) जबकि निश्चितता से यह कहना सम्भव नहीं है की परिवीक्षा की अवधि कब समाप्त होगी,साथ ही ठीक ठीक यह भी कहा नहीं जा सकता कि यहुशुआ कब आने वाला है , समय प्रत्येक वर्ष कम हो रहा है. गुप्त बातें सिर्फ यहुवह हमारे एलोहीम में ही निहित है “..परन्तु जो प्रगट की गई हैं वे सदा के लिये हमारे और हमारे वंश के वश में रहेंगी, इसलिये कि इस व्यवस्था की सब बातें पूरी की जाएँ” . (व्यवस्थाविवरण२९:२९)

यहुवह के वार्षिक पर्ब इसलिये दिये गए की वे उद्धार की बृहत और व्यापक योजना को बताएं . प्रायश्चित के दिन पर किया गया कार्य इस प्रकार का कार्य था जोकि परिवीक्षा की अवधि के बाद सभी पर अनन्तकाल के लिये उनके अपने चुनाव के अनुसार कि वे यहुवह या शैतान में से वे किसकी आज्ञापालन  सेवा और उपासना करेंगे मुहर लगा दी जाएगी. पूरे वर्ष में प्रायश्चित का दिन परिवीक्षा के समाप्ति के समान एक पवित्र दिन था . इसके दस दिन आगे से इस महान और महत्वपूर्ण दिन के लिये आत्ममन्थन, पश्चाताप किया जाता था . यह तुरहियों के पर्ब के बाद पहले दिन से प्रायश्चित के दिन के दस दिन पूर्व तक किया जाता था .

“ तुम लोगों के लिये यह सदा की विधि होगी कि सातवें महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने जीव को दुःख देना, और उस दिन चाहे कोई, चाहे वह तुम्हारे निज देश का हो चाहे तुम्हारे बीच रहने वाला कोई परदेशी हो, कोई भी किसी प्रकार का कामकाज न करे; क्योंकि उस दिन तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्चित किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहुवह के सन्मुख पवित्र ठहरोगे. यह तुम्हारे लिये परम विश्राम का दिन ठहरे, और तुम उस दिन अपने अपने जीव को दुःख देना यह सदा कि विधि है”. (लैव्यव्स्था १६:२९-३१).

ह्रदय की तैयारी परम आवश्यक थी. वे सभी जो इस आत्ममंथन और पश्चाताप के कार्य में भाग नहीं लेते थे उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था.

“इसलिये जो प्राणी उस दिन दुःख न दे वह अपने लोगों में से नष्ट किया जाएगा. और जो प्राणी उस दिन किसी प्रकार का कामकाज करे उस प्राणी को मैं उसके लोगों के बीच में से नष्ट कर दूंगा”. (लैव्यव्स्था २३:२९-३०).

इसका कारण यह था कि प्रायश्चित का दिन एक इतना गम्भीरता पूर्ण दिन था कि उस दिन स्वर्ग भी पास आकर सारी महानतम आशीषों को प्रदान करता था: पूर्णतया पापों से क्षमा और पुनरुध्दार. प्रायश्चित के दिन वे जिनके लिये प्रायश्चित हो चुका है उनके पाप मिटा दिये जाते थे. स्वर्ग के लेखे-जोखे में इस प्रकार उनके पापों का मिटाया जाना धर्मशास्त्रानुसार कार्य से कहीं अधिक था. विशेष-रुचिकर पाप जिनके लिये वे संघर्ष कर रहे थे और जो उनके लिये लगातार ठोकर का कारण थे उनके मष्तिस्क से मिटाये गए. वे वापस ऐसे स्थान पर ला दिये गये जहाँ थे मानो उन्होंने उस पाप को किया ही न हो. प्रायश्चित के दिन उस बलिदान किये हुए मेमने के लहू द्वारा उनके पाप ढँक गए और वे यहुवह के सामने ऐसे पाए गए जैसे कभी पाप ही न किया हो. यही है जो स्वर्ग आपसे परिवीक्षा समाप्त होने के पहले चाहता है.

यहुशुआ, यहुवह का पापरहित पुत्र “.. यह यहुवह का मेमना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है”(यहुन्ना १:२९) जिस प्रकार कि प्राचीन इस्राएलीयों के पाप मेमने के लहू के द्वारा ढँक जाते थे, यहुशुआ का लहू जो लोग पश्चाताप कर उसके पास विश्वास के साथ आते है ढँक लेता है. उसकी धार्मिकता उनकी दुर्बलताओं को ढँक लेती है और वे यहुवह के सामने ऐसे पाए जाते है मानो उन्होंने कभी पाप नहीं किया हो. विश्वास के द्वारा धार्मिकता ही ऐसी धार्मिकता है जैसे कि धर्मशास्त्र बताता है:

“कोई धर्मी नहीं एक भी नहीं” (रोमियों ३:१०)

“हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से है, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चीथड़ों के समान हैं...(यशायाह ६४:६).

पापी होने के कारण यह सम्भव नहीं है कि हम अपने आप को धर्मी बना सकें. हम सब यही कर सकते हैं कि विश्वास से यहुशुआ कि धार्मिकता को मांगें. प्रायश्चित के दिन के पहले पेन्तिकुस्त का पर्ब था. smiling farmer standing in the rainपेन्तिकुस्त के दिन चेलों पर पवित्र आत्मा उन्डेला गया था ताकि वे संसार में सुसमाचार को ले जा सकें.  इसे “पहली वर्षा” के रूप में संदर्भित किया गया है. मसीही लोग बहुत दिनों से पेन्तिकुस्त के उस अनुभव की बाट जोह रहे थे, जब फिर एक बार यहुवह का आत्मा सामर्थ के साथ “पिछली वर्षा” के रूप में उन सभी इच्छुक लोगों पर उन्डेला जाएगा की वे ग्रहण करें. यह समझना आवश्यक है कि पिछली वर्षा जीवन से पापों को मिटाने के लिये नहीं दी जाएगी. पहली वर्षा के समान, यह भी सुसमाचार को फ़ैलाने, और पापियों के लिये पश्चाताप करने और बचाए जाने के लिये अन्तिम बुलाहट कि लिये दी जाएगी. केवल वे जो जागरूक होकर ईश्वरीय नियमों का आज्ञापालन कर रहे है ही इस शक्तिशाली ईश्वरीय शक्ति प्रवाह को ग्रहण कर सकेंगे. यह कभी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं दी जाएगी जो अशुद्ध और अपने ज्ञात पुराने पापों के साथ जुड़ा हुआ है.

अब यह सही समय है कि लौदिकिया की कलीसिया के समान प्रार्थना करें और विश्वास से ग्रहण करें कि सच्ची गवाही का सन्देश आप पर लागू होता है. सब लोग “अभागा और तुच्छ और कंगाल और अंधा और नंगा हैं”. सब यह सोचते हैं कि उनके पास “सब कुछ है, उन्हें कुछ आवश्यकता नहीं”, सब लोग अपने अच्छे कामों कि ओर देखते है और सोचते है कि उनकी दशा लौदिकिया की कलीसिया के समान नहीं है. इस लक्षण की सबसे बुरी बात यह है कि सब “आत्मिक रूप से अन्धे हैं. (देखिये प्रकाशितवाक्य ३:१७).

लौदिकिया की कलीसिया के समान सबको उपचार कि आवश्यकता है.

“इसीलिए मैं तुझे सम्मति देता हूँ कि आग में ताया हुआ सोना मुझसे मोल ले कि तू धनी हो जाए, और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिनकर तुझे अपने नंगेपन की लज्जा न हो, और अपनी आँखों में लगाने के लिये सुर्मा ले कि तू देखने लगे”.(प्रकाशितवाक्य ३:१८).

आग में ताया हुआ सोना विश्वास और प्रेम है; श्वेतवस्त्र यहुशुआ की धार्मिकता है; आंख का सुर्मा आत्मिक विवेक है ये सब उद्धारकर्ता के द्वारा मुफ्त में प्रदान किये जाते हैं. जब एकबार ये अनमोल दान जो सामर्थ के साथ पिछली वर्षा में उन्डेले जाते हैं विश्वास के द्वारा ग्रहण किये जाते है तब आप अन्तिम सात विपत्तियों के समय यहुवह कि दृष्टि में बिना मध्यस्थ के रह सकोगे.

पूर्णतया समझी और ग्रहण की गई, विश्वास के द्वारा धार्मिकता, पाप रहित जीवन है. जब यहुशुआ के रक्त को विश्वास के द्वारा ग्रहण किया जाता है तब आप उसके साथ क्रूस पर चढ़ाए जाते हैं. तब जैसे वह पुनर्जीवित हुआ वैसे ही विश्वासी आत्मा भी यहुशुआ के साथ नवीनता के जीवन में चलने के लिये पुनर्जीवित को जाती है. यह उसकी धार्मिकता में विश्वास के द्वारा होता है. यह मस्तिष्क की बौद्धिक समझ से कहीं अधिक है. यह एक अनुभव है.

“मैं यहुशुआ के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, अब मैं जीवित न रहा, पर यहुशुआ मुझमें जीवित है; और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ जो यहुवह के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया और मेरे लिये अपने आप को दे दिया. मैं यहुवह के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योकि यदि व्यवस्था के द्वारा धार्मिकता होती, तो यहुशुआ का मरना व्यर्थ होता”.(गलतियों २:२०,२१)

“सबने पाप किया है और यहुवह की महिमा से रहित हैं.”(रोमियों ३:२३) इसलिए यह सम्भव नहीं है कि कोई पापी अचानक ही नियमों को मानने लगे और धार्मिक बन जावे. यह कभी भी पुराने पाप या मस्तिष्क की स्वाभाविक प्रवृति की क्षतिपूर्ति smiling woman holding Bibleनहीं होती. सभी के पास गलत के लिये अपनी वंशानुगत सभ्य प्रवृतियाँ हैं. यह केवल यह कि यहुशुआ की मृत्यु उसके खुद के बदले हुई और वह धार्मिकता जिसमे वह पृथ्वी पर रहा, के स्वीकार करने के द्वारा ही एक पापी का फिर से सृष्टिकर्ता के स्वरूप में  उत्पन्न किया जाना सम्भव है. बाइबल में दिया गया महान और अनमोल वादा का दावा प्रत्येक दिन, प्रत्येक घंटे, प्रत्येक मिनट में किया जा सकता है. जब मस्तिष्क में प्रलोभन आता है तब दो ही बातें सम्भव हैं: पाप को करें या सहायता मांगें. पिता और पुत्र ने शैतान का प्रतिरोध करने और उस पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति की सहायता के लिये अपनी शक्ति को प्रतिभूत कर रखा है.

“इसलिये यहुवह के अधीन हो जाओ; और शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा. यहुवह के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा. हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों, अपने ह्रदय को पवित्र करो”. (याकूब ४:७,८)

वादों से चिपके रहो, बाइबल के वचन तुम्हारे मस्तिष्क में स्वच्छ वायु के समान बहते रहें, और तब वह धार्मिकता जो आपको उद्धार के लिये आवश्यक है प्राप्त कर सकोगे . स्वर्गीयपिता की यह महान इच्छा है कि उसके प्रत्येक बच्चे को अपने पुत्र कि धार्मिकता के श्वेत और स्वच्छ कपड़े पहनाए. यह कोई अपने आप ही नहीं कर सकता. यहुवह उन सभी को जो उसके पास विश्वास के साथ आते हैं यह विश्वास करते हुए कि वह उनको अपने वादे के अनुसार ग्रहण करेगा , साफ और पहले जैसा कर देगा. वह उनसे कहेगा:

“.....देख मैंने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूँ.”(जकर्याह ३:४)

यह स्पष्ट है कि यह केवल यहुवह कि आत्मा और शक्ति के द्वारा ही हो सकता है.

“.....न तो बल से न शक्ति से परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहुवह का यही वचन है”.(जकर्याह ४:६).

विश्वास के द्वारा उद्धार एक मुफ्त दान है. आज ही इसे ग्रहण करने के लिये चुनिए.