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टूटे बाडे के सुधारक

याहुवाह की दिव्य व्यवस्था, उसके व्यक्तित्व की सम्पूर्ण प्रतिलिपी है। यह उसके अन्तरतम विचारों और भावनाओं का पवित्र और प्रेममयी होना प्रकट करता है। कभी न बदलने या हटाए जाने वाली, याह की व्यवस्था, उसके सिंहासन के समान सर्वदा बनी रहेगी।

(टूटा) सेतु को व्यवस्था से बहाल किया जानाशैतान ने कई लोगों को अज्ञान और धारणा के माध्यम से याहुवाह की व्यवस्था को तोड़ने के लिए प्रेरित किया कि क्रूस पर याहुशुआ की मृत्यु ने व्यवस्था को निरस्त कर दिया।

याहुवाह का हृदय अभी भी उसके छलें गए बच्चों के लिए दुखित होता है। अपनी दया में, उन्होंने अंतिम पीढ़ी की कलीसिया के लिए एक चेतावनी भेजी है। इसे लौदीकिया के लिए संदेश कहा जाता है:

“और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और [याह] की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है। "कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं। तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।" (प्रकाशित वाक्य ३:१४-१७)

अंतिम पीढ़ी की कलीसिया को महान प्रकाश के साथ आशिषित किया जा चुका है। नतीजतन, वो डींग मारती है कि उसे अब और किसी प्रकाशन की आवश्यकता नहीं - वो सब जानती हैं!

स्वर्ग चीजों को अलग ढंग से देखता है। याहुवाह देखता है कि यहाँ कई त्रुटियाँ और परंपराए मूर्तिपूजा में पाई गई है जिनसे लोग अभी भी चिपके हुए हैं। अंधी लौदीकिया की हालत के लिए स्वर्गीय चंगाई, हमेशा की तरह, उद्धारकर्ता के रूप में पाई जाती है:

“इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूँ, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे। मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।" (प्रकाशित वाक्य ३:१८-१९)

क्योंकि, आत्मिक गर्व के साथ जुड़ा हुआ आत्मिक अंधापन अंतिम-पीढ़ी की कलीसिया की एक खास विशेषता है, सभी जो बचाए जाने वाले हैं उन्हें विश्वास के द्वारा स्वीकार करना होगा कि सच्चे गवाह का संदेश उन पर व्यक्तिगत रूप से लागू होता है - भले ही उन्हें महसूस हो कि वे पहले से ही दीन, ईमानदार और पश्चातापी हैं।

जब एक बार इस संदेश को विश्वास के द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तब महान चिकित्सक तुरंत ही चंगा करना शुरू कर देता है। वह आग में ताया हुआ सोना उपलब्ध कराता है जोकि विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। वो अपनी ही धार्मिकता से नंगेपन को ढक देता है और त्रुटि वा धारणा से हुई अंधी आंखों में दिव्य सुर्मा लगाता है।

आत्मिक अंतर्दृष्टि से संपन्न, दीन विश्वासी अंततः न केवल अपनी सच्ची स्थिति, बल्कि याह की व्यवस्था की विशालता को भी देखने में सक्षम हो जाता है। "जितनी बातें पूरी जान पड़ती हैं, उन सब को तो मैं ने अधूरी पाया है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा है॥ अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।” (भजन संहिता ११९:९६-९७)
स्त्री ऊपर की ओर देखते हुऐविश्वासी जन की निरंतर प्रार्थना हैं: “मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं।” (भजन संहिता ११९:१८)

जैसे ही मन याह की व्यवस्था को समझने के लिए प्रबुद्ध हो जाता है, तब विश्वासी जन को यह देखने के लिए प्रेरित किया जाता है कि दिव्य व्यवस्था पूरे समय सभी लोगों पर सदा के लिए बाध्यकारी हैं। यह क्रूस पर नहीं चढ़ाई गई थी, और न ही याहुशुआ की मृत्यु से किसी भी तरह से "हटा दी" गई।

पवित्रशास्त्र प्रकट करता है कि दुसरे आगमन से ठीक पहले, याहुवाह विशिष्ट लोगों के एक समूह को खड़ा करेगा जो मुक्तिदाता की योग्यता में विश्वास के माध्यम से, याह की व्यवस्था का पालन करने में सक्षम होंगे। वे १४४००० जन है। बाईबल इस अंतिम पीढ़ी का इस रूप में वर्णन करती है: “पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और याहुशुआ पर विश्वास रखते हैं।” (प्रकाशित वाक्य १४:१२)

सच तो यह है कि ये प्रतिष्ठित है क्योंकि ये याह की आज्ञाओं का पालन करते हैं, उनके विपरीत है जो पालन नहीं करते। पृथ्वी पर लोगों के पहले समूह के रूप में, जिन्होंने याहुवाह को पूर्ण रूप से समर्पण किया है, उन्होंने मुक्तिदाता को उसके जीवन को अपने अंदर जीने दिया है, उनका इस प्रकार वर्णन हुआ है:

“ये वे हैं, जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुंवारे हैं: ये वे ही हैं, कि जहां कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं: ये तो परमेश्वर के निमित्त पहिले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। और उन के मुंह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं।” (प्रकाशित वाक्य १४:४-५)

१४४,००० जन याहुशुआ में बने रहते हैं और वह उनमें। जैसे उद्धारकर्ता ने हर स्थिति में पूरी तरह से दिव्य व्यवस्था का पालन किया, वैसे ही वे भी करते हैं, जब से वह उनमें जी रहा है।

"जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है। जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; और पाप तो व्यवस्था का विरोध है। और तुम जानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्वभाव में पाप नहीं। जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उस ने न तो उसे देखा है, और न उस को जाना है।" (१ यूहन्ना ३:३-६)

दिव्य व्यवस्था, सीनै पर्वत पर महिमा में बोली गई दस आज्ञाओं से कही अधिक चीजों को समाविष्ट करता है। इसमें विधी व्यवस्था भी शामिल है, जोकि दस आज्ञाओं का व्यापक अमल है। दिव्य व्यवस्था सदा के लिए और बाध्यकारी है। ये सदैव रहेगी।

"जो कुछ [एलोहीम] करता है वह सदा स्थिर रहेगा; न तो उस में कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है।" (सभोपदेशक ३:१४)

याहुवाह की व्यवस्था में कुछ भी नहीं जोड़ना है और न ही यह सोचकर इसे हटाना है कि यह बाध्यकारी नहीं है। पवित्रशास्त्र सख्तायी से अभियोग लगाता है: “जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; [तुम्हारे एलोहीम याहुवाह] की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना।” (व्यवस्थाविवरण ४:२)

१४४,००० जन विधि व्यवस्था सहित सभी व्यवस्था को बहाल करते हैं, जो वार्षिक उपासना के दिनों का पालन करने की आज्ञा देती है, इन्हें बाईबल में "याहुवाह के पर्व" कहा जाता है। ये पर्व, जिन्हें लेवीयो के २३वे अध्याय में सुचिबद्ध किया गया है, ये विधिया "तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में तुम्हारे सारे घरानों में सदा की विधि ठहरे।" (लैव्यवस्था २३:१४,२१,३१ और ४१)

याहुवाह की व्यवस्था को बहाल करने का १४४,००० जन का यह कार्य पहले से ही पवित्रशास्त्र में बताया गया और ये स्पष्ट रूप से उपासना से जुड़ा है:

"तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करने वाला पड़ेगा। यदि तू विश्रामदिन को अशुद्ध न करे अर्थात मेरे उस पवित्र दिन में अपनी इच्छा पूरी करने का यत्न न करे, और विश्रामदिन को आनन्द का दिन और [याहुवाह] का पवित्र किया हुआ दिन समझ कर माने; यदि तू उसका सन्मान कर के उस दिन अपने मार्ग पर न चले, अपनी इच्छा पूरी न करे, और अपनी ही बातें न बोले, तो तू [याहुवाह] के कारण सुखी होगा, और मैं तुझे देश के ऊंचे स्थानों पर चलने दूंगा; मैं तेरे मूलपुरूष याकूब के भाग की उपज में से तुझे खिलाऊंगा, क्योंकि [याहुवाह] ही के मुख से यह वचन निकला है।" (यशायाह ५८:१२-१४)

साप्ताहिक विश्रामदिनों के अलावा, दिव्य व्यवस्था याहुवाह के पर्वो का पालन करने की आज्ञा देती है। एलिय्याह और युहन्ना बपतिस्मा देने वाले के तरह ही, १४४,००० जन याहुवाह का उसकी व्यवस्था के पालन के द्वारा आदर करते हैं और दूसरो को पश्चाताप करने और याहुवाह की उपासना उसके पवित्र दिनों पर करने के लिए वापस बुलाते हैं।

पुराना नियम उनकी एक भविष्यद्वाणी के साथ बंद होता है जो याहुशुआ के आगमन से कुछ समय पहले ही पश्चाताप करने के बुलावे का कार्य करेंगे।

देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूं, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा...मेरे दास मूसा की व्यवस्था अर्थात जो जो विधि और नियम मैं ने सारे इस्रएलियों के लिये उसको होरेब में दिए थे, उन को स्मरण रखो। देखो, याहुवाह के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।" (मलाकी ३:१, ४:४-५)

यह सच कि "मूसा की व्यवस्था को स्मरण" रखने की आज्ञा दी गई है एक स्पष्ट साक्ष्य है कि इसे भुलाया जा चुका है। परंतु आरोप वही नहीं रुकता। ये विधि व्यवस्था को भी शामिल करता है।

बादलों से घिरी हुई खुली बाइबिलस्वर्ग के सभी नियुक्त समयों पर उपासना के दिनों को बहाल करना दुनिया के अंत के निकट होने का चिन्ह है।

१४४,००० जन याहुवाह के पर्वों का पालन करेंगे क्योंकि वे व्यवस्था का पालन करने वाले जन हैं, न कि इसको तोड़ने वाले। याहुवाह की व्यवस्था उनके लिए बहुत ही कीमती है और वे अपनी प्रेम-मयी आज्ञाकारिता के द्वारा अपने बनाने वाले का आदर करते हैं।

जो कोई यह कहता है, कि "मैं उसे जान गया हूं,” और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उस में सत्य नहीं।
(१ यूहन्ना २:४)

सच्चे चेले होने की कसौटी यह है कि विश्वासी इसका अनुसरण करता है या नहीं।

“जब हम [याह] से प्रेम रखते हैं, और उस की आज्ञाओं को मानते हैं, तो इसी से हम जानते हैं, कि [याह] की सन्तानों से प्रेम रखते हैं। और [याह] का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।” (१ यूहन्ना ५:२-३)

अंतिम पीढ़ी के दीन पश्चातापी १४४,००० विश्वासी जन याहुवाह की सभी आज्ञाओं का पालन करेंगे। वे अधिक प्रेम करते हैं क्योंकि वे अधिक क्षमा किए गए हैं और पूर्ण आत्मसमर्पण और आज्ञाकारिता के माध्यम से उनका प्रेम कीमत की परवाह किए बिना प्रदर्शित है।

एक अतुलनीय पुरस्कार उन सभी लोगों का इंतजार करता है जो लौदीकिया की स्थिति से चंगा होने के लिए सच्चे गवाह की खोज करते हैं और याहुवाह की व्यवस्था के सम्मान को बहाल करने में स्वर्ग के साथ जुड़ते हैं:

“जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।” (प्रकाशित वाक्य ३:२१)

सच्चे गवाह का संदेश अभी भी पश्चाताप करने के लिए बुला रहा है। यह विश्वास करना चुनिए कि आपके खुदके जानने की तुलना में आपसे कही ज्यादा आपके हृदय की स्थिति को उद्धारकर्ता जानता है। स्वयं को उसे समर्पण कर दीजिए। उसके अनुग्रह के द्वारा नई सृष्टी बनें।

एक टूटे हुए बाड़े का सुधारक, पथों को ठीक करने वाला बनें। आप भी, जय पा सकते हैं जैसे याहुशुआ ने पाई है और उसके साथ उसके सिंहासन पर बैठ जाइए।