याहुवाह की मुहर = दिव्य सुरक्षा
याहुवाह की मुहर उन सभी को आत्मिक सुरक्षा प्रदान करता है, जो दिव्य व्यवस्था के अनुसार जीते हैं। इसमें सातवें दिन सब्बात, नए चाँद और वार्षिक पर्वों पर उपासना करना शामिल है। |
आप उस व्यक्ति को क्या देंगे जिसके पास सब कुछ है?
जरा गंभीरता से सोचिए। आप उस व्यक्ति को क्या देंगे जिसे किसी भी चीज की कोई आवश्यकता नहीं?
आप माइकलएंजेलो को एक पेंटिंग या मूर्तिकला में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास भी नहीं देंगे। आप जूलिया चाइल्ड को चॉकलेट एक प्लेट की चिप कुकीज देंगे या क्रिश्चियन डायर के लिए एक शर्ट की सिलाई नहीं करेंगे।
जब शब्द काफ़ी न हो, और प्रेम से भरा हृदय उस प्रेम को किसी भी कार्य के द्वारा दिखाना चाहता है। तो आप उस व्यक्ति को क्या देंगे जिसके पास सब कुछ है?
समस्या और भी बड़ी हो जाती है जब आप परम पिता को कोई उपहार देना चाहते हैं। आप संभवतः उस सृष्टिकर्ता को क्या दे सकते हैं जो उसके पास पहले से न हो, जो न पहले से सोचा हो या केवल शब्दों को कहकर खुद के लिए न बना सकता हो?
जब शब्द काफी न हों, जब कोई उपहार पर्याप्त न हो, जब प्रेम से भरा दिल तरसता है कि किसी भी तरह उस प्रेम को दर्शाएँ, तब एक ही चीज बचती है, इच्छापूर्वक आज्ञापालन करना।
जब सारे मानव बनावटी आचारें और परम्पराओं को हटा दिया जाए तो सृष्टिकर्ता अपनी सृष्टि से ज्यादा कुछ की अपेक्षा नहीं रखता। “हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और याहुवाह तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले? ” (मीका ६:८;HHBD)। केवल एक चीज जो अनंत प्रेम से भरा हुआ महान हृदय, एक प्रेम से भरे हुए हृदय से चाहता है; संपूर्ण मन से आज्ञाकारिता।
बस। यही है। प्रेम से भरे हृदय से आज्ञाकारिता।
आज्ञाकारिता का उपहार
यह दुःख की बात है कि कई लोग, कुछ भी दे देंगे। और कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। बल्कि वे तो मनुष्यों के द्वारा बनाई गई परंपराओं और आवश्यकताओं से चिपके रहना चाहेंगे। अक्सर फरीसी नियमों के दायित्वों को पूरा करना, जो मुश्किल होता है, वे मानवीय घमंड या अहंकार को बढ़ाता है और उन्हें अपने बारे में बेहतर महसूस कराता है। वे लोग उस क्रोधित नामान की तरह हैं जब नबी अलीशा ने उससे कहा कि कुष्ठ रोग से चंगा होने के लिए उसे यरदन की नदी में स्नान करना होगा।
परन्तु नामान क्रोधित हो यह कहता हुआ चला गया, कि मैंने तो सोचा था, कि अवश्य वह मेरे पास बाहर आएगा, और खड़ा हो कर अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कोढ़ के स्थान पर अपना हाथ फेर कर कोढ़ को दूर करेगा!
क्या दमिश्क की अबाना और पर्पर नदियां इस्राएल के सब जलाशयों से उत्तम नहीं हैं? क्या मैं उन में स्नान कर के शुद्ध नहीं हो सकता हूँ? इसलिये वह जलजलाहट से भरा हुआ लौट कर चला गया। (२ राजा ५:११-१२; HHBD)
जब उपासना के लिए सृष्टिकर्ता के साधारण माँग को कई लोगों के सामने पेश किया जाता है, तो वे झट से कई असुविधाएँ और कठिनाइयों की शिकायत करके जल्दी से पीछे हट जाते हैं। नामान के सेवकों के शब्द, उसे फिर से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए विनती करते हैं, वे आज भी लोगों पर उसी तरह लागू होते हैं, जैसे तब होते थे: ‘तब उसके सेवक पास आकर कहने लगे, “हे हमारे पिता, यदि भविष्यद्वक्ता तुझे कोई भारी काम करने की आज्ञा देता, तो क्या तू उसे न करता? फिर जब वह कहता है कि स्नान करके शुद्ध हो जा, तो कितना अधिक इसे मानना चाहिए?” ’ (२ राजाओं ५:१३; HINDI-BSI)
ज्यादातर लोगों को सृष्टिकर्ता को उपासना करने का महत्व का एहसास नहीं है। बहुत ही जल्द भविष्य में होने वाली एक घटना को पवित्रशास्त्र दर्ज करता है:
इसके बाद मैं ने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे। वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी या समुद्र या किसी पेड़ पर हवा न चले।
फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को जीवते एलोआह की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, “जब तक हम अपने एलोआह के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।”
जिन पर मुहर दी गई मैं ने उनकी गिनती सुनी, अर्थात् इस्राएल की सन्तानों के सब गोत्रों में से एक लाख चौवालीस हज़ार पर मुहर दी गई। (प्रकाशितवाक्य ७:१-४; HINDI-BSI)
याहुवाह की मुहर धरती पर उपस्थित हर जीवित आत्मा के लिए एक बहुमूल्य उपहार है। जब याहुवाह के क्रोध का कटोरा (जो बिना कृपा का होगा) इस पापी और अपश्चातापि दुनिया पर उंडेला जाएगा तब सिर्फ याहुवाह की मुहर ही अनंत जीवन और जरूरी आत्मिक सुरक्षा दे सकती है।
याहुवाह के न्याय उन लोगों पर आएँगे जो उसकी प्रजा को नष्ट करना चाहते हैं और उन पर अत्याचार करना चाहते हैं। दुष्ट लोगों के साथ उसकी सहनशीलता मनुष्यों को पाप करने में और हिम्मत देती है, लेकिन उनके ऊपर दण्ड होना निश्चित और गंभीर है, क्योंकि यह विलम्ब से किया जा रहा है…हमारे करुणामय याहुवाह के लिए दंड देना एक असामान्य कार्य है…"[याहुवाह] विलम्ब से क्रोध करनेवाला और बड़ा शक्तिमान है; वह दोषी को किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।" (नहूम १:३; HHBD) धार्मिकता में भयानक कामों से पैरों द्वारा रौंदी गई अपनी व्यवस्था के अधिकार को वह न्यायसंगत ठहरायेगा। वो राष्ट्र जिसे वह लंबे समय तक सहता है, जिन्हें वह तब तक दंड नहीं देगा जब तक कि याहुवाह के लेखे में उनका पाप का घड़ा न भर जाए, अंततः दयारहित क्रोध के कटोरे में से पीएंगे। 1
कई पीढ़ियों से पशु की छाप के विषय पर सोचा गया, और चर्चा की गई है। लेकिन वो एक चीज़ जो पशु की छाप से बचा सकती है, कम सोची और समझी गई। जैसे WLC के दूसरे आलेखों में दर्शाया गया, याहुवाह की मुहर पाया जाता है जब पश्चातापी विश्वासी सृष्टिकर्ता के पवित्र सातवें दिन सब्बात पर उपासना करता है जो उनके चंद्र-सौर कलैंडर द्वारा गणना की गई है। पवित्रशास्त्र का ध्यानपूर्वक अध्ययन ने, WLC के टीम के मन पर इस बात का प्रभाव डाला की याहुवाह की मुहर साप्ताहिक सब्बात से भी ज्यादा चीजों को शामिल करती है। इसमें याहुवाह के सारे पवित्र दिन शामिल हैं क्योंकि यह केवल आज्ञाकारी हृदय को दिया जाता है।
पवित्र दिनों की तीन श्रेणीयाँ हैं जिसमें सभी अपने सृष्टिकर्ता की उपासना करने के लिए आमंत्रित हैं।
१. साप्ताहिक सब्बात
२. मासिक नए चंद्रमा
३. वार्षिक पर्व
साप्ताहिक सब्बात
पवित्रशास्त्र हर हफ्ते के सातवें दिन पर उपासना करने का आदेश देता है :
“तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना। छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम-काज करना; परन्तु सातवाँ दिन तेरे एलोह याहुवाह के लिए विश्राम दिन है। उस में न तो तू किसी भाँति का काम-काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।" (निर्गमन २०:८-१०; HINDI-BSI)
हर महीने (चंद्र-सौर के कैलंडर) में चार साप्ताहिक विश्राम-दिन हैं।
मासिक नए चंद्रमा
नए चाँद के दिन, पवित्र दिन हैं जो हर महीने शुरू होते हैं। और यह ठीक वो समय है जिस पर नए महीने के लिए साप्ताहिक चक्र फिर से शुरू होता है। चाँद, जो याहुवाह के द्वारा नियुक्त की गई समय रखने की विधि, की सटीकता के कारण, इसे एक वफ़ादार गवाह बताया गया है। “वह चन्द्रमा के समान, और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” (भजन संहिता ८९:३७; HINDI-BSI) हर साल में १२ या १३ चँद्रमास होते हैं, जिस में हर एक चँद्रमास की शुरूआद नए चाँद की उपासना वाले दिन से होता है।
वार्षिक पर्व
याहुवाह के वार्षिक पर्व लैव्यव्यवस्था २३ में सूचीबद्ध हैं जहाँ बार-बार उनके पालन को सदा की वाचा मानने के आदेश के रूप में दिया गया है।
१. फ़सह पर्व
२. अखमीरी रोटी का पर्व
३. पहली फसल का पर्व
४. सप्ताहों का पर्व
५. तुरही का पर्व
६. प्रायश्चित का दिन
७. झोपडियों का पर्व
लोग ये साधारण माँगों का पालन नहीं करना चाहते। अपने मित्रों और सहकर्मियों के सामने यह स्वीकार करना कि वे यहूदी पर्व रखते हैं उन्हें शर्मनाक लगता है! सृष्टिकर्ता के अलग कैलैंडर पर उपासना और उसका पालन करना एक व्यक्ति को अलग करता है। बहुत अलग। और कोई भी अलग नहीं रहना चाहता।
दुनिया अपनी तबाही के लिए तैयार हो रही है। याहुवाह पापियों के साथ थोड़ी और देर ही सह सकता है। उन्हें उसके प्रकोप के कटोरे में से तलछट तक पीना होगा जोकि दया रहित है। जो लोग याहुवाह के वारिस होंगे और याहुशुआ के साथ अनंत जीवन के संगी वारिस होंगे वे बहुत खास होंगे। हाँ, इतने खास कि याहुवाह उनके ऊपर एक छाप रखते हैं जिसके कारण वे सिर्फ और सिर्फ उनके हैं। क्या आपको लगता है कि याहुवाह उन लोगों को स्वीकार करेंगे और गौरव देंगे, जो संसार और सांसारिक लोगों से इतने मिले हुए हैं कि वे सिर्फ नाम में उन से अलग हैं? बहुत ही जल्द पता चलने वाला है की कौन याहुवाह के तरफ हैं और कौन नहीं। 2
तो … आप उस व्यक्ति को क्या देंगे जिसके पास सब कुछ है ? एक प्रेम भरे हृदय से आज्ञाकारिता। ज्ञानी माँ-बाप अपने बच्चों को कृतज्ञता व्यक्त करना सिखाते हैं क्योंकि उनको दिए गए उपहार के लिए आभारी होना, प्यार और विश्वास को जागृत करता है। याहुवाह जानते थे कि उसके प्राणियों को उसके प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए एक तरीका होना चाहिए। उन्होंने प्यार से एक ऐसा तरीका प्रदान किया जिसमें यह किया जा सकता था: उपासना के लिए अपने पवित्र दिनों को अलग रखना।
शैतान कई लोगों इस तरह से प्रलोभन करता है कि वे उपासना के दिनों को ठप्पे के रूप में देखे जो उनके स्वर्ग जाने की टिकट की गारंटी देता है। लेकिन यह सच नहीं हैं। "परमेश्वर आत्मा हैं इसलिए आवश्यक है कि उनके भक्त अपनी आत्मा और सच्चाई में उनकी आराधना करें।" (योहान ४:२४; सरल हिन्दी बाइबिल)। उपासना जिसे कर्तव्य के रूप में देखा जाता है, वह सच्ची उपासना नहीं है।
उपासना का उच्च मानक आज्ञापालन करना है। |
शब्दकोश उपासना को एक क्रिया के रूप में परिभाषित करता है: बहुत प्रेम करना; स्नेह से देखना; दैवीय सम्मान देना; वंदना और श्रद्धा के साथ परम आदर देना... असाधारण प्रेम और अत्यधिक समर्पण के साथ सम्मान करना ... "३
सच्ची उपासना सिर्फ एक प्यार भरे हृदय से आ सकती है। अपनी इच्छा से, बिना किसी दबाव के, आज्ञाकारी होना, उच्च तरह की उपासना है। यह उपकार पाने का कोई कार्य नहीं हैं, और न ही यह हो सकता है। अगर ऐसा होता तो, वह उपासना नहीं होती।
छुड़ाए हुए लोग याहुवाह की मुहर पाते हैं
अपने पहाड़ी उपदेश में उद्धारकर्ता ने उन लोगों के बीच के अंतर को समझाया जो खो गए हैं और जो अंत में बचाए जाएँगे:
मुझे प्रभु, प्रभु सम्बोधित करता हुआ हर एक व्यक्ति स्वर्ग-राज्य में प्रवेश नहीं पाएगा परन्तु प्रवेश केवल वह पाएगा, जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता है।
उस अवसर पर अनेक मुझसे प्रश्न करेंगे, ‘प्रभु, क्या हमने आपके नाम में भविष्यवाणी न की, क्या हमने आपके ही नाम में प्रेतों को न निकाला और क्या हमने आपके नाम में अनेक आश्चर्यकाम न किए?’
मैं उनसे स्पष्ट कहूँगा, ‘मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं। दुष्टों! चले जाओ मेरे सामने से!’ (मत्ती ७:२१-२३; सरल हिन्दी बाइबिल)
सिर्फ खोए हुए लोग ही खुले विद्रोह में नहीं रहेंगे बल्कि कई लोग जो मसीही होने का दावा करते हैं, जिन्होंने अपने धर्म में 'काम' किए और जिन्होंने "आराधना" को एक ज़रिया (स्वर्ग में प्रवेश करने का आश्वासन) बना दिया, अंत में, नाश हो जाएँगे। जिन लोगों ने याहुवाह की मुहर प्राप्त की है, वे वो लोग हैं जिन्होंने उद्धारकर्ता और उसके पिता के साथ एक निजी रिश्ता बना लिया है। उन्होंने सृष्टिकर्ता की इच्छा को पूरा किया है क्योंकि वे उनसे प्रेम करते हैं। याह को जानना ही उन से प्रेम करना है। अगर आप उन्हें जानते हैं, तो आप उन से प्रेम करेंगे, और जब आप उन से प्रेम करते हैं तब आप हर चीज़ में उनका पालन करना चाहेंगे, इस बात के लिए भी, कि कब उपासना करना है।
यहुन्ना इस बात को समझ गया :
याहुवाह के आदेशों का पालन करना इस बात का प्रमाण है कि हमने याहुवाह को जान लिया है।
वह, जो यह कहता तो रहता है, “मैं याहुवाह को जानता हूँ”, किन्तु उनके आदेशों और आज्ञाओं के पालन नहीं करता, झूठा है और उसमें सच है ही नहीं।
परन्तु जो कोई उनकी आज्ञा का पालन करता है, उसमें याहुवाह का प्रेम वास्तव में सिद्धता तक पहुँचा दिया गया है। याहुवाह में हमारे स्थिर बने रहने का प्रमाण यह है:
जो कोई यह दावा करता है कि वह मसीह याहुशुआ में स्थिर है, तो वह उन्हीं के समान चाल-चलन भी करें। (१ योहान २:३-६; सरल हिन्दी बाइबिल)
आराधना के दिन: आभार व्यक्त करने के अवकाश
घनिष्ठ और प्रेम का रिश्ता बस तब तक संभव नहीं है जब आभार और प्यार को रोक दिया जाता है या जब दूसरे व्यक्ति को खुश करने के लिए प्रयास नहीं किया जाता है। याहुवाह, सभी के सृष्टिकर्ता होने के नाते, ये बात समझ गए। उनको आपकी उपासना की ज़रूरत नहीं। उनको अपकी कृतज्ञता की भी ज़रूरत नहीं। लेकिन आपको देने की आवश्यकता है।
मानव हृदय कि इस जरूरत को पूरा करने के लिए सृष्टिकर्ता, सृष्टि के आरंभ में सातवें दिन और नए चाँद4 के दिनों को विश्राम के लिए अलग रखा है। “जो कार्य एलोहीम ने किया था, उसको उसने सातवें दिन समाप्त किया। उसने उस समस्त कार्य से जिसे उसने पूरा किया था, सातवें दिन विश्राम किया। अत: एलोहीम ने सातवें दिन को आशीष दी, और उसे पवित्र किया; क्योंकि एलोहीम ने उस दिन सृष्टि के समस्त कार्यों से विश्राम किया था।” (उत्पत्ती २:२ और ३; HINDICL-BSI)
पाप के प्रवेश के साथ, पापी मनुष्यों और दिव्य पिता के बीच एक महान खाई स्थायी हो गई। इसी खाई को पाटने और पापी मनुष्यों को अपने साथ एक करने के लिए, पिता ने वार्षिक पर्वों की स्थापना की। यह उनका उद्देश्य था कि लोग प्रेम और कृतज्ञता के साथ साल भर के नियत समय पर इकट्ठे हों, और उनकी आशीष और संरक्षण को याद करें।
अच्छे माता-पिता अपने बच्चों को ऐसे अवसर प्रदान करने की परिस्थियों की व्यवस्था करेंगे। पापा को सच में दूसरी कमीज़ या टाई की जरूरत नहीं है। माँ को अजीब दिखने वाला केक की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, क्योंकि बच्चों को देने की खुशी को अनुभव करना जरूरी है, समझदार माँ-बाप अपने बच्चों को ऐसे मौके प्रदान करते हैं। बच्चे उन सभी चीज़ों के लिए, जो उन्हें दी जाती है, "धन्यवाद" कहने के द्वारा, प्रेम और मान्यता को विकसित करते हैं कि माता-पिता प्यार करने वाले हैं। यही उपासना का सही मूल्य है और, साप्ताहिक, मासिक, वार्षिक उपासना के समय को अलग रखने का उद्देश्य है: आभारी होना प्रेम उत्पन्न करता है।
स्वर्गीय पिता हमारे लिए जो कुछ भी करते हैं उसके लिए हमारे हृदय में कृतज्ञता पैदा करने के लिए पवित्र दिनों का पालन करना आवश्यक है। कृषि प्रधान समाज में यह बहुत स्पष्ट है। फसल बढ़ती है "क्योंकि वह बुरे और भले, दोनों ही पर सूर्योदय करते हैं। इसी प्रकार वह धर्मी तथा अधर्मी, दोनों ही पर वर्षा होने देते हैं।" (मत्ती ५:४५; सरल हिन्दी बाइबिल) आज जब कई लोग किराने के दुकानों या बाजारों से अपना भोजन खरीदते हैं, यह और भी महत्वपूर्ण है कि यह बात एहसास करने के लिए समय निकाला जाए कि हमारे आशीषें कहाँ से आती हैं, और प्रदाता की अच्छाई और उदारता को स्वीकार करें।
जब विश्वासी के हृदय में कृतज्ञता जागृत होती है, तो प्रेम उठती है और विश्वास गहरा होता है। इस प्रकार वह उद्धारकर्ता के साथ घनिष्ठ और निकट मित्रता में प्रवेश करता है ताकि, अंत में, वह उन्हें स्वीकार करेगा क्योंकि वह उन्हें जानता है। पवित्रशास्त्र में शब्द "जानना" महत्वपूर्ण है। यह ऊपरी तौर पर परिचित होने की तुलना में बहुत गहरी जानकारी देती है। जो लोग 'प्रभु! प्रभु!' रोते हैं, उनके साथ सिर्फ ऊपरी तौर पर परिचित हैं। पर केवल वे लोग जो उनके साथ एक निज़ी रिश्ता बनाते हैं; उन्हें वो सच में जानता है, क्योंकि वे उसे जानते हैं।
क्या याहुवाह के पवित्र दिनों पर उपासना बिना किए उद्धार पा सकते हैं? बिलकुल। पवित्रशास्त्र हमें आश्वासन देता है की याहुवाह अज्ञानता में किए पापों को खंडन नहीं करता। “याहुवाह ने अज्ञानता के युगों को अनदेखा कर दिया; परन्तु अब उसकी आज्ञा यह है कि सर्वत्र सभी मनुष्य पश्चताप करें” (प्रेरितों के काम १७:३०; HINDICL-BSI) अज्ञानता के पापों को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ नहीं रखा जाता है जो ईमानदारी से वो करने की इच्छा रखते हैं जो सही है। हालांकि, कोई भी जो याहुवाह की आवश्यकताओं को नहीं जानता है, उन पर दण्ड आज्ञा न होने के कारण, उनकी अवहेलना कर सकता है। यह खुले विद्रोह में जीना होगा।
याहुवाह के निज़ी और घनिष्ठ दोस्त जो उनसे प्रेम करते हैं, वे उनके द्वारा नियुक्त किए गए कैलेंडर के नियत समय पर अनंतकाल तक इकठ्ठा होंगे। "फिर ऐसा होगा कि एक नये चाँद से दूसरे नये चाँद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक समस्त प्राणी मेरे साम्हने दण्डवत करने को आया करेंगे; याहुवाह का यही वचन है।" (यशयाह ६६:२३; HHBD) यही आपका मौका है उसे जानने का जो आपसे प्रेम करता है, इतना कि कोई और आपसे नहीं करता। उन के असली कैलेंडर द्वारा गणना किए गए पवित्र दिनों पर उनकी उपासना करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करें। अपने सृष्टिकर्ता के साथ घनिष्ठ मित्रता साझा करने के प्रतिफल और इनाम अनंत काल के तरह अनंत है।
1 एलेन गोल्ड ह्वाईट, महान संघर्ष, पृष्ठ ६२७।
2 एलेन गोल्ड ह्वाईट, आत्मीय उपहार, पृष्ठ ७७
3 नूह वेबस्टर, अमेरिकन अंग्रेज़ी भाषा की शब्दकोश, १८२८
4 यह तथ्य कि नए चाँद सृष्टि के आरंभ में स्थापित किए गए थे इस बात से साबित होता है कि चंद्र - सौर केलैंङर सृष्टि के आरंभ से याहुवाह के समय रखने कि नियुक्त विधि थी। “फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों। वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।” (उत्पत्ति १:१४-१५; HHBD) शब्द "चिन्हों" का अनुवाद "ओव्द" #२२६ से आता है।