WLC का तुरहियों के साथ प्राथमिक केंद्र बिंदु इसके घटित होने का वास्तविक समय नहीं है: किन्तु हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि तुरहियों का फूँका जाना अभी भविष्य में है, और यह परिवीक्षा की अवधि के समाप्त होने पर घटित होगा. यह इस प्रचलित शिक्षाओं के विरोध में है कि तुरहियों का फूँका जाना पहले ही हो चुका है. जोकि ना सिर्फ भ्रमात्मक है पर बहुत ही घातक भी है, क्योंकि यह यहुवाह के लोगों को पूर्णत: बिना तैयारी के उन प्रलयकारी घटनाओं के लिए छोड़ता है जिनका प्रगट होना अभी बाकी है. |
भविष्यवाणी के अनुसार किसी भी दिन घटित होने वाली घटनाओं का गैर-कल्पित ब्यौरा निम्नलिखित है. यह ब्यौरा केवल प्रकाशितवाक्य की पुस्तक से लिया गया है. चूँकि भविष्यवाणी की गई घटनाओं का पूर्ण होना निकट है, अत: पिता चाहता है कि उसके बच्चे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को पूर्णतः समझें जिसमें अन्त समय की सब घटनाओं को प्रगट किया गया है. इस पूरी पुस्तक में बहुत ही अनमोल वाचाएँ हैं, और साथ ही... भयावह रूप से खतरनाक चेतावनियाँ भी .
हमारे प्रेमी पिता ने प्रगट किया है कि बहुत शीघ्र ही संसार १४ विपत्तियों की श्रृंखला को अनुभव करेगा: पहली सात तुरहियाँ है, जो मानवता को परिवीक्षा समाप्ति के कुछ पहले जागने के लिए अन्तिम बुलाहट, इससे पहले कि प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य मुहरबंद हो अन्तिम मौका प्रदान करने के लिए दी गईं. शेष सात विपत्तियाँ हैं जो परिवीक्षा समाप्ति के बाद दूसरे आगमन के कुछ पहले उन्डेली जाएँगी. इन सभी विपत्तियों की विनाशकारी घटनाओं को अनूठी त्रासदी नहीं परन्तु ईश्वरीय चेतावनी समझी जाएँगी. और उनका प्रभाव सभी दिशाओं में महसूस किया जाएगा.
पहली तुरही
पहली तुरही बहुत जल्दी संसार पर एक जबरदस्त आश्चर्य के रूप में, सभी मनुष्यों में अनोखा खौफ उत्पन्न करते हुए फूँकी जाएगी. प्रकाशितवाक्य १७ के आधार पर हम बहुत नजदीक हैं की तुरहियों को पृथ्वी पर फूँकी जाती हुई देंखें. बेनेडिक्ट XVI (सातवाँ राजा) के शासनकाल के साथ सातवाँ राजा हो चुका है, हम आशा करते हैं कि तुरहियों का पृथ्वी पर फूँका जाना किसी भी समय हो सकता है.
बाइबल क्या बताती है कि पहली तुरही का पृथ्वी पर फूँका जाना कब होगा?
“पहले स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, और लहू से मिले हुए ओले और आग उत्पन्न हुई, और पृथ्वी पर डाली गई; और पृथ्वी की एक तिहाई जल गई, और पेड़ों की एक तिहाई जल गई, और सब हरी घास भी जल गई.” (प्रकाशितवाक्य ८:७)
पहली तुरही के द्वारा पूरे संसार में एक तिहाई पेड़ नष्ट होंगे, और सारी हरी घास नष्ट हो जाएगी. इस तुरही के विनाशकारी विस्तार को समझने के लिए, हमें पहले वर्तमान में संसार द्वारा झेल रहे खतरनाक भोजन संकट का मूल्याँकन करने की आवश्यकता है.
प्रतिदिन २५००० लोग भूख-सम्बन्धित कारणों से मर रहे हैं.
- प्रत्येक ७ सेकंड में एक बच्चा भूख से मरता है.
- जब एक गरीब परिवार का आधे से अधिक खर्च भोजन के लिए होता है तब दाम बढ़ना वाकई लाखों कगार पर रहने वालों के लिए विध्वंसकारी है.
- २०११में बाढ़ के कारण आस्ट्रेलिया में गेहूँ की फसल पूर्णतया उजड़ गई थी.
- पिछली २०१०/११ के शीतकाल में ब्राजील राष्ट्र में ऐसी बाढ़ आई जैसी उस राष्ट्र में पहले कभी नहीं आई थी. जिसके कारण उसकी भोजन उत्पादन क्षमता प्रभावी तौर पर खोखली हो गई.
- रूस संसार का गेहूँ उत्पादन में तीसरा देश, अभी भी २०१० की गर्मियों के अनोखे उच्च तापमान के प्रभावों का अनुभव कर रहा है.
- २०१० में पाकिस्तान में राष्ट्र में पहले कभी नहीं ऐसी बाढ़ आई जिसके कारण फसलें नष्ट ही गईं. एक समय में पाकिस्तान राष्ट्र का १/५ हिस्सा पानी के नीचे था. इस विनाश का प्रभाव पाकिस्तान की कृषि पर अकल्पनीय था.
- चीन एक दुःखदायक लम्बे समय तक बने रहने वाले अकाल की तैयारी कर रहा है, जिसका प्रभाव संसार के विशालतम गेहूँ उत्पादक क्षेत्रों में छह दशकों में सबसे बुरा उल्लेख किया जा रहा है.
पहली तुरही के विनाशकारी प्रभाव की जानकारी के बिना भी, UN के बहुत से भोजन विशेषज्ञ यह विश्वास करते है कि संसार एक भयंकर भुखमरी से अधिक दूर नहीं है. कुछ लोगों द्वारा यह अनुमान लगाया जारहा है कि पूरे संसार में लगभग १ अरब लोग हर रात भूखे सोयेंगे. पूरे संसार में लाखोँ लाख लोग जो कठिनाई से अपने लिए भोजन जुटाने में सक्षम हैं. उन्हें भी अपनी रोज की रोटी खरीदने में कठिनाई होगी. सारे संसार में, वस्तुओं के दामों में बढत लोगों को सड़क पर धकेल रही है. बुनियादी भोज्यपदार्थ के अत्याधिक दाम का उल्लेख Tunisia में विशाल दंगों का मुख्यस्त्रोत के लिए किया जाता है, जो की उत्तरोत्तर वृद्धि होकर क्रान्ति में बदल गई. विरोध Algeria,Morocco,Yemen और अधिकतम विशेषकर Egypt (संसार का सबसे बड़ा गेहूँ आयात करने वाला देश) में फैला जिसके कारण मुबारक शासन का तख्ता पलट गया.
जिस दिन पहली तुरही पृथ्वी पर फूँकी जाएगी, उस दिन संसार के सभी राष्ट्रों में एक अवर्णनीय खलबली की दशा हो जाएगी, लोग अचानक यह महसूस करने लगेंगे कि संसार की फसलें और फलों के वृक्षों सहित १/३ पेड़ पूर्णतः नष्ट हो गये. हम दंगों के उन दृश्यों को दिखाने का साहस नहीं कर पा रहे हैं, जो संसार के शहरों को निगल लेगा. फिर भी निम्न घटनाएँ पहली तुरही के पृथ्वी पर वार करने के बाद निश्चित रूप से घटित होंगी.
- अचानक US डालर और संसार की आरक्षित मुद्रा का पतन, अन्य मुद्राओं के पतन को अग्रसर करेगा चूँकि सरकार इस विनाशकारी विपत्ति के परिणामस्वरूप सामाजिक और आर्थिक मूल्यों को पाने के लिए अपनी मुद्रा छापने वाली प्रेस को धुरी पर मोड़ देगी, निवेशक तत्काल अनुभव करेंगे कि अति-मुद्रास्फीति निर्मित हो गई है यह जबर्दस्त झटका तब लगेगा जब संसार की अर्थव्यवस्था १९३० की सबसे बुरी वित्तीय आपदा से उबर नहीं पाई है.
- क्षणिक परमाणु दुर्घटना वित्तीय बाजारों को चोट पहुँचाएगी, जिसके कारण संसार के सभी स्टाक एक्सचेंजों में स्टाक और बांड के बिक्री का अवधाव होगा. परिणामस्वरूप पूँजी में अवर्णनीय अफरा-तफ़री होगी. किसी भी कीमत पर कोई खरीददार नहीं मिलेगा, जिस कारण स्टाक एक्सचेंज बन्द हो जाएंगे, जैसा कि हाल ही में Egypt में हुआ. भोजन की कमी वाले राष्ट्रों में बुनियादी भोज्यपदार्थो को जो भी हाथ आये खरीदने के लिए तत्काल भीषण छीना झपटी होगी जिसके कारण कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी होगी.
- संसार के सारे नेता अपने शहरों में भोजन के लिए भभके हुए दंगो को रोकने की कोशिश में इस विध्वंसकारी आपदा से निपटने के लिए, अपनी योजनाओं को लेकर दौड़ेंगे.
संसार के सभी बड़े शहरों में अनियंत्रित नागरिक अशान्ति फ़ैल जाएगी, और ऐसे स्थानों में जहाँ कभी भोजन की कमी नहीं थी लोग अचानक यह महसूस करेंगे कि उनमे से बहुत से लोग भूख से मर जाएंगे.
- कानून-व्यवस्था पूर्णतया भंग हो जाएगी और लोग हर प्रकार से उनके भोजन के लिए छीना-झपटी करेंगे
हमारे मुक्तिदाता की भविष्यवाणी अक्षरत: पूरी होगी:
“..और पृथ्वी पर देश-देश के लोगों को संकट होगा,...भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते-देखते लोगों के जी में जी न रहेगा...”(लूका २१:२५-२६)
२०११ के आरंभ में UK Telegraph ने रिपोर्ट किया था कि Asia, the Middle East, और North Africa के बहुत से राष्ट्र हजारों टन गेहूँ , चाँवल और दूसरे अनाज खरीद रहे हैं. कुछ मामलों में तो वे एक वर्ष तक चलने के लिए पर्याप्त अनाज खरीद रहे हैं जब पहली तुरही का वार पृथ्वी पर होगा तब ये राष्ट्र कहाँ से अपने लोगों को खिलाने के लिए अन्न खरीदेंगे? तब कौन राष्ट्र अपने भविष्य के लिए सीमित भण्डारों में से निर्यात करना चाहेगा पहली तुरही के बाद कितने ऐसे राष्ट्रों का शासन गिर जाएगा जो अपने लोगों को बुनियादी भोजन प्रदान नहीं कर पाएंगे?
पहली तुरही के तुरन्त बाद २,३,और ४ तुरहियाँ फूँकी जाएगी ५वी, से ७वी तुरहियों को संताप (हाय) वर्णित किया गया है इसका अर्थ है कि ये पहली चारों में जो कुछ अनुभव किया गया उससे कहीं अधिक भयावह और विनाशकारी होगी
“जब मैंने फिर देखा, तो आकाश के बीच में एक उकाब को उड़ते और ऊँचे शब्द से यह कहते सुना, “उन तीन स्वर्गदूतों कि तुरही के शब्दों के कारण, जिनका फूँकना अभी बाकी है, पृथ्वी के रहनेवालों पर हाय, हाय, हाय!” (प्रकाशितवाक्य ८ :१३)
“यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय किया था.” (इब्रानियों ३:१५)
आज आपका मौका है कि आप यहुवाह से दूर भागना बन्द कर दें और उसकी दया के अन्तिम बुलाहट को स्वीकार करें, जो उसने आपके लिए अपने एकलौते पुत्र के बहुमूल्य लहू कि द्वारा खरीदा है. आज आपका मौका है कि आप अनन्त उद्धार के व्यापार में चतुर बनें. आप अपना अनन्त मुकुट और अनन्त जीवन सांसारिक लाभ के लिए जो मिट्टी में मिल जाएगा क्यों खोना चाहते हैं?
“तू ने जो परम प्रधान को अपना धाम मान लिया है, इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी. न कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आएगा. क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें.” (भजन ९१:९-११)
देखिये विडिओ The Day Trumpet 1 Hits Earth
दूसरी तुरही
यहाँ तक कि पृथ्वी पर पहली तुरही के फूँके जाने के पहले ही संसार भोजन सुरक्षा की `कगार` पर है. आज, १ अरब लोग भूख से पीड़ित हैं यह कल्पना करना कठिन नहीं है, कि पहली तुरही फूँकी जाने के बाद हम भोजन की अत्याधिक कमी का सामना करेंगे.
जब पृथ्वी पर दूसरी तुरही फूँकी जाएगी तब वैश्विक भोजन की कमी और भी बदतर हो जाएगी.
“दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो मानो आग-सा जलता हुआ एक बड़ा पहाड़ समुद्र में डाला गया; और समुद्र का एक तिहाई लहू हो गया, और समुद्र के एक तिहाई प्राणी मर गए, और एक तिहाई जहाज नष्ट हो गए”. (प्रकाशितवाक्य ८:८-९)
दूसरी तुरही एक जलते हुए पहाड़ (या उल्का) का समुद्र में गिरने का वर्णन करती है जिसके द्वारा अकल्पनीय पर्यावरणीय विध्वंश होगा.
परिणामस्वरूप
- १/३ समुद्र लहू में बदल जाएगा
- समुद्र के १/३ प्राणी मर जाएंगे
- १/३ जहाज नष्ट हो जायेंगे
जलते हुए पहाड़ के विषाक्त प्रकृति और/या जलमग्न होने और टक्कर के कारण समुद्र के १/३ प्राणियों की मृत्यु होगी. दूसरी तुरही के द्वारा सभी tसुनामियुओं की माता बन जाएगी जिसके कारण एक तिहाई जहाज, अर्थात् लगभग १८००० व्यापारिक जहाज एक ही दिन में समुद्र की गहराईयों में अदृश्य हो जाएंगे, यह केवल संसार में भुखमरी में तीव्रता, और बीमारियों के फैलने में गति प्रदान होगी.
वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारे ग्रह के इतिहास में कई बार उल्का पृथ्वी से टकराई है और ऐसा समय-समय पर होते रहता है आज, वैज्ञानिक भयभीत है कि ज्वलनशील गैसों से घिरा एक विशाल पत्थर पृथ्वी की ओर तेजी से आएगा जैसे ही यह वायुमंडल में प्रवेश करेगा, गैसें जलने लगेंगी और एक विशाल जलता हुआ गोला बन जाएगा आज, NASA उल्का आतंक का प्रभाव पृथ्वी पर आने के पहले ही मानवरहित यान द्वारा परमाणु शस्त्रों से हमलाकर चूर-चूर करने की योजना बना रहा है, तौभी, दूसरी तुरही के जलते हुए पहाड़ को रोकने में कोई मानव हस्तक्षेप कभी सफल नहीं होगा.
७ जनवरी २००२ को खगोलशास्त्र की गुप्त भविष्यवाणी थी कि पृथ्वी के बहुत पास एक ३०० मीटर व्यास [९८४२५फीट] की ग्रहिका घूम रही है, ग्रहिका जिसे YB5 नाम दिया गया इतनी बड़ी थी कि फ़्रांस के आकार का राष्ट्र को हटाने के लिए पर्याप्त थी. १९८१ में conference on mass extinctions में वैज्ञानिकों ने विभिन्न आकारों की ग्रहिकाओं के संघात के परिणामस्वरूप होने वाली क्षति को समझने के लिए निम्न परिदृश्य दिया.
· एक २०० मीटर व्यास [६५६.१७फीट] की ग्रहिका के टकराव से १,०००- मेगाटन विस्फोट उत्पन्न होगा और २००,००० और १०० मिलियन के बीच लोगों की मौत होगी.
· एक ४०० मीटर [१/४मील] की ग्रहिका के टकराव से १०,०००- मेगाटन विस्फोट उत्पन्न होगा और दो मिलियन और एक बिलियन लोगों की मौत होगी. यह आधे किलोमीटर से कम ग्रहिका से होगा.
· एक १० किलोमीटर [६.२१मील] की ग्रहिका से टकराव से जब वह समुद्र में गिरेगी तब ५ किलोमीटर[३.११मील] तक की लहरों को जिस बिंदु पर टकराएगी वहाँ से उत्पन्न करेगी १५०० किलोमीटर [९३२.०६मील] दूर होने पर भी tसुनामी ५००मीटर [लगभग १/३मील ]ऊँची होगी.
यदि ऐसी ग्रहिका मिक्सिको की खाड़ी में गिरी होती तो Kansas शहर में लहरों द्वारा बाढ़ हो गई होती! ये लहरें अंतर्राष्ट्रीय पोत-परिवहन और बहुत से तटीय शहरों के लिए विध्वंसकारी प्रलय होतीं स्त्रोत: Gerrit L. Verschuur, “The End of Civilization?” Astronomy 19, no. ९ (सितम्बर १९९१): ५०-५४
इन तुरहियों का क्या प्रयोजन है? हमारे प्रिय स्वर्गीय पिता यहुवाह ने यह डिज़ाइन किया कि तुरहियों का उपयोग पृथ्वी के प्रत्येक व्यक्ति के लिए इससे पहले कि वह मानवीय परिवीक्षा को समाप्त करे ध्यानाकर्षण का अन्तिम प्रयास हो इससे पहले कि हमारे मुक्तिदाता का पुनः आगमन हो “ राज्य का सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा”( मत्ती २४:१४) हमारे चारों ओर आनेवाली परिवीक्षा समाप्ति के असंदिग्ध चिन्हों को प्रगट करते हुए आपदाएं हो रहीं हैं. फिर भी बहुत से लोग इसे प्रकृति की अत्याधिक प्रतिक्रिया कहकर अस्वीकार करते हैं, आज लोगों के मस्तिष्क, संसारिकता और मानवीय संस्कारों से ओत-प्रोत हैं, जो उनको सुसमाचार को सुनने और ग्रहण करने से रोकता है लेकिन बहुत जल्द, यहुवाह नाटकीय ढंग से पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के जीवनों में हस्तक्षेप करेगा और तुरहियों के माध्यम से उनके विचारों को चुनौती देगा. इन तुरहियों के द्वारा मृत्यु की वास्तविकता के चित्रण का सामना कर, प्रत्येक जीवित व्यक्ति को यह निर्णय लेना होगा की वे यहुवाह या शैतान किसकी आज्ञा मानेंगे, अन्तिम व्यक्ति के अन्तिम निर्णय के बाद ही परिवीक्षा सदा के लिए बन्द कर दी जाएगी, और प्रत्येक जीवित व्यक्ति की नियति मुहरबंद कर दी जाएगी. तब मुक्तिदाता दूसरी बार जल्द ही आएगा ताकि धर्मी मुर्दों को जिलाए, और वे जीवित धर्मियों के साथ स्वर्ग में लिए जाएँ . |
देखिये विडिओ The Day Trumpet 2 Hits Earth
तीसरी तुरही
“तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, और एक बड़ा तारा जो मशाल के समान जलता था स्वर्ग से टूटा, और नदियों की एक तिहाई पर, और पानी के सोतों पर आ पड़ा. उस तारे का नाम नागदौना है; और एक तिहाई पानी नागदौना-सा कड़वा हो गया. और बहुत से मनुष्य उस पानी के कड़वे हो जाने से मर गए”. (प्रकाशितवाक्य ८:१०-११)
जब तीसरी तुरही फूँकी जाएगी, तब आकाश से जलती हुई मशाल के समान एक विशाल उल्का गिरेगी. यह १/३ नदियों और पानी के सोतों पर गिरेगी, जिससे पृथ्वी का १/३ शुद्ध पानी कड़वा हो जाएगा बहुत से लोग इस अत्यंत कड़वे और जहरीले पानी के पीने से मर जाएंगे.
इस “बड़े तारे”, या जलती हुई उल्का, को “नाग-दौना” कहा जाता है यह नाम एक जहरीला लकड़ी समान पौधे को प्रगट करता है, जिसमे एक तीव्र सुगन्धित गन्ध होती है और बहुत ही कड़वा होता है बाइबल में यह पौधा बड़ी विपदा और दुःख का प्रतीक है तीसरी तुरही की महामारी के बारे में यर्मियाह द्वारा निम्न गम्भीर चेतावनी की भविष्यवाणी की गई थी
“और यहुवाह ने कहा, क्योंकि उन्होंने मेरी व्यवस्था को जो मैंने उनके आगे रखी थी छोड़ दिया; और न मेरी बात मानी और न उसके अनुसार चले हैं, वरन वे अपने हठ पर बाल नामक देवताओं के पीछे चले, जैसा उनके पुरखाओं ने उनको सिखलाया. इस कारण, सेनाओं का यहुवाह, इस्राएल का एलोहीम यों कहता है : सुन मैं अपनी प्रजा को कड़वी वस्तु खिलाऊंगा और विष पिलाऊंगा.” (यर्मियाह ९:१३-१५)
इस प्रकार हम देखते हैं, कि दूसरी और तीसरी तुरहियों के दौरान दोनों ताजा पानी और खारा पानी दूषित हो जाएंगे. इन दोनों महामारियों के द्वारा, जैसा कि दूसरी तुरही के समय समुद्री पानी लहू और तीसरी तुरही के समय शुद्ध पानी कड़वा होकर विश्व का १/३ भाग पानी निरुपयोगी हो जाएगा, इसके साथ ही साथ, ये दोनों तुरहियाँ भयंकर वायुमंडलीय प्रदुषण उत्पन्न करेंगी. हम जानते है कि उल्का बहुत ही विषाक्त होती है. छोटी-छोटी उल्काएँ जो पृथ्वी पर पूर्व में गिरी हैं के द्वारा जहरीली गैसों का रिसाव और रेडिएश्न की रिपोर्ट्स उपलब्ध हैं.
१८ सितम्बर २००७ को Living in Peru में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमे निम्न मुख्य समाचार था: “उल्कापिंड के सैम्पल इकठ्ठा करने वाले पुलिस अधिकारी अस्पताल में भर्ती” पेरू सरकार की न्यूज एजेंसी के अनुसार लगभग सात पुलिस अधिकारी उल्कापात के स्थान से सैम्पल इकठ्ठा करने के समय प्रभावित हुए. (http://archive.peruthisweek.com/news-4724-environmentnature-police-officers-hospitalized-after-collecting-meteorite-samples-peru)
इसमें कोई शक नहीं है कि तीसरी तुरही के विशाल उल्कापिंड का गिरना शुद्ध पानी के नाश की ओर अग्रसर होगा. आज तीसरी तुरही के विनाशकारी प्रभाव के पहले ही, विश्व में सब कहीं शुद्ध पानी की समस्या है. यहाँ कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं:
- मोटे तौर पर विश्व की १/६ जनसंख्या (१.२ बिलियन लोगों) की पहुँच साफ पीने के पानी तक नहीं है.
- ऐसा अनुमान है कि विकासशील देशों में प्रतिवर्ष २.२ मिलियन लोग अपर्याप्त स्वच्छता और साफ पीने के पानी के अभाव में मरते हैं.
- आधे विश्व की ५०० प्रमुख नदियाँ शून्य या अति प्रदूषित हो गई हैं.
- अमेरिका के कुछ भाग अपने उपलब्ध शुद्ध-पानी के स्त्रोत का ८०% ही उपयोग करते हैं. ( इसका अर्थ है कि पानी का थोड़ा कम या अधिक उपयोग , पानी की कमी का कारण बन जाएगा.
- चीन के दो तिहाई पानी की कमी से गुजर रहे हैं. और साफ पानी का पाना और कठिन है.
- विश्व बैंक ने रिपोर्ट दी है कि ८० राष्ट्रों में पानी की कमी अनुभव की जा रही है, जिससे वहाँ के लोगों का स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को खतरा है. रिपोर्ट में यह भी आकलन किया गया है, कि विश्व का ४० प्रतिशत – २ बिलियन से अधिक लोगों --- की पहुँच साफ पानी और स्वच्छता तक नहीं है.
पूरे विश्व की नदियाँ और झीलें अब इनसे दूषित है:
- प्रदुषण ( कभी कभी प्राणघातक जहर के साथ)
- विकिरण
- भू-क्षरण ( जंगलों के कटने के कारण)
- सोने की तलाश ( जहाँ कभी-कभी पारा का उपयोग होता है)
- अम्लीय वर्षा (औधौगिक क्षेत्रों से धीरे-धीरे निकलने वाले प्रदूषित बादलों के द्वारा)
- कीटनाशक दवाइयाँ (जिनका उपयोग वैश्विकता में खेती की भूमि में और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मच्छर मारने आदि के लिए किया जाता है)
जब पहली और दूसरी तुरही के बाद क्रमशः तीसरी तुरही पृथ्वी पर फूँकी जाएगी वर्तमान शुद्ध पानी का संकट बहुत अधिक बद्तर हो जाएगा और बाइबल यह पुष्टि करती है कि बहुतेरे इस महामारी के परिणामस्वरूप मर जाएंगे. हम विश्वास करते हैं कि १-५ तुरहियों का फूँका जाना जल्द आरम्भ होगा (राजा/पोप बेनेडिक्ट XVI का शासनकाल का समाप्ति का अन्त आ गया है. बेनेडिक्ट XVI का चौंका देने वाला त्याग पत्र यहुशुआ ने यहुन्ना से भविष्यवाणी जो उसने सातवे राजा के लिए की उसका पूर्ण होना है उसका शासन “थोड़े समय” का है. (प्रकाशितवाक्य १७:१०)
यहुशुआ के वचन कभी गलत नहीं होते हैं; बेनेडिक्ट XVI का शासन केवल आठ वर्षों तक रहा. अब हम आठवे राजा के शासनकाल में रह रहे हैं (फ्रांसिस १) प्रकाशितवाक्य १७ के अनुसार आखरी पोप. प्रकाशितवाक्य १७ के अनुसार आखिरी राजा “अथाह कुण्ड” में से आएगा. इसका अर्थ है कि फ्रांसिस १ पर चूँकि वह आखिरी पोप है, शैतान ऐसा नियन्त्रण रखेगा जैसा की पिछले सात राजाओं के स्तर पर नहीं देखा गया.
बाइबल में तुरही का फूँका जाना एक चेतावनी है. प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में तुरहियाँ यहुवाह की भीषण चेतावनियों को प्रदर्शित करती हैं यानि की सभी मनुष्यों की परिवीक्षा की अवधि समाप्त होने वाली है. यह तुरहियों के द्वारा है कि यहुवाह मानव जाति का ध्यान आकर्षण केन्द्रित करने का और हमारे विचारों को अन्त के आसपास रखने और अंतिम दया की बुलाहट को ग्रहण करने का प्रयास कर रहा है.
आज...क्या आप दया की बुलाहट को ग्रहण करेंगे? आपको केवल यह करना है की अपनी पापमय स्थिति को स्वीकार करना, और यहुशुआ के लिए आपकी तीव्र आवश्यकता को समझना है. उसको अपने जीवन का स्वामी और जगत का उद्धारकर्ता स्वीकार करें! चुनाव आपका है. यहुशुआ अभी भी इसी समय आपको अपने प्रेम और दया का निमन्त्रण दे रहा है!
“यहूदा में प्रचार करो और यरूशलेम में यह सुनाओ: पुरे देश में नरसिंगा फूँको; गला खोलकर ललकारो और कहो, आओ हम इकठ्ठे हों और गढ़ वाले नगरों में जाएँ! सिय्योन के मार्ग में झन्डा खड़ा करो, अपना सामान बटोर कर भागो, खड़े मत रहो, क्योंकि मैं उत्तर दिशा से विपत्ति और सत्यानाश ले आया हूँ.” (यर्मियाह ४:५-६)
“उसने नरसिंगे का शब्द सुना, परन्तु न चेता; इसलिए उसका खून उसी को लगेगा. परन्तु यदि चेत जाता तो अपना प्राण बचा लेता.” (यहेजकेल ३३:५)
देखिये विडिओ The Day Trumpet 3 Hits Earth
चौथी तुरही
पृथ्वी के निवासी तुरही १-३ के विनाशकारी प्रतिघात के साक्षी होने के बाद भी बहुतेरे ऐसे होंगे जो इन आपदाओं का पवित्र चेतावनी स्वीकार करने से इन्कार करेंगे. यह दिलचस्प बात है, जबकि आज बहुत से धार्मिक लोग व्यक्तिगत रूप में एलोहीम में विश्वास करते हैं. और मानते हैं कि उसके पास जो कुछ संसार में हो रहा है उसका पूर्ण नियन्त्रण है कुछ इस विश्वास की एक सीधी रेखा खींच लेते हैं कि यहुवाह प्रकृति का उपयोग हमें ईश्वरीय दण्ड और चेतावनी का सन्देश देने के लिए कर रहा है.
जब भी प्रलय कि घटनाओं और ईश्वरीय दण्ड या चेतावनी के बीच सम्बन्ध जोड़ा जाता है, बहुत से लोग इसे आक्रामक पाते हैं. टोक्यो का गवर्नर, शिनतारो इशिहारा, को हाल में मैग्नित्युड-९ भूकम्प को एक “ईश्वरीय दण्ड” कहने पर जापानी अहंकार के कारण क्षमा याचना करना पड़ा. जापान में हाल में ही हुए भूकम्प और tसुनामी के कारण, the Public Religion research Institute द्वारा एक सर्वे किया गया, जिसमे यह पाया गया कि कुछ ही हैं जो यह विश्वास करते है कि यहुवाह राष्ट्रों को दण्ड देता है या ये भूकम्प, बड़ी आंधी, बाढ़ और दूसरी प्राकृतिक आपदाएँ चिन्ह और चेतावनी सन्देश के अभिप्राय से हमारे प्रेमी स्वर्गीय पिता द्वारा भेजी गई हैं. आज बहुत से लोग प्रलय को अलौकिक चेतावनी के बजाय प्राकृतिक घटनाएँ मानना अधिक पसन्द करते हैं. इस प्रकार वे अभी हाल के प्रलयों की उग्रता को बाइबल की ‘अन्त समय’ की भविष्यवाणी का साक्ष्य न मानकर वैश्विक ऋतु परिवर्तन का साक्ष्य मानते हैं.
हम विश्वास करते है कि जब चौथी तुरही पृथ्वी पर फूँकी जाएगी, यह धारणा कि अधिकांश प्रलय ईश्वरीय के अपेक्षाकृत प्राकृतिक हैं, सदा के लिए बदल जाएगी. मानवता इन पृथ्वीप्लाव को जो वे वाकई हैं देखेगी: हमारे प्रेमी स्वर्गीय पिता की ओर से चेतावनी और ईश्वरीय दण्ड से अभिप्रेत हस्तक्षेप. क्योंकि सभी के द्वारा यह स्पष्ट देखा जाएगा कि चौथी तुरही, और इसी प्रकार, इसके पहले १-३ तुरहियाँ वाकई अत्यंत महत्वपूर्ण पवित्र चेतावनी और ईश्वरीय दण्ड थीं.
आइये हम पढ़ें जब चौथी तुरही पृथ्वी पर फूँकी जाएगी तब क्या होगा:
“चौथे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, और सूर्य की एक तिहाई, और चाँद की एक तिहाई और तारों की एक तिहाई पर आपत्ति आई, यहाँ तक कि उनका एक तिहाई अंग अन्धेरा हो गया और दिन की एक तिहाई में उजाला न रहा, और वैसे ही रात में भी.” (प्रकाशितवाक्य ८:१२)
जब चौथी तुरही फूँकी जाएगी, तब यहुवाह अपना ईश्वरीय दण्ड आकाशों पर और स्वर्ग से चमकने वाली ज्योतियों पर भेजेगा. वह प्रकाश के तीन प्राकृतिक स्त्रोतों की एक तिहाई पर वार करेगा. यह एक बहुत ही भयावह और भयंकर घटना होगी सूर्य दिन के १/३ भाग में पूर्णतः निष्प्रभ रहेगा और चाँद और तारे रात के १/३ में निष्प्रभ रहेंगे. इस स्तर पर कोई यह दावा करने योग्य नहीं रहेगा कि ये विनाशकारी अद्धुत घटना साधारण वैश्विक ऋतु परिवर्तन के परिणाम है सब आतंकित और अवाक् रहेंगे.
जब चौथी तुरही फूँकी जाएगी तब भविष्यवाणी के निम्न शब्द अक्षरशः पूरे होंगे:
“इस कारण सबके हाथ ढीले पड़ेंगे, और हर एक मनुष्य का हृदय पिघल जाएगा, और वे घबरा जाएँगे. उनको जच्चा की सी पीडाएं उठेंगी. वे चकित होकर एक दूसरे को ताकेंगे; उनके मुँह जल जाएँगे.” (यशायाह १३:७-८)
१-४ तुरहियों में गहन प्रतीकवाद है, जोकि इनमे लगातार १/३ सीधे रूप से प्रभावित हो रहा है. यह संकेत देता है कि इन ईश्वरीय दण्डों का प्रयोजन लोगों को चेतावनी देना और समय देना है ताकि इससे पहले कि यहुवाह का पूर्ण क्रोध परिवीक्षा समाप्ति के बाद अन्तिम ७ विपत्ति द्वारा उतरे वे पश्चाताप कर लेवें.
तुरहियाँ १-४ कितनी भयावह क्यों न हो, ये तुरहियाँ ५-७ की तुलना में कुछ भी नहीं हैं. अन्तिम तीन तुरहियाँ “हाय” कहलाती हैं क्योंकि उनका विध्वंस जबरदस्त और अवर्णनीय है.
हमारा स्वर्गीय पिता परिवीक्षा समाप्त होने के पहले हमें एक अन्तिम मौका देना चाहता है. बहुत से लोग अपने विचार और योजना में सांसारिक हैं. वे इसी ग्रह में जीने और मरने में खुश हैं,और उन्होंने अनन्त वास्तविकता को दूरस्थ प्राथमिकता में बदल दिया है. यह तब हो रहा है जब यहुवाह मानवता की परिवीक्षा को समाप्त करने जा रहा है, इस प्रकार, तुरहियाँ मनुष्यों को उनके आत्मिक नीरसता और अचेतनता को जागृत करने के लिए उसकी अन्तिम मौका है.
क्या आज आप अपने हृदय को यहुवाह को समर्पित करेंगे और अपने पापों का अंगीकार करेंगे? क्या आप उसे अपने हृदय और मस्तिष्क का स्वामी बनाएंगे? हमारे स्वर्गीय पिता ने हमें अनन्त जीवन का विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए जो वह कर सकता था किया. फिर भी हमारे लिए आवश्यक है कि हम उसके प्रस्ताव को स्वीकार करें और आने वाले जीवन तैयारी करें. इस हृदय और मस्तिष्क की तैयारी में समय लगेगा. जितनी जल्दी वह हमारे हृदय और जीवन को पाप और सांसारिकता से साफ करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दे, उतनी अधिक निश्चयता से हम शैतान द्वारा हमारे स्वर्ग की ओर यात्रा में लगाये गए अवरोध को पराजित कर सकेंगे.
“समय को पहिचानकर ऐसा ही करो, इसलिए कि अब तुम्हारे लिए नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है; क्योंकि जिस समय हमने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है. रात बहुत बीत गई है, और दिन निकलने पर है; इसलिए हम अंधकार के कामों को त्याग कर ज्योति के हथियार बांध लें. जैसा दिन को शोभा देता है, वैसा ही हम सीधी चल चलें, न कि लीलाक्रीडा और पियक्कड़पन में, न व्यभिचार और लुचपन में, और न झगड़े और डाह में. वरन प्रभु यहुशुआ को पहिन लो, और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो.” (रोमियो १३:११-१४)
देखिये विडिओ The Day Trumpet 4 Hits Earth
पाँचवी तुरही (पहली हाय)
अनजाना शैतानिक आक्रमण
“तब मैंने उन सातों स्वर्गदूतों को देखा जो यहुवाह के सामने खड़े रहते हैं, और उन्हें सात तुरहियाँ दी गई... तब स्वर्गदूत ने धूपदान लेकर उसमें वेदी की आग भरी और पृथ्वी पर डाल दी; और गर्जन और शब्द और बिजलियाँ और भूकम्प होने लगे. तब वे सातों स्वर्गदूत जनके पास सात तुरहियाँ थीं उन्हें फूँकने को तैयार हुए.” (प्रकाशितवाक्य ८:२,५-६)
स्वर्गदूतों ने पृथ्वी पर धूप को इस प्रतिक्रिया में उन्डेला “पवित्र लोगों की प्रार्थनाएँ” “जो यहुवाह के वचन के कारण वध किये गए” जिन्होंने पुकार कर कहा “हे स्वामी, हे पवित्र और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहने वालों से हमारे लहू का बदला कब तक न लेगा”? (प्रकाशितवाक्य ८:४,६:९,१०) इस प्रकार प्रस्तावना रूप में धूपदान का उन्डेला जाना यह दर्शाता है कि यह यहुवाह का अपने बच्चों के निमित्त प्रतिशोध का आरम्भ है. इस कार्य के द्वारा अन्त की घटनाओं का आरम्भ होगा जो आगे परिवीक्षा को समाप्त करेगा जब यहुशुआ, हमारा महायाजक, अपना मध्यस्थता का धूपदान अन्तिम बार नीचे उन्ड़ेलेगा और यहुवाह का बड़ा गर्जन भरा शब्द सुनाई देगा. “ हो चुका” (प्रकाशितवाक्य १६:१७)
तुरहियाँ १-४ बढ़ी हुई जागने के लिए पुकार है. जबकि तुरहियाँ ५-७ पहली चारों तुरहियों की उग्रता को बहुत अधिक उग्र होंगी; इसीलिए इन्हें “हाय” कहा जाता है.
“जब मैंने फिर देखा, तो आकाश के बीच में एक उकाब को उड़ते और ऊँचे शब्द से यह कहते सुना, “उन तीन स्वर्गदूतों की तुरही के शब्दों के कारण, जिनका फूंकना अभी बाकी है, पृथ्वी के रहने वालों पर हाय,हाय,हाय!” (प्रकाशितवाक्य ८:१३)
हमें पहले ही चेतावनी दे दी गई है कि, इन अन्तिम दिनों में शैतान इनके साथ कार्य करेगा “सब प्रकार की झूठी सामर्थ, और चिन्ह, और अदभुत काम के साथ, और नाश होने वालों के लिए अधर्म के सब प्रकार के धोखे के साथ होगा”? (२थिस्लुनियो २:९-१०) इसके प्रकाश में, आइए हम पाँचवी तुरही – पहली हाय के वर्णन की समीक्षा करें:
“जब पाँचवे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो मैंने स्वर्ग से पृथ्वी पर एक तारा गिरता हुआ देखा, और उसे अथाह कुण्ड की कुँजी दी गई. उसने अथाह कुण्ड को खोला...” (प्रकाशितवाक्य ९:१-२)
पाँचवी तुरही कालानुक्रमिक क्रम में १-४ तुरहियों के पूरा हो जाने के बाद फूँकी जाएगी. हम आशा करते हैं की इसका फूँका जाना पोप फ्रांसिस १ प्रकाशितवाक्य १७ का आठवा राजा के पूर्व शासनकाल में होगा. धर्मशास्त्र “अथाह कुण्ड” की परिभाषा गिराए गए स्वर्गदूतों का बंदीगृह बताता है.
“ और उन्होंने [सेना क्योंकि बहुत दुश्तात्माएँ उस गिरासोनिया के आदमी में पैठ गईं थीं] उससे [यहुशुआ] बिनती की कि हमें अथाह कुण्ड में जाने की आज्ञा न दे” (लूका ८:३१)
लूका ८:३१ में “abyss” और प्रकाशितवाक्य ९:१और १७:८ में “अथाह कुण्ड” दोनों एक ही ग्रीक शब्द abussos से हैं अतः जब शैतान को “अथाह कुण्ड की कुँजी दे दी जाएगी” इसका अर्थ है कि उसके पास गिराए गए स्वर्गदूतों को मुक्त करने का सीमित प्राधिकार होगा ताकि वे उसके साथ अन्तिम धोखे में सम्मिलित हो सकें. याद रखिए, जब शैतान गिराया गया, उसके साथ कुल स्वर्गदूतों में से १/३ भी गिराए गए क्योंकि वे उसके झूठ पर विश्वास करते थे. (प्रकाशितवाक्य १२:४)
“उसने अथाह कुण्ड को खोला, और कुण्ड में से बड़ी भट्टी का सा धुआँ उठा, और कुण्ड के धुएँ से सूर्य और वायु अंधकारमय हो गए. उस धुएँ में से पृथ्वी पर टिड्डियाँ निकलीं, और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं की सी शक्ति दी गई...” (प्रकाशितवाक्य ९:२-३)
यह प्रगट करता है कि इन शैतानों का आक्रमण इतना विशाल और सघन होगा कि सूर्य और वातावरण वैश्विक तौर पर अंधकारमय हो जाएगा... “भट्टी का सा धुआँ” इन “टिड्डियों” का वर्णन पढ़ते समय, हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि अच्छे स्वर्गदूतों के समान, इन शैतानों (गिराए गए स्वर्गदूतों) के पास भी यह योग्यता है कि वे अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी भौतिक रूप ले सकते है ताकि अपने प्रयोजन को पूरा कर सकें.
“यह कुछ अचम्भे कि बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिर्गमय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है. इसलिए यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कोई बात नहीं, परन्तु उनका अन्त उनके कामों के अनुसार होगा” (२कुर्न्थियो ११:१४-१५)
“उन टिड्डियों का आकार लड़ाई के लिए तैयार किये हुए घोड़ों जैसे थे, और उनके सिरों पर मानो सोने के मुकुट थे; और उनके मुँह मनुष्यों के से थे. उनके बाल स्त्रियों के बाल जैसे और दांत सिंहों के दांत जैसे थे. वे लोहे की सी झिलम पहिने थे; और उनके पंखों का शब्द ऐसा था जैसा रथों और बहुत से घोड़ों का जो लड़ाई में दौड़ते हों.” (प्रकाशितवाक्य ९:७-९)
इन अथाह कुण्ड के शैतानों का रूप सदृश्य होगा
- मनुष्यों का मुँह
- स्त्रियों के बाल
- सिंहो के दांत
- बिच्छुओं की पूँछ
- लोहे की झिलम
- उनके उड़ने से तीव्र
ध्वनि होगी
इन टिड्डियों का वर्णन प्रतिदिन संतृप्त हो
रही जनता के लिए पहले से न सोचा गया
आश्चर्यजनक रूप से काल्पनिक अनजान
सदृश्य होगा. इस प्रकार शैतान हालीवुड के द्वारा जन-साधारण को न्यूज मीडिया की मुख्यधारा से भी अधिक सूक्ष्म रूप से अनुकूलन कर रहा है. हमें इस निष्कर्ष पर पहुँचना चाहिए की शैतान के समस्त छल की माता का आरम्भ अथाह कुण्ड से शैतानों के अनजाने रूप में मानवता को हानि पहुँचाने के उद्धेश्य से निकलकर पृथ्वी पर आक्रमण करने से होगा.
अब हजारों वर्षों से शैतान इस छलपूर्ण आक्रमण की तैयारी कर रहा है कि पृथ्वी के निवासी इस गलत धारणा को स्वीकार करें कि सृष्टि में और भी परग्रही जाति और प्राणी हैं. इस कारण शैतान बृहद परिमाण में उन लोगों के धार्मिक विश्वास को हिलाने में सफल होगा जिन्होंने इस गलत शिक्षा के साथ आत्मसात किया है. लगभग सम्पूर्ण विश्व यह विश्वास करेगा कि हम पर शैतान के शैतानिक दूतों का नहीं परन्तु किसी बाहरी अन्तरिक्ष के अनजाने लोगों का आक्रमण हों रहा है.
“. . . और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं की सी शक्ति दी गई .....उन्हें लोगों को मार डालने का तो नहीं पर पांच महीने तक पीड़ा देने का अधिकार दिया गया: और उनकी पीड़ा इसी थी जैसे बिच्छू के डंक मारने से मनुष्य को होती है.” (प्रकाशितवाक्य ९: ३,५)
ये अनजाने शैतान मनुष्यों को अपनी पूँछ से डंक मार कर पीड़ित करेंगे, और जो लक्षण अनुभव किये जाएँगे वे बिच्छुओं के जहरीले विष के समान होंगे. बिच्छुओं के डंक के लक्षण में : जलता हुआ दर्द, दम घुटने की अनुभूति, तीव्र सांसों का चलना, संवेदनशून्यता, बात करने वाक्य बनाने में कठिनाई, मांस-पेशियों की ऐंठन, फडकन और/या कमजोरी.
“उन दिनों में मनुष्य मृत्यु को ढूंढेंगे और न पाएँगे वे मरने की लालसा करेंगे, और मृत्यु उनसे भागेगी... उनकी बिच्छुओं के समान पूँछ, और उनकी पूँछ पर डंक थे उनके पास मनुष्यों को पांच महीने तक पीड़ा देने का अधिकार था” (प्रकाशितवाक्य ९:६,१०)
यह पीड़ा ५ महीनों तक चलेगी (१५०दिन). बहुतेरे इस यातना को झेलने के बजाय, अपने जीवन को समाप्त करना चाहेंगे पर नहीं कर पायेंगे. लेकिन जिन्होंने यहुवाह को अपना शरणस्थान बना लिया है उनके लिए सुरक्षा है.
“उनसे [टिड्डियों] कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली, न किसी पेड़ को हानि पहुंचाए, केवल उन मनुष्यों को हानि पहुंचाए जिनके माथे पर यहुवाह की मुहर नहीं है” (प्रकाशितवाक्य ९:४)
यहुवाह इन शैतानिक अनजानों को उन लोगों को जिनके पास उसकी मुहर है हानि पहुंचाए जाने से रोक देगा. यह मुहर उन्हें दी जाएगी जो अपना जीवन पूरी तरह से उसकी समरूपता में जी रहे हैं. शैतानिक अनजाने लोग किसी फसल या पेड़ों को हानि नहीं पहुँचाएँगे.
“अथाह कुण्ड का दूत उन पर राजा था; उसका नाम इब्रानी में अबद्धोन, और यूनानी में अपुल्ल्योंन है” (प्रकाशितवाक्य ९:११)
“जो पशु तुने देखा है, वह पहले तो था पर अब नहीं है, और अथाह कुण्ड से निकलकर विनाश में पड़ेगा; और पृथ्वी के रहने वाले जिनके नाम जगत कि उत्पत्ति के समय से जीवन कि पुस्तक में नहीं लिखे गए इस पशु की यह दशा देखकर कि पहले था और अब नहीं है और फिर आ जाएगा .... जो पशु पहले था, और अब नहीं है, वह आप आठवां है और उन सातों से उत्पन्न हुआ, और विनाश में पड़ेगा.” (प्रकाशितवाक्य १७:८,११)
प्रकाशितवाक्य १७ हमें बताता है कि जब सातवें राजा के छोटे शासनकाल का अन्त होगा, इसके तुरंत बाद आठवें राजा का शासन आरम्भ होगा. वह शासन करने वाला आखिरी राजा/पशु होगा. हम अपनी आँखों के सामने बेनेडिक्ट XVI के चौंका देने वाले त्यागपत्र की घोषणा, सातवे राजा के शासन के अन्त को देख रहे हैं. पोप फ्रांसिस १ प्रकाशितवाक्य का आठवां राजा है; वह आखरी पोप है और वह नरक वास में जाएगा.
आठवें राजा पर शैतान का पूर्णत: नियन्त्रण होगा, और वह अकेला मानव होगा जो पृथ्वी पर अन्त में शैतानिक हमले के समय समझौता वार्ता करने के योग्य समझा जाएगा. परिणामस्वरूप वह शैतान द्वारा इच्छित “संसार का मुक्तिदाता” की पोजीशन को पाएगा, उसे संसार के नेताओं पर पूर्ण अधिकार देते हुए की वे वैश्विक रविवार के नियम को लागु करे ताकि मिथ्या कैलेण्डर पर आधारित मिथ्या सब्त को बढ़ावा मिले. हम १-४ तुरहियों की भयानक यातनाओं और ५वि तुरही (१लि विपत्ति) की डरावनी पीडाओं का अधिमुल्यांकन नहीं कर सकते. अभी, “पहली विपत्ति बीत चुकी, देखो, अब इसके बाद दो विपत्तियाँ और आने वाली हैं.” (प्रकाशितवाक्य ९:१२)
आज जब हम यहुवाह को अपने हृदय का शासक होने के लिए चुन लेते हैं तो हमारे पास मौका है की हम उसकी वाचा की सुरक्षा की मुहर को पा सकें. अपने सच्चे अनुनायियों के लिए यहुवाह बार-बार निम्न बहुमूल्य वाचाओं की पुष्टि करता है.
“मत डर क्योंकि मैंने तुझे छुड़ा लिया है; मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है, तू मेरा ही है. जब तू जल में होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूँगा और जब तू नदियों में होकर चले तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी. क्योंकि मैं यहुवाह तेरा एलोहीम इस्राएल का पवित्र मैं तेरा उद्धारकर्ता हूँ.... मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझसे प्रेम रखता हूँ इस कारण मैं तेरे बदले मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य-राज्य के लोगों को दे दूंगा. मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ.” (यशायाह ४३:१-५)
क्या आप यहुवाह की मुहर पाने का चुनाव करेंगे? क्या आप उसकी दया की अन्तिम बुलाहट को स्वीकार करेंगे जो कि अब भी सम्भव है?
“यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मन को कठोर न करो.” (इब्रानियों ३:७-८)
Watch the video: Demonic Invasion of 1st Woe (Trumpet 5)
छटवी तुरही ( दूसरी हाय )
छटवीं तुरही के गहन शोध के पहले आइए हम पाँचवी तुरही पर चलें. पाँचवी तुरही (पहली हाय) के द्वारा – संसार पर पांच महीनों तक अनजाने लोगों के रूप में शैतान द्वारा आक्रमण होगा. पांच महीनों के समाप्त होते-होते संसार को यह विश्वास करने के लिए अनुकूल कर लिया जाएगा कि इस भयानक अनजाने आक्रमण को समाप्त किया जाना केवल आठवां राजा पोप फ्रांसिस १ के सीधे हस्तक्षेप से ही सम्भव है. फ्रांसिस अनजान लोगों से उनके आक्रमण के समाप्त करने के लिए समझौता करेगा. वे एक निश्चित दिन पर छोड़ने के लिए राजी हो जाएँगे ( उनके आक्रमण के ठीक ५ महीने के बाद, जैसा कि बाइबल में प्रकाशितवाक्य ९:५ में भविष्यवाणी की गई है.) जब अनजाने लोग अपना आक्रमण समाप्त कर देंगे, संसार के नेता पोप फ्रांसिस का संसार के मुक्तिदाता के रूप में जयजयकार करेंगे और सहर्ष “अपना अधिकार उस पशु को दे देंगे.” (प्रकाशितवाक्य १७:१३)
३ १/२ वर्षों का आरम्भ तब होगा जब पाँचवी तुरही के तुरन्त बाद रविवार को क़ानूनी रूप से गौरवान्वित किया जाएगा और इसका अन्त मनुष्यों की परिवीक्षा अवधि की समाप्ति के साथ छटवीं तुरही के फूँके जाने के तुरन्त बाद होगा. यह अवधि यहुवाह के लोगों और संसार दोनों के लिए बहुत ही कठिनाई की होगी.
“..तब ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने से लेकर अब तक कभी न हुआ होगा...” (दानिएल १२:१)
यहुवाह के विश्वासी, इस समय में “टाट का वस्त्र” में “भविष्यवाणी” करेंगे. (तुरहियों और महामारियों के आने की चेतावनी और पश्चाताप की अपील) (टाट का वस्त्र अत्यन्त कठिन परिस्थिति और सताव को प्रदर्शित करता है जिसका उस समय यहुवाह के विश्वासी लोग सामना करेंगे) चूँकि उन्होंने तुरहियों की भविष्यवाणी दी गई इसलिए वे तुरहियों के परिणामस्वरूप हुई विपत्तियों के लिए उत्तरदायी होंगे.
रविवार के नियम को न मानने का दण्ड उत्तरोतर बढ़ते जाएगा जिससे यहुवाह के लोगों को उसके चन्द्र-सौर्य कैलेन्डर के अनुसार सातवें दिन सब्त का मानना कठिन होगा. फलस्वरूप, यहुवाह के सच्चे सब्त का बचाव करने में बहुत से लोग शहीद हो जायेंगे. निम्न कारणों से पाँचवी तुरही के अन्त और छटवीं तुरही के आरम्भ बीच कुछ वर्षों का अन्तर होगा: ३ १/२ वर्षों की अवधि का आरम्भ ५वि तुरही के बाद होगा जब ८वाँ राजा पोप फ्रांसिस वैश्विक रूप से रविवार के दिन को मनाये जाने को लागू करने में सफल होगा, और यह सातवीं तुरही के ठीक पहले परिवीक्षा की अवधि के खत्म होने साथ समाप्त होगा.
छटवीं तुरही एक घंटे में होगी इसके बाद सातवीं तुरही जल्दी आएगी (प्रकाशितवाक्य ११:१४) इसका अर्थ यह है कि पाँचवी तुरही के अन्त और छटवीं तुरही के आरम्भ में लगभग ३ १/२ वर्षों का अन्तराल होगा. जब हमारे ग्रह पर छटवीं तुरही फूँकी जाएगी, तब फ्रांसिस १ द्वारा घोषणा की जाएगी कि वैश्विक रूप से रविवार के नियम को लागू करने में स्वर्गीय अनुमोदन नहीं प्राप्त हो रहा है क्योंकि कुछ सिरफिरों की गौण गतिविधियों द्वारा चन्द्र सब्त का पालन बनाए रखने, और ग्रेगोरियन रविवार की भर्त्सना की जा रही है.
अब आइए हम छटवीं तुरही (दूसरी हाय) में शोध करे.
“जब छटवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो सोने की वेदी जो यहुवाह के सामने है उसके सींगों में से मैंने ऐसा शब्द सुना, मानो कोई छटवें स्वर्गदूत से जिसके पास तुरही थी, कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फुरात के पास बंधे हुए हैं खोल दे” (प्रकाशितवाक्य ९:१३-१४)
ये स्वर्गदूत जो फुरात नदी के पास बन्धे हैं कौन हैं? ये स्वर्ग के दूत नहीं हैं क्योंकि स्वर्ग के दूत कभी “बन्धे” नहीं होते. उसके वचन के अध्ययन से हम जानते हैं कि गिराए गए स्वर्गदूत अदृश्य “अथाह कुण्ड” में बन्धे हुए हैं. अत: हम बाइबल से इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि बड़ी नदी फुरात ही बंदीगृह है जहाँ प्रधान गिराए गए स्वर्गदूत अथाह कुण्ड में बन्दी रखे गए हैं.
“वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिए मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किये गए थे उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी.” प्रकाशितवाक्य (९:१५-१६)
छटवीं तुरही की भविष्यवाणी का समय एकदम निश्चित है: एक निश्चित घंटे में, एक वर्ष के एक माह में, एक निश्चित दिन में, बीस करोड़ शैतानों की अगुवाई कर रहे चार प्रधान दूतों द्वारा संसार की जनसंख्या का एक तिहाई का नरसंहार किया जाएगा. सिर्फ एक घंटे के अन्तराल में शैतान बीस करोड़ शैतानों की अपनी बड़ी सेना का उपयोग कर सार्वभौमिक लहू स्नान की रचना करेगा.
एक घंटे में मनुष्यों की मृत्यु दर दो बिलियन से अधिक होगी. चूँकि ३ १/२ वर्ष का अन्त परिवीक्षा की समाप्ति का संकेत करता है, यह निष्कर्ष स्वाभाविक है कि यहुवाह अभी जीवित आत्माओं की एक तिहाई का नरसंहार तब तक नहीं होने देगा जब तक कि परिवीक्षा की समाप्ति बहुत नजदीक न हो. इसीलिए हम निश्चित हैं कि वैश्विक नरसंहार घटित होने का समय ३ १/२ वर्ष की अवधि के अन्त के पास होगा.
“मुझे इस दर्शन में घोड़े और उनके ऐसे सवार दिखाई दिए जिनकी झिलमें आग, और धुम्रकांत, और गन्धक की सी थीं, और उन घोड़ों के सिर सिंहों के सिर के समान थे; और उनके मुँह से आग, धुआं और गन्धक निकलते थे इन तीनों महामारियों अर्थात् आग और धुएँ और गन्धक से, जो उनके मुँह से निकलते थे मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई क्योंकि उन घोड़ों की सामर्थ्य उनके मुँह और उनकी पूंछों में थी; इसलिए की उनकी पूंछें सापों जैसी थीं, और उन पूंछों के सिर भी थे और इन्हीं से वे पीड़ा पहुचाते थे.” (प्रकाशितवाक्य ९:१७-१९)
शैतानों की इस सेना की शारीरिक बनावट पाँचवी तुरही की सेना से भिन्न होगी. ये शैतान घुड़सवारों के समान दिखाई देंगे, उनके सिर सिंहों के समान होंगे, पूंछें सापों के समान, और आग, धुआँ, और गन्धक उनके मुँह से निकलेगा. यह आग, धुआँ और गन्धक है जो एक तिहाई मानवता को मिटा डालेगा.
“बाकी मनुष्यों ने जो उन मरियों से न मरे थे, अपने हाथों के कामों से मन न फिराया, कि दुष्टात्माओं की, और सोने और चाँदी और पीतल और पत्थर और काठ की मूर्तियों की पूजा न करें जो न देख, न सुन, न चल सकती हैं; और जो खून और टोना, और व्यभिचार, और चोरी उन्होंने की थी, उनसे मन न फिराया.” (प्रकाशितवाक्य ९:२०-२१)
खेद है कि शेष दो-तिहाई मानवता यहुवाह की दया की अन्तिम बुलाहट की उपेक्षा करते हुए बगावत करना जारी रखेगी. छटवीं तुरही के स्थायी होने के बाद, और कौन सी शक्तिशाली जागरण की बुलाहट हमारा दयालु पिता हमें परिवीक्षा की समाप्ति के पहले दे सकता है? हमारे अचेत विद्रोह के कारण हम अपनी नियति पर मुहर लगा देंगे और सातवीं तुरही (तीसरी हाय) की मार से अभिशप्त होंगे जो कि बिना दया के उन्डेली जाएगी.
“दूसरी विपत्ति बीत चुकी; देखो, तीसरी विपत्ति शीघ्र आने वाली है.” (प्रकाशितवाक्य ११:१४)
“एलोहीम हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक. इस कारण हमको कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ; चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे, एक नदी है, जिसकी नहरों से एलोहीम के नगर में आनन्द होता है, परमप्रधान के पवित्र निवास स्थान में, उस नगर के बीच में है; वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही उसकी सहायता करता है. जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई. सेनाओं का एलोहीम हमारे संग है; याकूब का एलोहीम हमारा ऊँचा गढ़ है. आओ एलोहीम के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है. वह पृथ्वी कि छोर तक की लड़ाईयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है; ओर रथों को आग में झोंक देता है. चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही एलोहीम हूँ. मैं जातियों में महान हूँ. मैं पृथ्वी भर में महान हूँ. सेनाओं का एलोहीम हमारे संग है याकूब का एलोहीम हमारा ऊँचा गढ़ है. (भजन ४६)
देखिये विडिओ : Demonic Massacre of 2nd Woe (Trumpet 6)
सातवी तुरही (३रि हाय)
पहली छह तुरहियों के दौरान, यहुवाह ने सभी जीवित मनुष्यों को मानवीय परिवीक्षा के अनन्तकाल के लिए समाप्त होने के पूर्व उद्धार को ग्रहण करने के लिए अन्तिम मौका दिया. ये छह तुरहियाँ (अन्तिम सात महामारियों से भिन्न) दया के साथ मिश्रित हैं क्योंकि लक्ष्य का एक तिहाई ही प्रभावी हुआ है.
“बाकी मनुष्यों ने जो उन मरियों से न मरे थे, अपने हाथों के कामों से मन न फिराया...” (प्रकाशितवाक्य ९:२०-२१)
संसार को जगाने के प्रयास में, स्वर्ग इससे अधिक क्या दे या प्रस्तुत करे जो यहुवाह के एकलौते पुत्र यहुशुआ के अनन्त बलिदान में अभी तक नहीं हुआ है?
“हाँ हे मेरे सर्वशक्तिमान यहुवाह, तेरे निर्णय ठीक और सच्चे हैं.” (प्रकाशितवाक्य १६:७)
पहली छह तुरहियों की चेतावनियों पर लगातार विद्रोह और अस्वीकार करते हुए, मानवता वास्तव में यहुवाह को परिवीक्षा समाप्ति के लिए चुनौती को प्रभावी करेगी.
“जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है वह मलिन ही बना रहे; और जो धर्मी है वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है वह पवित्र बना रहे.” (प्रकाशितवाक्य २२:११)
अपश्चातापी अन्तिम सात महामारियों का स्वाद चखने के लिए तैयार रहेंगे- तीसरी और अन्तिम हाय.
“दूसरी विपत्ति बीत चुकी; देखो, तीसरी विपत्ति शीघ्र आने वाली है.” (प्रकाशितवाक्य ११:१४)
“जब सातवे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, तो स्वर्ग से इस विषय के बड़े बड़े शब्द होने लगे जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया और वह युगानुयुग राज्य करेगा.” (प्रकाशितवाक्य ११:१५)
जब सातवी तुरही फूँकी जाएगी इस संसार का राज्य यहुशुआ का हो जाएगा, यह दर्शाते हुए कि शैतान और यहुवाह के बीच विवाद अब खत्म हो गया और यहुशुआ अब अपनी सामर्थ्य में आता है. फिर भी इन तुरहियों की तुलना करने पर हम देखते हैं कि प्रत्येक आनेवाली तुरही पहले वाली से अधिक बुरी है और इस प्रकार सातवीं तुरही के परिमाण को अत्यन्त गम्भीर बना देती है. चूँकि सातवीं तुरही अपने परिमाण में सबसे बुरी है और दूसरे आगमन के कुछ पहले ही आती है; और सात महामारियाँ जो परिमाण में सबसे बुरी हैं और दूसरे आगमन के कुछ पहले आती है, हम इस निष्कर्ष में पहुंचते हैं कि सातवी तुरही सात महामारियाँ होना चाहिए.
हमने बाइबल से इन सात महामारियों के बारे में जो सीखा वह निम्न है:
ये परिवीक्षा की समाप्ति के बाद उन्डेली जाएँगी; इसलिए ये बिना दया के होंगी. “....क्योंकि उनके अंदर भरा हुआ यहुवाह का प्रकोप है.” (प्रकाशितवाक्य १५:१) “....वह यहुवाह के प्रकोप की मदिरा, जो उसके क्रोध के कटोरे में पूर्ण शक्ति के साथ डाली गई” (प्रकाशितवाक्य १४:१०)
ये जल्दी आरम्भ और खत्म होंगी. दानिएल और प्रकाशितवाक्य से हम सीखते है कि पाँचवी तुरही के अन्त और सातवीं तुरही के विस्फोट तक कि अवधि लगभग ३ १/२ वर्ष होगी. तथापि, इन अन्तिम सात महामारियों की अवधि सिर्फ ३० दिनों को होगी (दानिएल १२:११), ठीक पवित्र वर्णन के क्रम में कि उनको कटोरे से उंडेला जाएगा (प्रकाशितवाक्य १५:७)
ये सार्वभौमिक नहीं होंगी, अन्यथा बाकी सब दुष्ट दूसरे आगमन के पहले ही मर जाएँगे. तौभी, पहली छह तुरहियाँ इन महामारियों की उग्रता की तुलना में फीकी होंगी.
जीवित धर्मी (१४४००० संख्या में) भी इन महामारियों का अनुभव करेंगे. “वे फिर भूखे प्यासे न होंगे; और न उन पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी.” (प्रकाशितवाक्य ७:१६) तौभी जब दुष्ट लोग भूख और महामारी से मर रहे होंगे, स्वर्गदूत १४४००० लोगों को ढँक लेंगे और उनकी आवश्यकता को पूरा करेंगे. उनके लिए जो “धार्मिकता में चलते है” वाचा है, “ उसे रोटी दी जाएगी; उसे पानी की घटी कभी न होगी. (यशायाह ३३:१५-१६)
संसार जो यह देख रहा है वह अन्तिम सात महामारियों के यहुवाह के द्वारा उन्डेले जाने की गवाही देगा.
“हाँ हे सर्वशक्तिमान प्रभु यहुवाह, तेरे निर्णय ठीक और सच्चे हैं.” (प्रकाशितवाक्य १६:७)
स्थिर जगत यह गवाही देगा कि दुष्टों पर सात महामारियों के उन्डेले जाने के बाद भी, उनके हृदय पहले से अधिक कठोर हो गए.
“मनुष्य बड़ी तपन से झुलस गए, और यहुवाह के नाम की जिसे इन विपत्तियों पर अधिकार है, निंदा की पर उसकी महिमा करने के लिए मन न फिराया.” (प्रकाशितवाक्य १६:९)
बहुत से जीवित धर्मी (१४४०००) या तो जेल में या किसी एकांत शरणस्थान में संसार के सम्मुख उनके विरुद्ध मृत्युदंड के आदेश के लिए पवित्र सुरक्षा की वकालत करते हुए पाए जाएँगे. झूठे चरवाहों और उस पशु द्वारा दुष्ट लोगों को यह दृढ विश्वास दिलाया जाएगा कि धर्मियों द्वारा रोम के उपासना के मिथ्या दिन को मानने से इन्कार करने के कारण ही ये तुरहियाँ और महामारियाँ हैं. रोम और उसके मित्रों द्वारा यह प्रोत्साहित किया जाएगा कि स्वर्गीय अनुग्रह को फिर से पाने के लिए एकमात्र रास्ता है कि इन १४४००० पर एक घातक धावा द्वारा छुटकारा पाया जाए.
इस दुःख और परेशानी के समय जो क्लेश इन १४४००० को भोगना पड़ेगा इसका वर्णन ... “यह याकूब के संकट का समय होगा.” (यर्मियाह ३०:५-७) कोई भी वर्णन पर्याप्त नहीं होगा की किस परिमाण में १४४००० लोग स्वर्गीय शरणस्थान में यहुशुआ की मध्यस्थता के अभाव में अकेले भोगेंगे. यह समान प्रकृति का होगा लेकिन इसका परिमाण उतना नहीं होगा जितना कि यहुशुआ ने अपने पिता का मुँह उससे फेर लेने पर अनुभव किया.
सात महामारियों के उन्डेले जाने के पहिले धर्मी लोगों को खरीद-फरोख्त के अधिकार से मना कर दिया जाएगा.
कि उनको छोड़ जिस पर छाप अर्थात् उस पशु का नाम या उसके नाम का अंक हो, अन्य कोई लेन-देन न कर सके.” (प्रकाशितवाक्य १३:१७)
उनका रोम के मिथ्या उपासना दिवस के आदर करने से इन्कार, और यहुवाह के कैलेन्डर और उसके पवित्र दिनों के अनादर से इन्कार उनकी संसार से दुश्मनी उपार्जित करेगा. “पशु की छाप” को ग्रहण न करने की धर्मियों को यही कीमत चुकानी पड़ेगी. तौभी, यहुवाह अपने लोगों के विरुद्ध की गई कार्यवाही का पलटा लेगा, और सात महामारियों के दौरान सारे वैश्विक व्यापार में ठहराव आ जाएगा:
“पृथ्वी के व्यापारी उसके लिए रोएँगे और कलपेंगे, क्योंकि अब कोई उनका माल मोल न लेगा..” (प्रकाशितवाक्य १८:११)
महामारियो के तीस दिनों के दौरान, पापी धीरे-धीरे इस वास्तविकता से सचेत होंगे कि धर्मियों की अलौकिक रूप से देख-रेख की जा रही है. यह उनके लिए सचमुच में रोम और उसके मित्रों द्वारा छल और धोखा किये जाने का आरम्भ होगा, जिन्होंने यह वादा किया था कि यदि संसार उन लोगो से जो रोम के मिथ्या कैलेन्डर और मिथ्या दिन को मानने से इन्कार करते है से छुटकारा पा ले तो वे समृद्धि और स्वर्गीय अनुग्रह पाएँगे. सांसारिक लाभ और भौतिक समृद्धि की आशा जिसे सुरक्षित करने के लिए उन्होंने सब कुछ बलिदान कर दिया अपने सच्चे प्रकाश और कीमत में दिखाई देती है.
उस समय जो निराशा और तड़प दुष्टों को निगल लेगी उसका वर्णन सजीवतापूर्वक किया गया है:
“बाहर तलवार और भीतर महँगी और मरी हैं; जो मैदान में हो वह तलवार से मरेगा, और जो नगर में हो वह भूख और मरी से मारा जाएगा. उन में से जो बच निकलेंगे वे बचेंगे तो सही परन्तु अपने अपने अधर्म में फँसे रहकर तराईयों में रहने वाले कबूतरों के समान पहाड़ों के ऊपर विलाप करते रहेंगे . सब के हाथ ढीले औए सब के घुटने अति निर्बल हो जाएँगे. वे कमर में टाट कसेंगे, और उनके रोएँ खड़े होंगे, सब के मुँह सूख जाएँगे औए सब के सिर मुंडे जाएँगे. वे अपनी चाँदी सड़कों पर फेंक देंगे, और उनका सोना अशुद्ध वस्तु ठहरेगा; यहुवाह कि जलन के दिन उनका सोना चाँदी उनको बचा न सकेगी, न उससे उनका जी संतुष्ट होगा, न उनके पेट भरेंगे. क्योंकि वह उनके अधर्म के ठोकर का कारण हुआ है.” (यहेजकेल ७:१५-१९)
३ १/२ दिन की सीमा रेखा, जो दुष्टों द्वारा १४४००० धर्मियों को यहुवाह के सच्चे सातवें दिन सब्त की अधीनता को छोड़ने के लिए, दी जाएगी, सात महामारियों के उन्डेले जाने के लिए निश्चय की गई ३० दिनों की अवधि के अन्त में होगी. ३०वें दिन तक, पहली छह महामारियाँ संसार पर उन्डेली जा चुकी होंगी, और दुष्ट अब १४४००० पर सार्वभौमिक मृत्यु आदेश लागू करने के लिए तैयार होंगे. उस क्षण जब दुष्ट लोग उन १४४००० पर झपट्टा मारने के लिये बेसब्री से इंतजार कर रहे होंगे, यहुवाह का शब्द बहुत से झरनों के समान बड़ी गर्जन के साथ दुष्टों पर यह कहते हुए उतरेगा:
“पूरा हुआ.” (प्रकाशितवाक्य १६:१७)
यहुवाह का शब्द न सिर्फ स्वर्ग और पृथ्वी को हिला देगा, परन्तु सातवीं महामारी के शक्तिशाली भूकम्प को सक्रिय करेगा जैसे “और एक ऐसा बड़ा भूकम्प आया कि जबसे मनुष्य की उत्पत्ति पृथ्वी पर हुई, तबसे ऐसा बड़ा भूकम्प न आया था” (प्रकाशितवाक्य १६:१८) यह भूकम्प मनुष्यों द्वारा निर्मित सभी शहरों में समस्त संरचना को सपाट कर देगा.
सातवी अन्तिम महामारी- बड़ा भूकम्प जो यहुवाह के शब्द द्वारा सक्रिय जिससे १४४००० धर्मियों के दुष्टों के हाथ से छुड़ाए जाने के बाद- ४५ दिनों की अवधि का आरम्भ होगा जो यहुशुआ के दूसरे आगमन के साथ समाप्त होगा. पृथ्वी के इतिहास में इस अन्तिम अवधि के दौरान, धर्मी लोग गौरवान्वित होंगे जब यहुवाह दुष्टों को बाध्य करेगा कि...
“वे आकर तेरे पैरों पर गिरेंगे, और यह जान लेंगे कि मैंने तुझसे प्रेम रखा है.” (प्रकाशितवाक्य ३:९)
संसार के अगुए (१० राजाओं द्वारा प्रतिनिधित्व) जिन्हें “अपनी अपनी सामर्थ्य और अधिकार” (प्रकाशितवाक्य १७:१३) उस पशु को समर्पण में धोखा दिया गया, वे अब अपना क्रोध और शक्ति को निर्देशित करेंगे...
“वे और पशु उस वेश्या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे, और उसका मांस खा जाएँगे और उसे आग में जला देंगे. क्योंकि यहुवाह उनके मन में यह डालेगा कि वे उनकी मंशा पूरी करें, और जब तक यहुवाह के वचन पूरे न हो लें तब तक एक मन होकर अपना अपना राज्य पशु को दे दें.” प्रकाशितवाक्य १७:१६-१७)
हम विश्वास करते हैं कि किसी भी क्षण पहली तुरही फूँकी जाने वाली है इसके शीघ्र अनुक्रमण में अगली चारो तुरहियाँ- क्योंकि हम अब प्रकाशितवाक्य १७ का आठवां राजा अंतिम पोप के अधीन रह रहे हैं.
तुरहियों का एकमात्र उद्धेश्य यह है कि मानवता को जगाने के लिए एक अन्तिम बुलाहट दी जाए इससे पहले की यहुवाह पृथ्वी पर से अपनी आत्मा को पूर्णत: हटा ले और प्रत्येक जीवित आत्मा के भाग्य पर मुहर लगा दे. संसार अभी अनोखी प्रलय की घटनाओं को देखने की कगार पर है जिसके द्वारा यहुवाह सभी लोगों के ध्यान को केन्द्रित करेगा.
“क्योंकि उनके प्रकोप का भयानक दिन आ पहुंचा है, अब कौन ठहर सकता है?” (प्रकाशितवाक्य ६:१७)
आज, जबकि हमारा महायाजक हमारे लिये प्रायश्चित कर रहा है, यह हमारे लिये मौका है कि हम अपने वस्त्रों को मेमने के लहू में धोकर सफेद कर लें ताकि हम यहुशुआ के प्रायश्चित के लहू में विश्वास के द्वारा पाप से अलग हो जाएँ. बहुमूल्य मुक्तिदाता आपको आमंत्रित करता है कि उसके साथ सम्मिलित हो जाएँ, अपनी कमजोरी को उसकी शक्ति के साथ, अपनी अज्ञानता को उसके ज्ञान के साथ, अपनी अयोग्यता को उसकी योग्यता के साथ जोड़ दें. उनके लिये जिन्होंने धीरजपूर्वक उसके आने की बाट जोही है और जिनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हैं मुक्ति आनन्ददायक होगी.
“क्योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्डप में छिपा रखेगा; अपने तम्बू के गुप्त स्थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढाएगा.” (भजन : २७:५)
“वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहुवाह सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहुवाह ने ऐसा ही कहा है. उस समय यह कहा जाएगा, ‘देखो हमारा यहुवाह एलोहीम यही है, हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे. यहुवाह यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं. हम उससे उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे.” (यशायाह २५:८-९)
“देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ! धन्य है वह, जो इस पुस्तक की भविष्यवाणी की बातें मानता है ...धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन कर वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों में से होकर नगर में प्रवेश करेंगे.” (प्रकाशितवाक्य २२:७,१४)
देखिये विडिओ: The Final 7 Plagues of 3rd Woe (Trumpet 7)