यहुवाह के बड़े प्रेम का हृदय उसके सांसारिक बच्चों के लिए दुखित रहता है। उसके अनंत ज्ञान और पूर्व दृष्टि में, उसने चिन्हों के उपयोग के द्वारा निकट भविष्य की पहेलीनुमा झाँकियो को प्रदान किया है। यह सब उसकी प्रजा की तैयारी के लिये दिया गया है ताकि पृथ्वी के इतिहास के समाप्ति के दिनों के दौरान कोई भी छला न जाये। कम समझे जाने वालो में से एक, फिर भी अत्यंत पहेलीनुमा चिन्ह जो भविष्यवाणी में उपयोग किया गया, वह है..."पशु की छाप”।
"और उस ने छोटे, बड़े, धनी, कंगाल, स्वतंत्र, दास सब के दाहिने हाथ या उन के माथे पर एक- एक छाप करा दी। कि उस को छोड़ जिस पर छाप अर्थात उस पशु का नाम, या उसके नाम का अंक हो, और कोई लेन देन न कर सके। ज्ञान इसी में है, जिसे बुद्धि हो, वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि मनुष्य का अंक है, और उसका अंक छ: सौ छियासठ है।” (प्रकाशित वाक्य 13:16-18)
उन सभी के विरूद्ध जिन्होंने भयानक छाप ली है उनमें से बहुतो के हृदय में डर और परिकल्पना की डरावनी चेतावनियां प्रेरित हो जाती है।
"फिर इन के बाद एक और स्वर्गदूत बड़े शब्द से यह कहता हुआ आया, कि जो कोई उस पशु और उस की मूरत की पूजा करें, और अपने माथे या अपने हाथ पर उस की छाप ले। तो वह एलोहीम का प्रकोप की निरी मदिरा जो उसके क्रोध के कटोरे में डाली गई है, पीएगा और पवित्र स्वर्गदूतों के सामने, और मेमने के सामने आग और गन्धक की पीड़ा में पड़ेगा। और उन की पीड़ा का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा, और जो उस पशु और उस की मूरत की पूजा करते हैं, और जो उसके नाम ही छाप लेते हैं, उन को रात दिन चैन न मिलेगा।" (प्रकाशित वाक्य 14:9-11)
यह व्यापक रूप से सिखाया गया है की पशु की छाप एक कम्पयूटर चिप होगी जो अपने नागरिकों पर पूर्ण अधिकार रखने को इच्छुक एक अधिनायक वादी सरकार के द्वारा शल्य चिकित्सा के माध्यम से त्वचा में प्रत्यारोप करवाई जायेगी। कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि छाप बार कोड या यहां तक की संयुक्त राज्य में उपयोग किये गये सामाजिक सुरक्षा के अंको से बंधी हुई थी। वास्तव में, पशु की छाप बार कोड, या सामाजिक सुरक्षा के अंक या आरोपण की गयी RFID चिप की तुलना में और अधिक व्यापक और डरावना है!
यह अनिवार्य है कि सभी को यह स्पष्ट समझ हो कि पशु की छाप की संरचना कैसे होती है और इसको लेने से कैसे बचा जाये क्योंकि वे सभी जो इसे ग्रहण करते है वे अनंत मृत्यु की ईश्वरीय सजा को पाते है। पशु की छाप को समझने के लिए, पहले यह आवश्यक है कि यह समझा जाये की पशु कौन, या क्या है। बाईबल के विद्वान व्यापक रूप से सहमत है कि पशु विश्वव्यापी राजनीतिक शक्तियों का भविष्य सूचक चिन्ह है:
उन चार बड़े-बड़े जन्तुओं का अर्थ चार राज्य हैं, जो पृथ्वी पर उदय होंगे। (देखिए दानिएल 7:17)
हालाँकि धर्मशास्त्र में पशु के रूप में न सिर्फ किसी भू-राजनीतिक शक्ति का संकेत दिया गया है। भविष्यवाणी उन शक्तियों को भी केन्द्रित करती है जिन्होंने यहुवाह के विरूद्ध उसके संतो के भेष में युद्ध किया है। इसलिए पशु जो "छाप" लगाता है वह भी एक विश्वव्यापी शक्ति है जो स्वर्ग के राज्य के विरुद्ध यहुशूआ के आने के कुछ समय पहले ही युद्ध करेगी।
जैसा कि प्रकाशित वाक्य के 13 के पशु की विडियो सीरीज में प्रस्तुत किया गया है, प्रकाशित वाक्य 13 के पहले पशु का प्रतीक पोप का कार्यकाल है जिसने मसीही जगत पर 1260 वर्षों तक लोह दंड के साथ शासन किया।
प्रकाशित वाक्य का दूसरा पशु संयुक्त राज्य अमेरिका है, जो भविष्यवाणी के शब्दों के अनुसार निश्चय ही निकट भविष्य में पहले पशु की "छाप" के प्रतीक को लागू करेगा।
पोप की प्रधानता की "छाप" उनकी अपनी स्वीकृति के अनुसार, रविवार पर उपासना करना है:
"रविवार हमारे प्राधिकार की छाप है…” (The Catholic Record, London, Ontario, September 1, 1923.)
स्वर्ग के राज्य की सभी लड़ाइयां हमेशा उपासना पर ही केन्द्रित रही है। आरम्भ से ही, लुसिफर का दीर्घकालिक लक्ष्य सृष्टिकर्ता को दी जाने योग्य उपासना को छीन लेना था। धर्मशास्त्र में उसके डींग मारी हुई योजना को अंकित किया गया है:
"हे भोर के चमकने वाले तारे तू क्योंकर आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति-जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काट कर भूमि पर गिराया गया है? तू मन में कहता तो था कि मैं स्वर्ग पर चढूंगा; मैं अपने सिंहासन को [एलोहीम] के तारागण से अधिक ऊंचा करूंगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूंगा; मैं मेघों से भी ऊंचे ऊंचे स्थानों के ऊपर चढूंगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊंगा।” (देखिए यशायाह 14:12-14)
पशु की छाप उपासना के मुद्दे के चारों ओर घुमती है क्योंकि यहुवाह और शैतान के बीच सम्पूर्ण विवाद उपासना के चारों ओर घूमता है। यह इस तथ्य के साथ रेखांकित किया गया है कि वे जो सात अन्तिम विपत्तियाँ पाएंगे ये वे होंगे जिन्होंने उस पशु की छाप को प्राप्त किया है और उसकी प्रतिमा की उपासना करते है:
"फिर मैं ने मन्दिर में किसी को ऊंचे शब्द से उन सातों स्वर्गदूतों से यह कहते सुना कि जाओ, परमेश्वर के प्रकोप के सातों कटोरों को पृथ्वी पर उंडेल दो तो पहिले ने जा कर अपना कटोरा पृथ्वी पर उंडेल दिया। और उन मनुष्यों के जिन पर पशु की छाप थी, और जो उस की मूरत की पूजा करते थे, एक प्रकार का बुरा और दुखदाई फोड़ा निकला। (देखिए 16:1,2)
केवल सृष्टिकर्ता को दी जाने योग्य उपासना को चुराने के शैतान के प्रयास में, उसने विश्व को एक पोप के सौर कैलेंडर के उपयोग के लिए एकजुट कर लिया, जोकि मूर्तिपूजन/मूर्तिपूजको की समय निर्धारण पद्धति पर आधारित है।
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केवल सृष्टिकर्ता को दी जाने योग्य उपासना को चुराने के शैतान के प्रयास में, उसने विश्व को एक पोप के सौर कैलेंडर के उपयोग के लिए एकजुट कर लिया, जोकि मूर्तिपूजको की समय निर्धारण पद्धति पर आधारित है। सही कैलेंडर के बिना, यह असंभव है कि उपासना के सही दिन को स्थापित किया जा सके। इस प्रकार, वे सभी जो यहुवाह की उपासना करने की खोज में है परंतु अपनी उपासना के दिनों की गणना गलत कैलेंडर के द्वारा अज्ञानता में करते है। वे वास्तव में अपनी भक्ति यहुवाह के शत्रु को देते है।
पशु की छाप तब प्राप्त होती है जब एक व्यक्ति सत्य की पूर्ण जानकारी के होते हुए भी, सृष्टिकर्ता की उपासना उसके सब्त पर करने की बजाय जोकि उसकी मूल समय निर्धारण प्रणाली, चन्द्र-सौर कैलेंडर है, गलत उपासना के दिनों के साथ चिपका रहता है जोकि आधुनिक समाज में अधिक सुविधाजनक है। शैतान के द्वारा स्थापित दिन पर उपासना करने का कोई भी प्रयास शैतान को आदर देना है।
यही है जिससे पशु की छाप प्राप्त होती है। यहुवाह के पवित्र दिन किसी भी बनावटी समय निर्धारण पद्धति के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते।
चाहे वर्तमान ग्रेगोरियन कैलेंडर को वैश्विक रूप से स्वीकार और लागू किया गया है, या भविष्य में इसमें कुछ सुधार हो, पशु की छाप तब प्राप्त होती है जब कोई सच्चे सब्त को जानते हुए भी शैतान की समय गणना की बनावटी विधि के द्वारा गणना किये गये उपासना के दिनों से चिपका रहे।
1920 से 1950 तक ग्रेगोरियन कैलेंडर के सुधार के लिए एक बड़ा विवाद था! हाल ही के कुछ वर्षों में, कैलेंडर के पुनर्निमाण का प्रस्ताव फिर से उठाया गया है। पशु की छाप को शैतान चाहे वर्तमान कैलेंडर के द्वारा या कुछ संशोधन के रूप में लादे यह महत्वहीन है। पशु की छाप तब प्राप्त होती है जब यहुवाह के पवित्र दिनों की गणना सृष्टि के समय स्थापित चन्द्र-सौर कैलेंडर के अलावा किसी अन्य विधि से की जाती है। प्रत्येक संस्कृति में और प्रत्येक स्थान में छाप को लागू करने का तरीका थोड़ा अलग-अलग हो सकता है। परंतु यह कुछ ऐसा होगा जो अन्त: करण को यहुवाह की व्यवस्था के विरूद्ध विद्रोह करने के लिये बाध्य करेगा। यह विचार एकतरफा होगा कि प्रभुता करने वाली एक सांसारिक शक्ति के पास पृथ्वी के सभी ओर फैले विभिन्न संस्कृतियों के नियंत्रण को लागू करने के लिए केवल एक ही मार्ग होगा।
पशु की भयानक छाप के विरोध में यहुवाह की मुहर उठ खड़ी होती है।
"फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उस ने उन चारों स्वर्गदूतों से...कहा, जब तक हम अपने [एलोह] के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुंचाना।'" (देखिए प्रकाशित 7:2,3)
यहुवाह की मुहर तब प्राप्त होती है जब एक व्यक्ति खुदको सृष्टिकर्ता को पूरी तरह से समर्पण कर देता है। चरित्र में यह बदलाव यहुवाह की सभी आवश्यकताओं को पालन करने की इच्छा में देखा जा सकता है। केवल वे जिन्होंने यह समर्पण किया है यहुवाह की मुहर को पाएंगे जो उन्हें पशु की छाप लेने से बचाएगी। धर्मशास्त्र सभी को प्रेरित करता है: जैसा [अभिषिक्त यहुशूआ] का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। (फिलिप्पियो 2:5) यहुशूआ का मस्तिष्क ऐसा था कि वह पूर्णता: अपने पिता की इच्छा के लिए समर्पित था। गतसमनी में उसने प्रार्थना की: कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो। (देखिए लूका 22:42)
पशु की छाप और यहुवाह की मुहर एक दूसरे के कड़े विरोध में पाये जाते है। एक शैतान के लिए पूर्ण निष्ठा का प्रतीक है जो माथे पर या हाथ पर पाया जा सकता है यह प्रदर्शित करते हुए कि कुछ लोग इसकी उपयोगिता के लिए स्वीकार किये गये है। यहुवाह की मुहर माथे पर प्राप्त की जाएगी जोकि सृष्टिकर्ता के लिए सम्पूर्ण निष्ठा और आज्ञाकारिता का प्रतिनिधित्व करती है। वे जिन्होंने यहुवाह की मुहर को प्राप्त किया है वे यहुशूआ के मस्तिष्क को अपने में बसा हुआ पाएंगे। यहुवाह की मुहर उसकी सभी अपेक्षाओं का आज्ञापालन करने के द्वारा प्रगट होती है, जिसमें उसके मूल चन्द्र-सौर कैलेंडर के द्वारा गणना किये गये सप्ताह के सातवें दिन उसकी उपासना करना सम्मिलित है।
कैलेंडर मात्र समय गणना की विधि से कुछ अधिक है। सृष्टि का चन्द्र-सौर कैलेंडर पवित्र व्यवस्था का एक अंतरिम भाग है क्योंकि इसके बिना यह असंभव है कि यहुवाह के पवित्र दिनों की गणना की जाए। वे सभी जो पवित्र व्यवस्था की आज्ञाकारिता में अपना जीवन व्यतीत करते है और यहुवाह की मुहर को प्राप्त करते है वे अपने जीवन को मूल कैलेंडर के द्वारा अपने सृष्टिकर्ता की उपासना उसके नियुक्त समयों में करके नियंत्रित करते है। स्वर्ग के पवित्र दिनों की स्थापना के लिए समय गणना की कोई बनावटी विधि का उपयोग नहीं किया जा सकता। इस प्रकार वे सभी जो समय गणना की बनावटी विधि के द्वारा उपासना करते है, पशु की छाप को ग्रहण करेंगे।
जो कोई भी यहुवाह के लिए पूर्ण समर्पण को अस्वीकार करता और उसकी आज्ञाकारिता से इनकार करता है वह पशु की छाप को ग्रहण करेगा। यही तो शैतान का मस्तिष्क है जो अंदर में बना हुआ है, जोकि विद्रोह है।
वे सभी जो यहुवाह की मुहर को प्राप्त करेंगे वे उस विनाश से संरक्षित रहेंगे जो पशु की छाप प्राप्त करने वालो पर आने वाला है।

"और उसने उस...पुरुष को जो कमर में दवात बान्धे हुए था, पुकारा…‘यरूशलेम नगर के भीतर इधर उधर जा कर जितने मनुष्य उन सब घृणित कामों के कारण जो उस में किए जाते हैं, सांसें भरते और दुःख के मारे चिल्लाते हैं, उनके माथों पर चिन्ह कर दे।'
तब उसने मेरे सुनते हुए दूसरों से कहा, ‘नगर में उनके पीछे-पीछे चल कर मारते जाओ; किसी पर दया न करना और न कोमलता से काम करना। बूढ़े, युवा, कुंवारी, बाल-बच्चे, स्त्रियां, सब को मार कर नाश करो, परन्तु जिस किसी मनुष्य के माथे पर वह चिन्ह हो, उसके निकट न जाना। और मेरे पवित्र स्थान ही से आरम्भ करो।' और उन्होंने उन पुरनियों से आरम्भ किया जो भवन के सामने थे। (देखिए यहेजकेल 9:3-6)
प्रत्येक व्यक्ति जो अनंत जीवन चाहता है उसे यहुवाह की अपेक्षाओं को जानने के लिए इसका अध्ययन करना चाहिए। यदि हृदय हठीला है और पाप से चिपका रहना चाहता है तो एक मुक्तिदाता है जो इच्छुक और कठोर से कठोर हृदयों को बदलने में सक्षम है।
अब जबकि परिविक्षा का समय ठहरा हुआ है, यह चुनाव करिए कि यहुवाह की इच्छा के लिए अपने को समर्पित करेंगे चाहे कोई भी कीमत क्यों न हो। जो उसके पास विश्वास से आते है वह उनके मस्तिष्क को अद्भुत रीति से बदल देगा।
एक अनंत जीवन और आनंद जो हमारी समझ से परे है उन सभी की बाट जोह रहा है जिन्होंने यहुवाह की मुहर को प्राप्त किया है और पशु, उसकी प्रतिमा और उसकी छाप पर विजय प्राप्त की है।
"और मैं ने आग से मिले हुए कांच का सा एक समुद्र देखा, और जो उस पशु पर, और उस की मूरत पर, और उसके नाम के अंक पर जयवन्त हुए थे, उन्हें उस कांच के समुद्र के निकट [यहुवाह] की वीणाओं को लिए हुए खड़े देखा। और वे... मूसा का गीत, और मेमने का गीत गा गाकर कहते थे, कि हे सर्वशक्तिमान [यहुवाह एलोहीम], तेरे कार्य बड़े, और अद्भुत हैं, हे युग-युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है।" (देखिए प्रकाशित वाक्य 15:2,3)