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मसीही और अलंकरण

याहुवाह सुंदरता के प्रेमी हैं। और वह जगत को सुंदरता से भर दिया! नई गिरी हुई बर्फ की चमक से लेकर मोर के पंखों की चमक तक; नन्हे-नन्हे फूल के नाजुक और विविध रंगों से लेकर कीमती पत्थरों की चमक तक, सृष्टिकर्ता के मन में उत्पन्न हुई सुंदरता को शानदार ढंग से चित्रित किया गया है। यहां तक ​​कि नए यरूशलेम, जो नई बनी हुई पृथ्वी का महानगर बन जाएगा, अवर्णनीय सुंदरता की चीज है। सोना उसकी सड़कों को पक्का करता है; उसकी दीवारें यशब की हैं, और उसके फाटक मोतियों के हैं। नींव के पत्थर बहुमूल्य रत्नों के हैं, हीरा, नीलमणि, मरकत, याकूत और भी बहुत कुछ।

सृष्टि के सुंदर तस्वीर

सृष्टिकर्ता के छवि में बनाया गया मनुष्य के मन के लिए सुंदरता की आनंद लेना और उसकी इच्छा करना बहुत ही स्वाभाविक है। सबसे आम क्षेत्रों में से एक जिसमें लोग सुंदरता की अपनी इच्छा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वह है व्यक्तिगत अलंकरण। चाहे वो बजार में आई नवीनतम फैशन के माध्यम से, रंगीन त्वचा मेकअप या चमकदार आभूषण, खुद को सवांरने की इच्छा हर समय के लोगों के लिए, हर देश में आम है। स्वाभाविक रूप से, कीमती रत्नों का पहनना या सोना या चाँदी जैसे धातुओं को पहनना, अपने आप में, पाप नहीं है। याहुवाह खुद ये सब बनाए और लूसीफर का कीमती पत्थरों के साथ अलंकरण किया जो वास्तव में छानेवाला अभिषिक्त करूब था। सोर के राजा के प्रतीक का उपयोग करते हुए याहुवाह लूसीफर के बारे में यों कहता है:

तू तो उत्तम से भी उत्तम है; तू बुद्धि से भरपूर और सर्वांग सुन्दर है। तू एलोहीम की अदन नामक बारी में था; तेरे पास आभूषण, माणिक, पद्यराग, हीरा, फीरोज़ा, सुलैमानी मणि, यशब, नीलमणि, मरकद, और लाल सब भाँति के मणि और सोने के पहिरावे थे; तेरे डफ और बाँसुलियाँ तुझी में बनाई गई थीं; जिस दिन तू सिरजा गया था, उस दिन वे भी तैयार की गई थीं। तू छानेवाला अभिषिक्‍त करूब था, मैं ने तुझे ऐसा ठहराया कि तू एलोहीम के पवित्र पर्वत पर रहता था; तू आग सरीखे चमकनेवाले मणियों के बीच चलता फिरता था। (यहेजकेल २८:१२-१४; HINDI-BSI)

लूसीफर (शैतान)लूसिफ़ेर उच्चतम निर्मित प्राणी था। वह स्वर्गदूत था जो अनन्त याहुवाह के सिंहासन के सबसे निकट खड़ा था । सोने में जड़ा हुआ हर एक कीमती पत्थर उसका अलंकरण था। सर्वशक्तिमान से बहने वाली निरंतर रोशनी, पत्थरों से परावर्तित होकर, उन्हें शानदार प्रदर्शन में ढालती थी। यह याहुवाह द्वारा अपने सर्वोच्च कोटि के दूत के लिए बनाया गया आवरण था। लेकिन अगला वचन पतित मानव हृदयों पर इस तरह के अलंकरण के प्रभाव पर एक हृदयविदारक टिप्पणी है: "जिस दिन से तू सिरजा गया, और जिस दिन तक तुझ में कुटिलता न पाई गई, उस समय तक तू अपनी सारी चालचलन में निर्दोष रहा।" (यहेजकेल २८:१५; HINDI-BSI)

कुटिलता, पाप, घमंड : लूसीफर घमंड के कारण गिर गया। उसके निर्माता के उदार उपहारें लूसिफर के हृदय को कृतज्ञता से नहीं भर दिया जो प्रेम उत्पन्न करेगा, बल्कि उसने स्वार्थ और गर्व का पोषण करने को चुना। यह वह प्रभाव है जो, बहुत बार, व्यक्तिगत अलंकरण का गिरे हुए मानव स्वभाव पर पड़ता है। आदमी, जो याहुवाह के छवी में बनाया गया, गिरने के बाद शैतान के स्वाव को ले लिया। चाहे वो व्यक्तिगत अलंकरण के लिए चमकीले गहने या मेकअप का चुनाव, जब वह अपने आप के ओर दूसरों का ध्यान आकर्शित करने के लिए उपयोग किया जा रहा हो, तो यह गलत है और यह घमण्ड आधारित है।

जैसा याहुवाह की व्यवस्था के हर क्षेत्र के साथ है, उस कानून के मूल सिद्धांतों को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही हृदय तक पहुंचते हैं। याहुवाह केवल सतही परिवर्तन की खोज नहीं कर रहा है। बल्कि, याहुवाह आंतरिक हृदय को देखता है: वो रवैया और विश्वास जो आत्मा का निर्माण करते हैं। राजा का अभिषेक करते समय, शमूएल को याहुवाह के द्वारा कही गई शब्दों को उन सभी को ध्यान देना चाहिए जो अपने जीवन को उनके अनुरूप लाना चाहते हैं : “न तो उसके रूप पर दृष्‍टिकर, और न उसके कद की ऊँचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि याहुवाह का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु याहुवाह की दृष्‍टि मन पर रहती है।” (१ शमूएल १६:७ ; HINDI-BSI)

कई लोग जो गहने नहीं पहन सकते वे अपने कपड़े या मेकअप द्वारा दूसरों की दृष्टि आकर्षित करते हैं। रत्नों की तरह, स्वयं का मेकअप करना स्वाभाविक रूप से पाप नहीं है। जब किसी निशान को ढकने के लिए या किसी व्यक्ति को सुंदर दिखने के लिए, या जन्मचिह्न, या घाव के निशान को छिपाने के लिए उपयोग किया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन कीमती पत्थरों की तरह, समस्या तब पैदा होती है जब कोई अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए, दूसरों में प्रशंसा और ईर्ष्या को प्रेरित करने के लिए मेकअप या आकर्षक, अत्यधिक स्टाइलिश और महंगी कपडे का उपयोग करते हैं।

किसी के शरीर, या किसी के धन के लिए दूसरों में ईर्ष्या या प्रशंसा को प्रेरित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला कोई भी व्यक्तिगत अलंकरण गलत है। यह बाहर की पहनाव है जो हृदय के भीतर राज करने वाले घमण्ड को दर्शाता है। यही घमण्डी प्रदर्शन के पाप के विरुद्ध पौलुस बोल रहा था जब उसने लिखा:

वैसे ही स्त्रियाँ भी संकोच और संयम के साथ सुहावने वस्त्रों से अपने आप को संवारे; न कि बाल गूँथने और सोने और मोतियों और बहुमोल कपड़ों से, पर भले कामों से, क्योंकि परमेश्‍वर की भक्‍ति करनेवाली स्त्रियों को यही उचित भी है। (१ तीमुथियुस २:९-१०; HINDI-BSI)

इस वचन के आधार पर, कई लोगों ने मान लिया की बालों को चोटी में नहीं पहनना चाहिए। हांलाकि, पौलुस तो रोमी महिलाओं और अन्य धनी महिलाओं की ज्यादतियों के बारे में बात कर रहा था जिन्होंने उनकी नकल करने का प्रयास किया।

रोमी महिलाएँ मूल रूप से अपने बालों को बड़ी सादगी से तैयार करती थीं। विवाहित महिलाओं के लिए सरल केशविन्यास सम्राट ऑगस्टस के शासनकाल के दौरान बदल गए जब विभिन्न प्रकार के और विस्तृत केशविन्यास फैशन में आए। रोमी महिलाओं के कपड़ों के फैशन अपेक्षाकृत सरल और अपरिवर्तनीय रहे और महिलाओं के [पुरूशों के विपरीत] कोई विशेष पोशाक नहीं था जो उनकी स्थिती को अलग करती थी, धनी महिलाओं ने शानदार सामग्री,अत्यधिक विस्तृत केशविन्यास, मेकअप और महंगे गहने पहिने। (http://www.roman-colosseum.info/roman-clothing/roman-hairstyles.htm)

रोमी चोटीरोमी औरतें बालों के लिए वीग, डै, और कई घंटों लगने वाले स्टैलों का उपयोग करते थे। सोने के पतले तार, जिन्हें अक्सर मोतियों या कीमती रत्नों से पिरोया जाता था, एक साथ बुने जाते थे जिससे जटिल बालियां बनती थीं। निर्विवाद रूप से यह सुंदर होते हैं, फिर भी, यह सब दूसरों में आत्म-उत्थान और प्रेरक प्रशंसा (और ईर्ष्या) के उद्देश्य से किया जाता था। यह वही बात थी जिसके खिलाफ पॉल लिख रहा था, एक साधारण चोटी के बारे में नहीं।

ये सिद्धांत पुरुषों या महिलाओं के लिए पोशाक और अलंकरण के हर क्षेत्र में सही हैं। फैशन के रुझान अक्सर एक अप्राकृतिक रूप पर जोर देते हैं। कुछ में नीले, गुलाबी या अन्य अस्वाभाविक रूप से बालों के रंग, दूसरों में शरीर का अश्लील दिखावा, दोनों ही ध्यान आकर्षित करने वाले हैं। मेरे शरीर को देखो। मेरी तरफ देखो!

शरीर में छेद करना, टैटू बनवाना और दागना जो आज के युवाओं में बड़े पैमाने मैं फैल रहा है, पवित्रशास्त्र द्वारा स्पष्ट रूप से मना किया गया है। मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उसमें छाप लगाना; मैं यहोवा हूँ।

आदमी टैटू के साथ(देखिए लैव्यव्यवस्था १९:२८; HINOVBSI)। ये प्रथाएं अन्यजातियों के बीच मृतकों को श्रद्धांजलि के रूप में उत्पन्न हुईं हैं और कोई भी व्यक्ति जो एक धर्मी जीवन जीने के द्वारा एक शुद्ध, पवित्र एलोहीम का सम्मान करना चाहता है, ऐसी प्रथाओं में भाग नहीं लेगा।

यह सच है की पवित्रशास्त्र इस्राइलियों द्वारा गहने पहिनने की बात को दर्ज करता है। अब्राहाम का दास, जब इशाक के लिए पत्नी लाने के लिए भेजा गया था, उसने रिबका को : "उस पुरुष ने आधा तोला सोने का एक नथ निकालकर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहिना दिए।" (उत्पत्ति २४:२२; HINDI-BSI) । राजा क्षयर्ष ने मोर्दकै को उनकी राजा का अंगूठी दी। "तब मोर्दकै नीले और श्‍वेत रंग के राजकीय वस्त्र पहिने और सिर पर सोने का बड़ा मुकुट धरे हुए और सूक्ष्म सन और बैंजनी रंग का बागा पहिने हुए, राजा के सम्मुख से निकला, और शूशन नगर के लोग आनन्द के मारे ललकार उठे।" (देखिए एस्तेर ८: १०,१५; HINDI-BSI)

हालांकि, दिल की खोज और पश्चाताप के समय में आभूषण और विस्तृत परिधान कभी नहीं पहने जाते थे। उस समय, सभी शारीरिक अलंकरण अलग से रख दिए जाते थे और लोग बहुत ही साधारण कपड़े पहते थे। यहाँ तक सुगंधित तेल भी नहीं पहने जाते थे। जब दानिय्येल उपवास और प्रार्थना की, और उसने दर्शन को समझने की कोशिष की, उसने दर्ज किया: "उन दिनों मैं, दानिय्येल, तीन सप्‍ताह तक शोक करता रहा। उन तीन सप्‍ताहों के पूरे होने तक, मैं ने न तो स्वादिष्‍ट भोजन किया और न मांस या दाखमधु अपने मुँह में रखा, और न अपनी देह में कुछ तेल लगाया।" (दानिय्येल १०:२-३; HINDI-BSI)

जब याहुवाह ने याकूब को बेतेल को जाने के लिए कहा और वहाँ उनको उपासना करने के लिए कहा, याकूब ने अपने परिवार को पश्चाताप करने का बुलावा दिया :

तब याक़ूब ने अपने घराने से, और उन सबसे भी जो उसके संग थे कहा, “तुम्हारे बीच में जो पराए देवता हैं, उन्हें निकाल फेंको; और अपने अपने को शुद्ध करो, और अपने वस्त्र बदल डालो; और आओ, हम यहाँ से निकल कर बेतेल को जाएँ; वहाँ मैं एलोहीम के लिए एक वेदी बनाऊँगा, जिसने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उसमें मेरे संग रहा।”

इसलिये जितने पराए देवता उनके पास थे, और जितने कुण्डल उनके कानों में थे, उन सभों को उन्होंने याक़ूब को दिया; और उसने उनको उस बांज वृक्ष के नीचे, जो शकेम के पास है, गाड़ दिया। (उत्पत्ति ३५:४; HINDI-BSI)

हर साल, प्रायश्चित के दिन पर, सारे शारीरिक अलंकरण, और विस्तृत परिधान को अलग रखा जाता था क्योंकि याहुवाह के लोग अपने पापों की क्षमा के लिए उनके मुख को खोजते थे, अंजान और जाने पाप, दोनों के लिए।

स्वर्ग में, विजयी प्राप्त करने वाले हर उस व्यक्ति के माथे पर याहुशुआ एक मुकुट रखेंगे। ये किसी भी मुकुट की तुलना में कहीं अधिक शानदार होंगे, जो कभी किसी सबसे शक्तिशाली सांसारिक सम्राट के माथे को सुशोभित किया था। हालाँकि, उस समय तक, याहुवाह के लोग पाप की दुनिया में जी रहे हैं। पतित स्वभाव दूसरों की ध्यान के लिए तरसती है। जो याहुवाह की महिमा को प्रतिबिंबित करना चाहते हैं, वे अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश नहीं करेंगे।

दो सजी हुई लडकियाँयाहुवाह के इकलौते पुत्र को मरने का कारण मानवता की विरासत में मिली और विकसित हुई पाप की स्वभाव है। अपने गरीब, पापी शरीर की ओर ध्यान आकर्षित करना, गर्व का शिकार होना है, जिस पाप के लिए लूसिफर गिर गया। याहुवाह का वचन चेतावनी देता है: "विनाश से पहले गर्व, और ठोकर खाने से पहले घमण्ड आता है। घमण्डियों के संग लूट बाँट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।" (नीतिवचन १६:१८-१९; HINDI-BSI)

पवित्र आत्मा की प्रेरणा में, पतरस ने सच्चे मानक को निर्धारित किया जिसकी सभी को आकांक्षा करनी चाहिए:

तुम्हारा श्रृंगार दिखावटी न हो, अर्थात् बाल गूँथना, और सोने के गहने, या भाँति भाँति के कपड़े पहिनना, वरन् तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्‍त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि याहुवाह की दृष्‍टि में इसका मूल्य बड़ा है। पूर्वकाल में पवित्र स्त्रियाँ भी, जो याहुवाह पर आशा रखती थीं, अपने आप को इसी रीति से संवारती और अपने-अपने पति के अधीन रहती थीं। (देखिए १ पतरस ३:३-५; HINDI-BSI)

जो लोग धरती के अंत समय में जी रहे हैं, वे अपने चरित्र के पवित्रता को ढूँढेंगे, और सारे उन चीज़ो से दूर हो जाते हैं, जो अपवित्र हैं। धरती को दी गई समय के खत्म होने वाले बचे समय में हम जी रहे हैं, सच्ची प्रायश्चित का दिन। वार्षिक प्रायश्चित का दिन असली प्रायश्चित का दिन का प्रतिक था। दूसरे शब्दों में, हम सब अंत समय में जी रहे हैं जिसमें हम सभी का न्याय होगा, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस समय का उपयोग हमारे लिए की गई याहुशुआ के बलिदान का स्वीकारने और पापों का प्रायश्चित करना होगा। याहुवाह के हर सच्चे बच्चे को अपनी जीवन शैली की जाँच करना चाहिए, और हर वह चीज़ जिस पर उनकी पसंद शासन करती है। यह देखने के लिए कि याहुवाह को समर्पित शुद्ध हृदय को प्रतिबिंबित करने के लिए क्या परिवर्तन किए जाने चाहिए।

दस कुँवारियों का दृष्टान्त (देखिऐ मत्ती २५: १-१३) आज के समय पर लागू है। सारे दस औरतें, सच्चाई में विश्वासी, सो गए। जब वे दूल्हे के आने के बुलावा से नींद से जगे, तो उन्होंने पाया की उनके दिप बुझ गए थे। सिर्फ पाँच, के पास थोड़ी अधिक तेल थीं, जो पवित्र आत्मा को दर्शाता है, और उन्हें बस अपनी मशालें ठीक करनी थी। इसका अर्थ यह है की, पवित्र आत्मा के दिशा निर्देश में उन्हें सिर्फ छोटी-छोटी बदलाव करनी थी।

अपनी मार्ग की चिंता याहुवाह पर छोड़ें, और उस पर भरोसा रखें, ताकि कोई भी बदलाव, आपको मन को प्रकट करें, कोई ऐसी बात आप में से निकालना हो ताकि इस अंधकार से भरे दुनिया में उनके आने पर आप दीप की रोशनी के तरह प्रकाश दें।