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महान और कीमती वादे।

पृथ्वी के इतिहास के इन बंद होते दिनों में, अनंत जीवन प्राप्त करने की वास्तविक कीमत अब सुस्पष्ट रूप से प्रकट है। उद्धारकर्ता ने खुद इस कीमत को प्रकट किया जब उसने कहा:

“फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया। (मत्ती १३:४५-४६)

अति कीमत का मोती

स्वर्ग को पाने के लिए सब कुछ छोड़ने की आवश्यकता होगी। आपको सब कुछ देने के लिए सिर्फ तैयार होने की आवश्यकता नहीं होना- यदि आपको स्वर्ग के राज्य को प्राप्त करना है, तो आपकोनिश्चय सब कुछ देना ही होगा।

सभी जो सच्चे सब्बात को स्वीकार करते, आज्ञाकारिता के क्रूस को सहन करने के लिए बुलाए जाएंगे। यही सबसे असली क्रूस है क्योंकि आपके जीवन के हर क्षेत्र प्रभावित होता है।

सच्चे सब्बात को स्वीकार करना नई चुनौतियों को पेश करेगा। नई परिस्थितियां उठेंगी जो मानव ज्ञान की तुलना में अधिक बुलायेंगी। इसमें भी, जिस प्रकार अन्य परिस्थितियों में, याहुवाह ने हर समस्या के लिए एक समाधान उपलब्ध कराया है।

“[एलोहीम] की और हमारे प्रभु [याहुशूआ] की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए। क्योंकि उसकी ईश्‍वरीय सामर्थ्य ने सब कुछ जो जीवन और भक्‍ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। जिनके द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएँ दी हैं : ताकि इनके द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूटकर, जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्‍वरीय स्वभाव के समभागी हो जाओ।” (२ पतरस १:२-४)

याहुवाह के वचन में जो यह कहता है करने की शक्ति शामिल है। इसलिए, उसके सबसे बड़े और कीमती वादों की मांग करें! वे आपके लिए उसका उपहार है। आप सुरक्षित रूप से सभी वादों पर आराम कर सकते हैं, क्योंकि वे याह के वचन और उनमें जो वे कहते हैं करने की शक्ति है।

धर्मशास्त्र के सभी वादे उनके लिए हैं जो अपने बनाने वाले का आदर उसके सब्बात के दिन को पवित्र मानने के द्वारा करते है। उसके आदेश के लिए अपनी आज्ञाकारिता में, यदि आप स्वयं को समस्याओं के साथ घिरा पाये, वादे की मांग करे!

क्योंकि दुष्‍टों की भुजाएँ तो तोड़ी जाएँगी; परन्तु यहोवा धर्मियों को सम्भालता है।  विपत्ति के समय उनकी आशा न टूटेगी और न वे लज्जित होंगे, और अकाल के दिनों में वे तृप्‍त रहेंगे। (देखिये भजन संहिता ३७:१७ व १९)

यह सत्य को मानने के लिए साहस लेता है जो आपको अलग बनाता है। जो लोग सत्य का विरोध करते हैं वे बहुत नफरत करने वाले हो सकते हैं और यहां तक की उन लोगों के लिए भी खतरा बन सकते हैं जो सत्य के प्रति दृढ़ खडे होते हैं।

“हे [याहुवाह], जो मेरे साथ मुक़द्दमा लड़ते हैं, उनके साथ तू भी मुक़द्दमा लड़; जो मुझ से युद्ध करते हैं, उनसे तू युद्ध कर। जो मेरे प्राण के ग्राहक हैं वे लज्जित और निरादर हों! जो मेरी हानि की कल्पना करते हैं, वे पीछे हटाए जाएँ और उनका मुँह काला हो!” (भजन संहिता ३५:१,४)

याहुवाह का आदर उनके पवित्र सब्बात के दिन पर उपासना करने से अापकी नौकरी का नुकसान हो सकता है। याहुवाह आपके आवश्यकताओं को जानता है। जो कोई उसमें विश्वास करेगा भूखा नहीं रहेगा।

“मनुष्य की गति याहुवाह की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि याहुवाह उसका हाथ थामे रहता है। मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूँ; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े माँगते देखा है। (देखिये भजन संहिता ३७:२४, २५)

याहुवाह के वचन में जो यह कहता है करने की शक्ति है।  इसलिए, उसके सबसे बड़े और कीमती वादों की मांग करें! वे आपके लिए उसका उपहार है। आप सुरक्षित रूप से सभी वादों पर आराम कर सकते हैं, क्योंकि वे याह के वचन और उसमें जो वो कहते हैं करने की शक्ति है।

याहुवाह को अापकी हर विशेष स्थिति के बारे में पता है।

याहुवाह की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उनकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं। (देखिये भजन संहिता ३४:१५)

जो लोग सच का विरोध करते वास्तव में आप के लिए खतरा हो सकते हैं; खतरा जिसका आप सामना करते है, बहुत ही वास्तविक। याहुवाह ने उनका सुरक्षा का वादा किया है।

कुकर्मियों के कारण मत कुढ़, कुटिल काम करनेवालों के विषय डाह न कर! क्योंकि वे घास के समान झट कट जाएँगे, और हरी घास के समान मुर्झा जाएँगे। याहुवाह पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्‍चाई में मन लगाए रह। याहुवाह को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। अपने मार्ग की चिन्ता याहुवाह पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा।...याहुवाह के सामने चुपचाप रह, और धीरज से उसकी प्रतीक्षा कर; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्‍तियों को निकालता है!... क्योंकि दुष्‍टों की भुजाएँ तो तोड़ी जाएँगी; परन्तु यहोवा धर्मियों को सम्भालता है।” (देखिये भजन संहिता ३७:१-१७)

परिस्थितियां उठेंगी जहां आपको पता नहीं क्या करना चाहिए। डरे मत! वादे का दावा करें!

“पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो तो परमेश्‍वर से माँगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है, और उसको दी जाएगी।” (याकूब १:५)

“परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” (मत्ती २४:१३)

सत्य और त्रुटि, धार्मिकता और विद्रोह के बीच की लड़ाई, केवल और अधिक तीव्र बढ़ेगी जैसे हम दूसरे आगमन के करीब आते हैं।

“पर जितने [याहुशूआ] में भक्‍ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएँगे।” (२ तिमिथियुस ३:१२)

पारिवारिक रिश्ते विश्वासी पर पड़ते दबाव से छूटे हुऐ नहीं। बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ दिया जाएगा; बच्चों को निकाल दिया जाएगा। शादियाँ टूट रहे हैं और टूट जायेंगे जैसे ही एक साथी सत्य को चुनता और दूसरा इसे ठुकराता है। जब ऐसा होगा, याहुवाह आपके माता, आपके पिता और जीवन साथी होंगे:

मेरे माता-पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्तु याहुवाह मुझे सम्भाल लेगा। (भजन संहिता २७:१०)

“मत डर, क्योंकि तेरी आशा फिर नहीं टूटेगी; मत घबरा, क्योंकि तू फिर लज्जित न होगी और तुझ पर सियाही न छाएगी; क्योंकि तू अपनी जवानी की लज्जा भूल जाएगी, और अपने विधवापन की नामधराई को फिर स्मरण न करेगी। क्योंकि तेरा कर्ता तेरा पति है, उसका नाम सेनाओं का याहुवाह है; और इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ानेवाला है, वह सारी पृथ्वी का भी ‍[एलोहीम] कहलाएगा।” (यशायाह ५४:४,५)

उद्धारकर्ता को पता था कि उसके अनुयायियों को समय के अंत के बढ़ रहे उत्पीड़न का सामना करना होगा। सांझ से पहले जब उसे क्रूस पर चढ़ाया गया था, उसके अंतिम बयानों मे से एक आज सभी के लिए प्यार आश्वासन प्रदान करता है:

याहुवाह के वचन में जो यह कहता है करने की शक्ति है।

मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कहीं हैं कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले। संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बाँधो, मैं ने संसार को जीत लिया है।” (यूहन्ना १६:३३)

जैसे ही आप उत्पन्न होने वाले परिस्थितियों को परवाह किए बिना सत्य का अनुसरण करते हैं, याहुवाह ने आपके साथ हर कदम पर चलने का वादा किया है, हर परीक्षण के माध्यम से आपको सुरक्षित लाने के लिए।

मैं तुझे बुद्धि दूँगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूँगा; मैं तुझ पर कृपादृष्‍टि रखूँगा और सम्मति दिया करूँगा।” (भजन संहिता ३२:८)

याहुवाह में विश्वास करना सुरक्षित है।

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से याहुवाह पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। (देखिये नीतिवचन ३:५,६)

आगे क्या है की परवाह किए बिना, आप अपने उद्धारकर्ता की बाहों में सुरक्षित है। आज्ञापालन करने के लिए दृढ़ होकर, जैसे ही आप विश्वास में कदम बढ़ाते हैं, याहुवाह एक मार्ग खोलेंगे जो अनुसरण करने के लिए सुरक्षित है।

याहुवाह का भरोसा करें। सारा बोझ उसी पर डाल दें। उनके लिए कोई भी परिक्षा सहने में भारी नहीं। उनके लिए कोई भी समस्या हल करने के लिए जटिल नहीं; उनके लिए कोई भी अकेलापन घोर नहीं राहत पहुँचाने के लिए।

आज याहुवाह आपस बात करते है:

“मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे। (यूहन्ना १४:२७)


और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ।”
(मत्ती २८:२०)