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लेने से देना अधिक धन्य है . . . .

आप क्या दे सकते हें

स्नेहा परेशान थी। साल का सबसे बड़ा त्योहार आने वाला था और उसके पास उसके मेज़बान परिवार को देने के लिए कोई उपहार नहीं था। यूरोप से एक विध्यार्थी जो द्वितीय विश्व यद्ध के बाद, जीवन पुनर्निमाण करने के लिए संघर्ष कर रही थी, उसे ऐसा लग रहा था उसका धनी मेजबान परिवार को दुनिया में वह सब कुछ है जो कोई व्यक्ति चाह सकता है।

आप उन लोगों को क्या दे सकते हैं जिनके पास सब कुछ है?

उसका मेज़बान परिवार उसके प्रति बहुत दयालु और उदार था। वह जानती थी कि आने वाले उत्सव में वे उसे भी उपहारें देंगे जैसे वे अपने बच्चों के साथ करते हैं। ऐसे लोगों को देने के लिए स्नेहा के पास क्या था जिनकी ज़रूरत उनको थी और वे अपने लिए नहीं खरीद सकते थे? उनके पास सब कुछ था।

बच्चों के कपड़ेत्योहार का दिन करीब आ रहा था। अंत में, दो दिन पहले, स्नेहा को पता था कि वह क्या कर सकती थी। शहर से बस लेकर, वह एक अच्छे कपड़े के दुकान में गई और सबसे सुंदर बेबी-ड्रस खरीदी, जिसे उसके पैसे से खरीदा जा सकता था और उसे गिफ्ट-रेपर में लपेटा। दुकान छोड़कर, वह दरवाजे के पास खड़े आदमी के पास गई और पूछा, "क्षमा करें, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुझे कहां से जानकारी मिल सकता है वो जगह जहां गरीब परिवार रहते हैं?"

वो आदमी स्नेहा का चेहरा देखा और अपना मुँह मोड़ लिया। वह एक पुलिस के पास गई। उस से पुछने के लिए।

"गरीब परिवार? तुम वहाँ नहीं जाना चाहते, बेटी। शहर का वो हिस्सा सुरक्षित नहीं है। अब तुम घर जाओ और अच्छी छुट्टी मनाओ।"

न्यूयॉर्क शहर साल के किसी भी समय लोगों से भरा रहता है और एक प्रमुख छुट्टी से दो दिन पहले कोई खास नहीं है। इतने सारे लोगों के बीच स्नेहा अपने आप को बहुत अकेला महसूस कर रही थी। वह यह नहीं जानती थी कि अपनी योजना को पूरा करने के लिए आगे कहाँ जाना है, इस चिंता में कि वह असफल हो जाएगी, वह आगे चलने लगी।

थोड़ी देर बाद, वह ऐसे सड़कों पर आ गई, जो उतनी सुंदर या ठीक नहीं थीं। यहाँ, इमारतें अधिक खराब थीं; लोग, इतने अच्छे कपड़े नहीं पहने। उसे एक घंटी की आवाज़ सुनाई दिया, और उसने देखा कि लाल वर्दी में एक आदमी घंटी बजा रहा था जो साल्वेशन आर्मी के भेंट इकट्ठा करने वाली बाल्टी के बगल में खड़ा था। वह साल्वेशन आर्मी को जानती थी। वे यूरोप में भी थे।

झिझकती हुई, शर्मीली, फिर से ठुकाराए जाने के डर से, स्नेहा उस आदमी के पास जा पहुँची। "क्षमा करें, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुझे गरीब परिवार कहां मिल सकता है?"

वह आदमी, उम्र में बड़े, नाना के तरह, स्नेहा को समझे। अपनी टूटी अंग्रेज़ी में वह अपनी बात उस आदमी को समझाने कि कोशीष की।

साल्वेशन आर्मी ऑफिसर समझ गया। “हाँ, मैं एक गरीब परिवार को जानता हूँ। वास्तव में, बहुत सारे। मेरी शिफ्ट लगभग खत्म हो चुकी है। यदि आप कुछ मिनट प्रतीक्षा कर सकते हैं, तो मैं आपको ले जाऊँगा।"

थोड़ी देर बाद एक टैक्सी कैब में सवार होकर, उस व्यक्ति ने एक ऊंचे बिल्डिंग के पास जाने का निर्देश दिया। यह निश्चित रूप से गरीब था। स्नेहा को पता नहीं था कि ऐसी गरीबी अमेरिका में भी है। साल्वेशन आर्मी के अधिकारी ने बाहर निकलकर स्नेहा के लिए टैक्सी का दरवाजा खोला। स्नेहा ने अपना सिर हिलाया।

"नहीं, कृपया आप उनको यह तोफा दिजिए। देने के लिए यह मेरा नहीं है। कृपया उनको समझाये: यह तोफा उनके ओर से हैं जिनके पास सब कुछ है।"

टैक्सी सुरक्षित उसे घर लाया लेकिन उस से पैसे नहीं लिया। ड्राईवर ने उनकी बातें सुनी थीं और समझदार व्यक्ति था।

उत्सव का बड़ा दिन आ गया। उपहारों के ढेर ने निराश नहीं किया। स्नेहा ने जैसा सोचा था, कई उदार उपहार उसे मिले। जब सारे तोफे खोल दिया गया, शर्मीले, झिझकते हुए, उसने अपनी टूटी हुई अंग्रेजी में यह समझाने की कोशिश की कि उसकी ओर से कोई उपहार क्यों नहीं है।

"कृपया समझिए। मैं आपको बहुत खास उपहार देना चाहती हूँ। लेकिन आपके पास पहले से ही सब कुछ है। आपको मेरे ओर से कोई चीज़ की जरूरत नहीं है। आप मेरे लिए जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए मैं कुछ भी खरीद कर आपको दूँ, वह मेरे दिल से आभार व्यक्त नहीं कर सकता। इसलिए, मैं सबसे सुंदर बेबी-ड्रस खरीदी हूँ जो मुझे मिल सकती है और बहुत गरीब परिवार को देकर आई हूँ। उन्हें उसकी बहुत जरूरत है। मैं उसे आपके नाम पर दे दी हूं। आपकी ओर से उपहार है।"

गरीब परिवार का आभार उनके लिए था, स्नेहा के लिए नहीं, उसने समझाया। यह उनके लिए स्नेहा का उपहार था, जिनके पास सब कुछ था।

कमरे में सन्नाटा छा गया। मेजबान परिवार के आंखों में आंसू आ गए। स्नेहा के घर लौटने के बाद भी उसकी प्रेम उपहार की सुंदरता को लंबे समय तक याद रखा गया, क्योंकि यह उन्हें आने वाले वर्षों में "जा और तू भी ऐसा ही कर" ने के लिए प्रेरित किया।

हृदय जो प्रेम करता है, वह देना चाहता है। प्राप्त किया हुआ प्यार के लिए आभार बदले में देने में अपनी अभिव्यक्ति पाता है।

सोने का तोफालेकिन उनको क्या दिया सकता जिनके पास सब कुछ है?

याहुवाह के पास सब कुछ है। वास्तव में वह हर चीज का स्रोत है! मनुष्य अपने सृष्टिकर्ता को क्या दे सकता है जब सब कुछ याहुवाह का है?

याहुवाह खुद हमें बताए की किस तरह का उपहार उनके लिए महत्वपूर्ण है:

परम पिता याहुवाह के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए। (देखिए याकूब १:२७; HERV)

याहुवाह को नई कमीज़ की ज़रूरत नहीं है। उनको कोई पुस्तक, घड़ी या नवीनतम कम्प्यूटरीकृत गैजेट का कोई उपयोग नहीं है। याहुवाह जिन उपहारों को प्रेम करता है, वे उपहार हैं जो वह पृथ्वी पर होने पर देता: प्रेमपूर्ण, दयालु काम; खुशी और प्रोत्साहन के शब्द; उन लोगों के लिए भोजन और कपड़े जिन्हें उनकी आवश्यकता है; भूखी आत्मा के लिए स्वर्गीय सत्य। "मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।" (मत्ती २५:४०; HHBD)

किसी के दु:ख या दूसरे के अज्ञान को दूर करने के लिए जो कुछ भी किया जाता है उसे याहुवाह द्वारा एक व्यक्तिगत उपहार के रूप में स्वीकार किया जाता है, जैसे की वह याहुवाह को दिया गया। याहुशुआ आश्वासन दिए: "जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिये पिलाए कि तुम . . . [मेरे] हो तो मैं तुम से सच कहता हूं कि वह अपना प्रतिफल किसी रीति से न खोएगा।" (मरकुस ९:४१; HHBD) यहाँ तक कि किसी के प्यास को बुझाना भी, याहुवाह के लिए किया हुआ स्वीकारा जाता है!

कारण स्पष्ट है: याहुवाह और याहुशुआ वो सब कुछ महसूस करते हैं जो उनके बच्चे महसूस करते हैं। "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।" (इब्रानियों ४:१५; HHBD) इसलिए कोई भुखा महसूस करता है तो याहुवाह भी उस भूखे के दर्द को महसूस करते हैं। भोजन का उपहार भूखे व्यक्ति के दर्द से राहत प्रदान करता है, जो बदले में, उस दर्द से राहत देता है जो यहुवाह अपने बच्चों में से एक के पीड़ित होने पर महसूस करता है।

एक परेशान, चोट पहुँची आत्मा को प्रोत्साहित करने के लिए बोले गए आशा और विश्वास के शब्द, याहुवाह द्वारा महसूस किए गए भावनात्मक दर्द को कम करता है जब उनका एक बच्चा उदास और निराश होता है। शायद सबसे बड़ा उपहार जो दिया जा सकता है वह है सत्य का ज्ञान। बहुसंख्यक लोग दुःख में, त्रुटि और अंधविश्वास के अंधेपन में जी रहे हैं। उन्हें सत्य का उपहार देना, ताकि वे याहुवाह के उद्धार में आनन्दित हो सकें और उनके अनन्त राज्य में बचाए जा सकें, यह एक ऐसा उपहार है जिसे विशेष रूप से स्वर्गीय पिता द्वारा संजोए रखा जाता है।

व्यक्ति मेल रखता हुआयह उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो घर में एक्लेसिया रखते हैं और उनका कोई संगठन से संबंध नहीं है, जिनको वे पैसे दे सकें, वे दशमांश और भेंट लौटाने के सिद्धांतों को समझें। डब्ल्यूएलसी (WLC) दशमांश या भेंट स्वीकार नहीं करता है और यदि किसी व्यक्ति का चर्च से कोई संबंध नहीं है, तो यह जानना कठिन हो सकता है कि इस तरह के दशमांश या भेंट का क्या करना है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे कोई व्यक्ति याहुवाह को वापस कर सकता है जो उनका है - चाहे जब कोई घर की एक्लेसिया में भाग ले रहा हो।

दशमांश और भेंट में अंतर है। याहुवाह को दशमांश पृथ्वी पर उनके कार्य को आगे बढ़ाने के स्पष्ट उद्देश्य के लिए दिया जाता है, या तो उनके सेवकों के समर्थन में, या सुसमाचार के प्रसार में। दूसरी ओर, भेंट, याहुवाह को कृतज्ञता और प्रेम से दिए गए उपहार हैं। ये प्रेम-उपहार कई प्रकार के रूप ले सकते हैं और यह जरूरी नहीं है कि ये पैसे होनी चाहिए।

भेंट

याहुशुआ केवल हमारा मुक्तिदाता ही नहीं बल्कि वह हमारे उदाहरण भी है कि हमें किस तरह से जीना है। वह दुनिया के सबसे महान शिक्षक थे, लेकिन लोगों को उद्धार के सत्य सिखाने से पहले, उन्होंने लोगों की शारीरिक जरूरतों को पूरा किया। उन्होंने उनके रोगों को चंगा किया, अन्धों को दृष्टि दी, बहरों के कान खोल दिया, दुष्टात्मा से पीड़ीत को छुटकारा दी, और कमजोर हृदय को साहस दिया। जरूरत पड़ने पर, उन्होंने उनके लिए भोजन भी उपलब्ध कराया! एक बार जब उनके हृदय कृतज्ञता से भर गए, तो लोग दिव्य सत्य के शब्दों को सुनने के लिए अधिक खुले थे जिसे वह साझा करना चाहते थे।

उनका उदाहरण का अनुसरण करते हुए, विश्वासियों के लिए यह पूरी तरह से स्वीकार्य है कि वे अपने आस-पास के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए अपने भेंट का उपयोग करें। जरूरतमंद लोगों पर दया और करूणा दिखाने की चेतावनीयों से पवित्रशास्त्र भरा है।

सेनाओं के यहोवा ने यों कहा है, खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना, न तो विधवा पर अन्धेर करना, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना। (जकर्याह ७:८-१०; HHBD)

यदि आप किसी ऐसे वृद्ध को जानते हैं जिसके पास खाने के लिए भोजन नहीं है, तो उसके संकट में उसकी सहायता करने के लिए भोजन का उपहार, वह प्रेम की भेंट है जिसे प्राप्त करने से याहुवाह प्रसन्न होते हैं। यह धार्मिक इस्राएलियों का रिवाज था कि वे सप्ताह के छठे दिन भिखारियों के लिए भोजन ले जाते थे ताकि उनकी जरूरतें पूरी हो सके और उन्हें सब्बात के पवित्र घंटों में भीख न माँगनी पड़े।

अगर एक अकेली माँ अपने बच्चों को सहारा देने के लिए कष्ट कर रही है, तो सर्दियों के लिए कोट और जूतों के उपहार जो एक विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करता है, याहुवाह को एक स्वीकार्य भेंट है, क्योंकि जब उनके सांसारिक बच्चों के संकट में मदद किया जाता है, तो उनके साथ याहुवाह का स्वयं का कष्ट को दूर किया जाता है।

माँ और बेटी गले लगाते हुएजब भी दुख होता है याहुवाह के प्रेम के हृदय को हमेशा उसे स्पर्श करता है। उनका ध्यान जरूरतमंदों पर केंद्रित है, और जो कोई भी उस आवश्यकता को कम करने के लिए कार्य करता है, याहुवाह के साथ कार्य करता है और इस प्रकार दिए गए उपहार, वास्तव में याहुवाह को दिए गए भेंट है।

जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा। (नीतिवचन १९:१७; HHBD)

उपहार ऋण से अलग है। एक उपहार बिना किसी वापसी की उम्मीद के दिया जाता है। दूसरी ओर, ऋण, केवल एक निर्दिष्ट अवधि के लिए इस उम्मीद के साथ दिया जाता है कि यह बाद की तारीख में मालिक को वापस कर दिया जाएगा। याहुवाह को ज्यादा देना असंभव है। वह सभी उदार देने का स्रोत है। गरीबों और जरूरतमंदों को दिए गए भेंट को याहुवाह द्वारा ऋण माना जाता है। याह सुनिश्चित करते हैं कि देने वाले को कभी भी कमी न हो। याहुवाह अपने संतों को दिए गए भोजन और आतिथ्य का भी हिसाब रखता है, और यह सुनिश्चित करेगा कि देने वाले को पूरा इनाम मिले। दया करने वाले पर आशीष फलती है, क्योंकि वह कंगाल को अपनी रोटी में से देता है। (नीतिवचन २२:९; HHBD)

" 'अतिथि–सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर–सत्कार किया है।' ये वचन समय बीतने के साथ अपना कोई भी बल नहीं खोया है। हमारे स्वर्गीय पिता अभी भी अपने बच्चों के मार्ग में उन अवसरों को रखना जारी रखे हैं जो भेष में आशीर्वाद हैं; और जो इन अवसरों को सुधारते हैं उन्हें बहुत खुशी मिलती है। 'उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा। और याहुवाह तुझे लगातार लिए चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता।' "

हमारी आधुनिक दुनिया में, "दशमांश और भेंट" के बारे में बहुत सीमित दृष्टिकोण रखना आसान है। यह सोचना आसान है कि जब तक यह किसी संगठन को समर्थन देने के लिए दिया गया धन नहीं है, तब तक इसे दशमांश या भेंट के रूप में नहीं गिना जा सकता है। हालाँकि, यह पवित्रशास्त्र के साथ अविरूद्ध नहीं है।

प्राचीन इज़राइल एक कृषि प्रधान समाज था: लोग, अधिकांश भाग के लिए, इस्राएली, किसान, पशुपालक और चरवाहे थे। दशमांश का भुगतान जानवरों, तेल के सुराही, फलों के टोकरियाँ, अनाज के बोरे या आटे के पीपा में किया जा सकता था। भेंट कुछ भी हो सकती है जो याहुवाह को देना चाहता है।

दानेएक महिला जो सुई के काम में अच्छी थी, कपड़े का एक अच्छा टुकड़ा कढ़ाई कर सकती थी, या अपने करघे पर कुछ बुन सकती थी। जब उसका परिवार तम्बू के पर्व के लिए निवास-स्थान को यात्रा करता था, तो उसका पति अपने खेत की वृद्धि पर दशमांश के रूप में अनाज के बोरे ला सकता था, लेकिन वह एक व्यक्तिगत भेंट भी ला सकती थी: याहुवाह को उनके साल भर के आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता दिखाने के लिए प्रेम का एक उपहार।

जब हर कोई हर साल पर्वों के लिए यरूशलेम नहीं जा सकता था, तो उन लोगों के लिए भी पैसों का इंतजाम किया जाता था, जो वैध कारण से यात्रा नहीं कर सकते थे। एक वार्षिक भोज के लिए अपने ही घर में गरीबों की मेजबानी करने के स्पष्ट उद्देश्य के लिए दूसरा दशमांश बचाया जाता था। याहुवाह गरीबों, बुज़ुर्गों और बीमार की परवाह करता है। उन्होंने सभी के लिए पर्वों के आशीर्वाद में हिस्सा लेने का प्रावधान किया।

जो लोग इतने गरीब थे कि यरूशलेम की यात्रा का खर्च उठा नहीं सकते थे, वे भी भरपूर फसल की आशीषों और आध्यात्मिक पर्व का आनंद ले सकते थे, जिनके पास अधिक था उनका आतिथ्य स्वीकार करके। इस प्रकार, संपूर्ण इब्रानी अर्थव्यवस्था उदारता और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की प्रणाली पर आधारित थी। इस तरह के उपहार, हालांकि मौद्रिक नहीं, भेंट माने जाते थे और याहुवाह द्वारा उन्हें दिए गए उपहार के रूप में स्वीकार किए जाते थे।

जो निर्धन को दान देता है उसे घटी नहीं होती, परन्तु जो उस से दृष्टि फेर लेता है वह शाप पर शाप पाता है। (नीतिवचन २८:२७; HHBD)

दशमांश

भेंट से अलग, दशमांश याहुवाह को दिने वाला उपहार नहीं है। दशमांश पहले से ही उनका है! वास्तव में, सब कुछ सृष्टिकर्ता का है। यह सब उनका है क्योंकि उन्होंने सब बनाया है!

तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूँगा, सेनाओं के याहुवाह का यही वचन है; परन्तु तुम पूछते हो, ‘हम किस बात में फिरें?’

क्या मनुष्य [याहुवाह] को धोखा दे सकता है? पर देखो, तुम मुझ को धोखा देते हो, और तौभी पूछते हो, ‘हम ने किस बात में तुझे लूटा है?’ दशमांश और उठाने की भेंटों में। (मलाकी ३:७-८; HINOVBSI)

याहुवाह कृपापूर्वक हमें जो कुछ भी देता है उसका दस हिस्सों में से नौ हिस्सों का उपयोग करने की अनुमति देता है। उनका एक ही अनुरोध है कि हम उन्हें दस में से एक हिस्सा लौटा दें। जबकि भेंट याहुवाह को प्रेम में दिया गया कोई भी तोफा हो सकता है, उसके संतों के व्यक्ति में, दशमांश पृथ्वी पर उनके सत्य को आगे बढ़ाने के विशेष उद्देश्य के लिए है।

यह उनके सेवकों का समर्थन करने के द्वारा किया जा सकता है; या तो पैसे, भोजन, या और कुछ भी जो किसी व्यक्ति के पास हो, जो सुसमाचार फैलाने के उनके कार्य में उनकी सहायता के लिए प्रदान कर सकता है। दशमांश कई अन्य तरीकों से भी लौटाया जा सकता है। सत्य के प्रसार का समर्थन करने वाला कोई भी व्यय दशमांश देने के समान होता है। दूसरों के साथ साझा करने के लिए बाइबल और अन्य आध्यात्मिक सामग्री खरीदना भी इसमें शामिल है।

कंप्यूटर पर काम कर रही लड़कीजिनके पास खुद का प्रिंटर नहीं है, वे इंटरनेट कैफे में सत्य से भरे लेखों को प्रिंट करके और ज़िराक्स की दुकानों पर कॉपी करके अपना दशमांश वापस कर सकते हैं। फिर इन्हें दूसरों के साथ साझा किया जा सकता है। डब्लूएलसी फ्री स्टोर में सत्य साझा करने के औजार का एक सेक्शन भी है जो सच्चाई फैलाने के लिए भी उपयोगी हो सकता है। उद्धार का कार्य बहुत आगे बढ़ सकता है यदि दशमांश रखने वाले सभी लोग इसे सीधे अपने प्रभाव के दायरे में सत्य को आगे बढ़ाने के कार्य में लगा दें।

याहुवाह ने प्रतिज्ञा की है कि जो उनके पास उनका दशमांश लौटाते हैं, उन्हें बहुतायत से आशीष देगा।

सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे; और सेनाओं का याहुवाह यह कहता है, कि ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूँ कि नहीं।

मैं तुम्हारे लिये नाश करनेवाले को ऐसा घुड़कूँगा कि वह तुम्हारी भूमि की उपज नष्‍ट न करेगा, और तुम्हारी दाखलताओं के फल कच्‍चे न गिरेंगे, सेनाओं के याहुवाह का यही वचन है।

तब सारी जातियाँ तुम को धन्य कहेंगी, क्योंकि तुम्हारा देश मनोहर देश होगा, सेनाओं के याहुवाह का यही वचन है। (मलाकी ३:१०-१२; HINOVBSI)

याहुवाह ने उन सभी पर एक अलौकिक आशीष देने का वादा किया है जो उन पर इतना भरोसा करते हैं कि निःस्वार्थ भाव से उनको दशमांश और भेंट लौटाते हैं। किसी को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि उनका दशमांश बहुत छोटा है, या उसके उपहार से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह याह है जो वृद्धि देता है! (१ कुरिन्थियों ३:७ HINOVBSI)

इस बात की परवाह किए बिना कि एक व्यक्ति क्या काम करता है, या कितना दशमांश और भेंट वह लौटाता है, याहुवाह हृदय को देखता है, और देने वाले की इच्छा के अनुपात में, वह वृद्धि की आपूर्ति करता है।

एक छोटा सा उपहार, प्रेम के शुद्ध हृदय से, विनम्र विश्वास में दिया गया, घमंड और गर्व की प्रेरणा से दिए गए हजारों रुपयों से बड़ा इनाम प्राप्त करेगा।

याहुशुआ यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हर कोई इस बात को समझे। एक दिन, जब वह अपने शिष्यों के साथ मंदिर में थे,

फिर उसने आँख उठाकर धनवानों को अपना अपना दान भण्डार में डालते देखा। उसने एक कंगाल विधवा को भी उसमें दो दमड़ियाँ डालते देखा।

तब उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है। क्योंकि उन सब ने अपनी अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।” (लूका २१:१-४; HINOVBSI)

जो धनवान बहुत धन दे रहे थे, उनके पास बहुत सारा धन बचा था। गरीब विधवा के पास देने के लिए केवल दो दमड़ियाँ थे। लेकिन, उसने बाकी सब से ज़्यादा दिया, क्योंकि उसने “अपनी सारी जीविका डाल दी।” दूसरे शब्दों में, उस दिन के लिए उसके पोषण के लिए उसके पास जो छोटी-सी रकम थी, वह वही थी जो उसने दी: उसने सब कुछ दे दिया।

हंस रही बूढ़ी औरतपरिणामस्वरूप, उसका प्रतिफल उस धनी से कहीं अधिक होगा जिसने बहुत कुछ डाला, फिर भी उनके पास बहुत कुछ बचा था। किसी दिन, स्वर्ग में, उद्धारकर्ता उसे दिखाएगा कि उसके निःस्वार्थ देने का परिणाम क्या था: मिशनरियों और डॉक्टरों को दुनिया के सभी हिस्सों में भेजा गया, अस्पताल बनाए गए, स्कूलों और अनाथालयों का समर्थन किया गया। जो दो दमड़ियों के साथ, एक छोटी सी बूँद के रूप में शुरू हुआ, बढ़ता गया और तब तक बढ़ता गया कि यह परोपकार और उदारता के एक शक्तिशाली महासागर में बदल गया, यह सब उसके नि:स्वार्थ देने के उदाहरण से प्रेरित और संभव हुआ। उसका इनाम कितना महान होगा!

आपके हाथ में क्या है? याहुवाह को लौटने के लिए आपके शक्ति में क्या है? प्रेम-उपहार का रूप मायने नहीं रखता। दशमांश की संख्या से कोई फर्क नहीं पड़ता। जो मायने रखता है वह प्यार है जो उपहार को प्रेरित करता है। केवल याहुवाह के सत्य को फैलाने के लिए उनके साथ काम करने की इच्छा मायने रखती है।

छोटा-सा उपहार भी भरपूर प्रतिफल प्राप्त करने में असफल नहीं होगा। उन सभी का प्रतिफल महान होगा जो अपने पास का सृष्टिकर्ता को देते हैं।


गोपनीयता के लिए नाम बदल गया।

इब्रानी १३: २

देखिए यशायह ५८