Print

अश्लील सामग्री देखना: आत्मा को नष्ट करता है!

हर पापमयी कार्य की जड़ जो हमेशा पापमयी स्वभाव में पाई जाती है वो हृदय में बसी हुई होती है। जहाँ कहीं हृदय में पाप बसा हुआ हो, वहाँ शैतान को अवसर मिल ही जाता है। बुरे विचारों को डाल करके और भावनाओं से छेड़छाड़ करके, छोटी और मजबूत दोनों प्रकार की परिक्षाओं और प्रलोभनों से, शैतान आत्मा को बांधने और अपनी इच्छा का गुलाम बनाने के लिए मनुष्य के मन में बसे हर पाप का इस्तेमाल करता है। कोई भी व्यक्ति जो ज्ञात पाप से चिपका रहता है वो इस प्रकार से शैतान के हाथ की एक कठपुतली बन जाता है।

आदमी एक चट्टान के किनारे से गिर जाने वाला है।अक्सर एक ऐसा व्यक्ति जो एक "अच्छा" जीवन जीते दिखाई देता हो, वह पाप में अचानक गिरता हुआ दिखाई देगा। हालांकि, पापमयी कार्य, केवल उसका बाहरी प्रकाशन है जो अंदरूनी हृदय में पहले से ही जगह ले लिया हो। जब अंदरूनी भ्रष्टता बाहर के प्रलोभन के साथ मिल जाता है, तब व्यक्ति गिर जाता है।

एक पाप जो सभी आयु वर्गों के शादीशुदा और कुवारों में तेजी से महामारी का रूप लेकर पहुँच गया वो पोर्नोग्राफ़ी है। अर्थात अश्लील साहित्य-सामग्री व विडियोज़। अब, इंटरनेट की आसान पहुंच के साथ, अश्लील साहित्य पहले से भी कहीं अधिक आसानी से उपलब्ध हो जाता है। जबकि पहले, किसी व्यक्ति को स्टोर से पोर्नोग्राफ़ी खरीदने या किराए पर लेने की शर्मिंदगी का जोखिम उठाना पड़ता था, अब कोई भी आपने घर के सुविधा में गोपनीय तरीके से इंटरनेट के ज़रिए प्राप्त कर सकता है।

पोर्नोग्राफ़ी आत्मा को नाश कर देना वाला एक शिकंजा है जो ज्यादातर लोगों के एहसास से भी कही अधिक रिश्तों के नष्ट होने के लिए ज़िम्मेदार है। एक आदमी जो पोर्नोग्राफी में लिप्त रहे, वह अपनी पत्नी या उसकी प्रेमिका को जीती-जागती वस्तु समझना शुरू कर देता है, और उसे यौन वस्तु के रूप में देखता है। कोई भी स्त्री, जिसे इस नजर से देखा जा रहा हो, उसे आनंद प्राप्त नहीं होता और जहां एक समय, भावनात्मक अंतरंगता साझा की गई थी वहीं भावनात्मक दूरी प्रवेश भी कर लेती है। यह बात उन जोडे के बीच भी सच है जो डेटिंग कर रहे हैं और जिन्होंने सेक्स नहीं किया।

हालांकि, इससे भी बढ़कर बात यह है, जब एक बार किसी महिला को वस्तु समझ लिया जाता है, तब यह अश्लील-हिरोइनों के साथ उसकी सेक्स की वस्तु के रूप में तुलना करने का एक तेजी से उठाया हुआ कदम होता है। पोर्न में पाई जाने वाले उन स्त्रियों की तस्वीरों से जो बेहद अश्लील और ध्यान खींचने वाली होती है, कोई भी सामान्य महिला प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती। न केवल उसका शरीर ही जो प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता - ब्लकि उसका प्रतिउत्तर भी उससे प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता।

जब एक महिला खुद को कम मूल्यवान होना महसूस करती है, तो उसके जवाब अपने पति के तरफ उस भावनात्मक परिवर्तन को दर्शाएंगे जो उस महिला में आते हैं। जब कोई आदमी जो अपनी पत्नी को एक सेक्स की वस्तु के रूप में देखता है, उसके साथ उसी तरह से सलूक करना शुरू कर देगा। इससे पत्नी भावनात्मक रूप से पीछे हट जाती है जिससे उसकी शारीरिक जवाबदेही प्रभावित होगी। अपनी पत्नी में कमी के रूप में वह जो देखता है, उसके परिणामस्वरूप वह और अधिक अश्लील चीजों में लिप्त हो जाएगा। ऐसा आदमी शैतान का बंदी है। एक असली, हाड़-मांस की महिला के लिए किसी पुरुष की उन कल्पनाओं की छवियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना असंभव है। हकीकत में, एक महिला भी, किसी भी आदमी की ही तरह, उम्र के साथ बदलती जाती है। किसी भी आदमी के लिए ३० या ४० या उससे भी अधिक उम्र की किसी भी महिला से ऐसी अपेक्षा करना कि वो अपने आकार को और जवानी को बनाए रखें, बिलकुल अवास्तविक है।

कंप्यूटर स्क्रीन पर चुपके से झांकता आदमी।कल्पनाओं में, कोई भी व्यक्ति वास्तविकता से सीमित नहीं है। उसकी उत्तेजना का कारण कुछ भी हो सकता है, जिस किसी भी चीज का सपना देखे। जैसे-जैसे शैतान अपनी शक्ति और दृढ़ता से उस व्यक्ति को बांध लेता है, जो वासनापूर्ण कल्पनाओं में लिप्त रहता है, वो व्यक्ति और अधिक रूप से भ्रष्ट तथा अय्याशी होता चला जाएगा। पहली बार जिस उत्तेजना ने उसे प्रोत्साहित किया था, समय के साथ, वो उत्तेजना अपनी प्रभावशीलता खो देता है। उत्तेजना की उसी स्थिति को महसूस करने के लिए जैसा उसने पहले महसूस कया था, वह अश्लील साहित्य की ओर और भी दुगने दुष्ट स्तर पर चला जाता है।

वियाग्रा (Viagra) के रूप में इस तरह के प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं की उपलब्धता ने केवल समस्या को और अधिक बढ़ाया है। अब तो वियाग्रा के प्रतिदिन उपयोग के लिए डिजाइन की गई खुराक भी मौजूद रहती है। इसने पुरुषों से उनकी गरीमा को चुरा लिया जो याह ने दी थी, और उन्हें सेक्स के दासों में बदल दिया, और कामुक उत्तेजना का आदी बना दिया है। तब शैतान उनकी कल्पनाओं के साथ खेलता है और उन्हें उनके आसपास चलने वाली हर महिला पर उनके विचारों के माध्यम से उनकी पाप करने में अगुवाई करता है।

याहुवाह का इरादा था कि एक पति और पत्नी हमेशा करीब रहें और जीवन भर अपने अनुभवों और यादों को आपस में साझा करें। महिला के शरीर में गर्भधारण के बाद और उम्र के साथ आते बदलाव को, पुरुष द्वारा सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए जो उसके बच्चे को इस दुनिया में लाने के लिए खुद का बलिदान करती हैं। गुज़रते वक्त के साथ ही पति और पत्नी के दिल को हमेशा एक साथ मिले रहना चाहिए क्योंकि पति उसे प्यार करता है और अपने प्यार में उसे सुरक्षित रखता है, बदले में पत्नी भी अपने पूरे दिल से उसे प्यार करती है।

सोते के चित्रण के तहत, नीतिवचन की पुस्तक सभी को अपने पति/पत्नी में अपनी पूर्ति की तलाश करने के लिए सलाह देती है:

"तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, प्रिय हरिणी या सुन्दर सांभरनी के समान उसके स्तन सर्वदा तुझे सन्तुष्‍ट रखें, और उसी का प्रेम नित्य तुझे आकर्षित करता रहे।

हे मेरे पुत्र, तू अपरिचित स्त्री पर क्यों मोहित हो, और पराई को क्यों छाती से लगाए? क्योंकि मनुष्य के मार्ग याहुवाह की दृष्‍टि से छिपे नहीं हैं, और वह उसके सब मार्गों पर ध्यान करता है। दुष्‍ट अपने ही अधर्म के कर्मों से फँसेगा, और अपने ही पाप के बन्धनों में बँधा रहेगा।" (नीतिवचन ५:१८-२२)

एक आदमी की कल्पना में जो छवियाँ होती है, वो छवियाँ एक औरत के लिए शब्द होते हैं। पोर्नोग्राफ़ी लंबे समय से ही एक उपकरण रही है जिसके मुख्य रूप से पुरुष ही आदी हैं।

हालांकि, यौन संबंधों से जुडे कई अश्लील उपन्यासों को भी महिलाओं द्वारा पढ़ने मे काफी वृद्धि हुई। जिस प्रकार अश्लील दृश्य या विडियोज पुरुषों के लिए आत्मा का नाश होने का कारण है, उसी प्रकार से महिलाओं के लिए अश्लील उपन्यासों व अश्लील किताब पढती हुई महिलाकथाओं का यह क्षेत्र जिसे "मोम्मी-पोर्न" कहा जाता है, नशे की लत के रूप में है। जबकि एरोटीका पत्रीका हमेशा से उपलब्ध रही, लेकिन हाल के प्रकाशनों ने अश्लीलता को सामाजिक रूप से स्वीकार्य बना दिया है।

कनान में प्रवेश करने से ठीक पहले, शैतान ने उन्हें बालपोर के विषय में बहुत ही बड़े पाप में ढकेल दिया। पवित्रशास्त्र स्पष्ट है कि इस्राएलियों ने मोआब की महिलाओं के साथ व्यभिचार किया:

इस्राएली शित्तीम में रहते थे, और वे लोग मोआबी लड़कियों के संग कुकर्म करने लगे। और जब उन स्त्रियों ने उन लोगों को अपने देवताओं के यज्ञों में नेवता दिया, तब वे लोग खाकर उनके देवताओं को दण्डवत् करने लगे। यों इस्राएली बालपोर देवता को पूजने लगे...।" (गिनती २५:१-३)

इस बड़े पाप ने २४,००० से अधिक इस्राएली लोगों की जान ले ली वरना वे कनान में प्रवेश कर रहे होते। पोर्नोग्राफ़ी के साथ चिपकने वालों को इसकी कीमत अपने जीवन को खतरे में डालकर चुकानी पड़ेगी अगर वे इस पर जयवंत नहीं होंगे तो।

याहुशुआ ही केवल एकमात्र आशा है: “क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दु:ख उठाया, तो वह उनकी भी सहायता कर सकता है जिनकी परीक्षा होती है।" (इब्रानियों २:१८) एक बार वासना की शैतानी जंजीर में यदि कोई फंस गया, तो कोई भी खुद को मुक्त नहीं कर सकता। अश्लील साहित्य में शामिल न होने का फैसला करना काफी नहीं है। जैसे कुत्ता अपनी छाँट को चाटता है, वैसे ही मूर्ख अपनी मूर्खता को दुहराता है।" (नीतिवचन २६:११)

वासना पर काबू पाने के साथ-साथ अंदर और बाहर से भी सफाई की आवश्यकता होती है। याहुशुआ के दिनों में इस्राएली लोग बाहरी स्वच्छता के लिए बहुत चिंतित थे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्होंने कभी भी, कुछ भी अशुद्ध नहीं खाया, उन्होंने धोने के कई नियमों को निर्धारित किया। यह देखते हुए कि शिष्यों ने सफाई के इन नियमों का पालन किए बिना खाया, धार्मिक अगुवों ने पूछताछ की: “तेरे चेले पूर्वजों की परम्पराओं को क्यों टालते हैं, कि बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?" (मत्ती १५:२)

याहुशुआ की प्रतिक्रिया ने बाहरी धार्मिकता के सभी दिखावों को अनदेखा कर दिया और बातों को इधर-उधर घुमाने के बजाय सीधे दिल की सच्चाइयों को उजागर किया। तब उसने लोगों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “सुनो, और समझो: जो मुँह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुँह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।” (मत्ती १५:१०-११)

शिष्य उलझन में थे। उद्धारकर्ता जो उन्हें सिखा रहा था, वे उस आध्यात्मिक कार्यशैली को नहीं समझ पाए। जब पतरस ने याहुशुआ से आगे बताने के लिए कहा, तो उसने उसे समझाया:

उसने कहा, “क्या तुम भी अब तक नासमझ हो? क्या तुम नहीं जानते कि जो कुछ मुँह में जाता वह पेट में पड़ता है, और सण्डास से निकल जाता है? पर जो कुछ मुँह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्योंकि बुरे विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलती है। ये ही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।” (मत्ती १५:१६-२०)

पोर्नोग्राफी उन सभी पर अपराधबोध की बाढ़ को खोल देती है जो उसमे शामिल होते हैं। जो लोग देह में व्यभिचार नहीं करते, वे अपने दिमाग और मन में ऐसा करते हैं और उतने ही दोषी हैं जैसे कि उन्होंने स्वयं ही यह कार्य किया हो। कल्पनाओं के पाप भी पाप ही हैं, भले ही अवसर की कमी के कारण वे नहीं किए गए। पुरुष और महिला दोनों, इस तरह के पाप करते हैं जब वे अश्लील फिल्में देखते हैं।

याहुशुआ ने यौन शुद्धता के संबंध में दिव्य व्यवस्था की दूरगामी प्रकृति को समझाया जब उसने कहा:

“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘व्यभिचार न करना।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्‍टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।" (मत्ती ५:२७-२८)

याहुवाह शुद्ध और पवित्र है और जो लोग उसकी उपस्थिति में प्रवेश करेंगे वे पवित्र होंगे क्योंकि वह पवित्र है: “धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर को देखेंगे।" (मत्ती ५:८,२७) पवित्रताई की इस गहराई को अपनी स्वयं की सामर्थ्य से हासिल करना किसी के लिए भी असंभव है।

खुशी जोडे

जो लोग पोर्नोग्राफी की सड़क पर यात्रा करते हैं अंततः उनका चरित्र विनाश पर ही खत्म होगा। जो चीज वास्तव में पुरुष को मर्दाना और महिला को स्त्रीयोचित बनाती है वासना के कारण खो दी जाती है जिसके कारण पुरुष और महिलाएं दोनों ही अपने शारीरिक स्वभाव में कठोर हो जाते हैं।

जो शैतान की युक्तियों पर विजय हासिल करने की इच्छा रखते हैं, उन्हें सर्वोच्च, प्रतिष्ठित पुत्रों और बेटियों के रूप में ग्रहण किया जाता है, उन्हें याहुशुआ से उद्धार मुक्त उपहार के रूप में मिलेगा। बाइबल सभी को आश्वस्त करती है: “क्योंकि प्रभु की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उनकी विनती की ओर लगे रहते हैं; परन्तु प्रभु बुराई करनेवालों के विमुख रहता है।” (१ पतरस ३:१२)

चाहे देह में या आत्मा या मन में, जब पाप करने की परिक्षा में पड़ो, तुरंत एकमात्र उस व्यक्ति की ओर भागो जो आपकी मदद कर सके, आपका उद्धारकर्ता। अर्थात याहुशुआ। सुबह में, जब आप दिनभर के लिए खुद को याहुवाह को समर्पित करें, तो मांगे कि वह आपके मन की रक्षा करें और उसे शुद्ध रखें। यहां तक ​​कि आपको परीक्षा मे पड़ने के बारे में भी चेतावनी दें, ताकि आप दिव्य सहायता मांग सकें।

व्यक्ति प्रार्थना कर्ता हुआजब आपको प्रलोभन का सामना करना पड़ता है, तो आपके लिए केवल दो विकल्पों में से एक उपलब्ध होता है: (१) घुटने टेक देना। (२) दिव्य सहायता मांगना। याहुवाह पापियों के दिल में आशा को प्रेरित करने के लिए हर प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। पवित्रशास्त्र आश्वासन देता है: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्‍वासयोग्य और धर्मी है।" ( १ यूहन्ना १:९)

याहुवाह कभी भी उस व्यक्ति के हृदय को शुद्ध नहीं करेगा जो पाप से जानबुझकर चिपके रहना चाहता है। बचाए जाने के लिए, आपको अपने हृदय में बदलाव के लिए उनसे माँगना चाहिए। उनके कान सुनने के लिए तैयार हैं; उनकी बाँहे बचाने के लिए फैली हुई हैं। “संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊँगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा।” (भजन संहिता ५०:१५)

जो लोग क्षमा और पवित्रता के लिए याहुशुआ के पास आएंगे, उन्हें वो दिया जाएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई भी, चाहे स्त्री हो या पुरुष कितना भी शैतान का दास हैं, अगर याहुशुआ के पास आएंगे तो उन्हें वापस नहीं भेजा जाएगा।

"मैं तुम पर शुद्ध जल छिड़कूँगा, और तुम शुद्ध हो जाओगे; और मैं तुम को तुम्हारी सारी अशुद्धता और मूरतों से शुद्ध करूँगा। मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को मांस का हृदय दूँगा। मैं अपना आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूँगा कि तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मानकर उनके अनुसार करोगे।" (यहेजकेल ३६:२५-२७)

प्रत्येक पापभरी उलझनों से बचने के लिए उद्धारकर्ता के पास भागें। वह आपको बचाएगा। वह आपको क्षमा करेगा, आपको शुद्ध करेगा और आपको अपनी छवि में फिर से बनाएगा!

पिता आप सबको पवित्र और शुद्ध बनाये रखें।!