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पौलुस व गलातियों

While WLC no longer believes that the annual feast days are binding upon believers today, we humbly encourage all to set time aside to commemorate them with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah’s instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.


निकम्मी आदि-शिक्षा की बातों पर वापस मत लौटना!

 

बहुत से लोग आज गलातियों की पुस्तक से भ्रमित हो गये है। रविवार के रखनेवाले दावा करते हैं कि सब्बात क्रूस पर चढ़ा दिया गया था। शनिवार के रखनेवाले उन्हीं पदों का उपयोग यह दावा करने के लिए करते हैं कि याहुवाह के पर्व अब और बाध्यकारी नहीं हैं। सभी का दावा है कि गलातियों के अध्याय ४ में उल्लेखित “निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातें", इस्राएलियों की व्यवस्था से संदर्भित है जो आज के मसीहियों पर अब और बाध्यकारी नहीं। दो लोग बाइबल पढ़ रहे हैंशामिल मुद्दों की एक समझ पूरी तरह से कुछ अलग ही प्रकट करता है। पौलुस ने मुख्य रूप से अन्य-जाति श्रोतागण के लिए लिखा था और स्वर्ग ने उसकी सेवकाई को अति आशीषित भी किया।

“जैसा खतना किए हुए [इस्राएली] लोगों के लिये सुसमाचार का काम पतरस को [सौंपा गया], वैसा ही खतनारहितों [अन्य-जाति] के लिये मुझे सुसमाचार सुनाना सौंपा गया। (क्योंकि जिसने पतरस से खतना किए हुओं में प्रेरिताई का कार्य बड़े प्रभाव सहित करवाया, उसी ने मुझ से भी अन्य-जातियों में प्रभावशाली कार्य करवाया)...” (गलातियों २:७-८)

पौलुस का संदेश बहुत सीधा था:

क्योंकि विश्‍वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है; और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन याहुवाह का दान है, और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे। (देखें इफिसियों २:८-९)

शैतान ने अन्य-जातियों के बीच पौलुस की सेवकाई में भाग लेने की जबरदस्त सफलता में बाधा डालने की कोशिश की। उसने फरीसियों को जो मसीहियत में “धर्मांतरित” हुए थे, पौलुस के संदेश ‘विश्वास के द्वारा उद्धार’ को भ्रष्ट करने के लिए प्रेरित किया। फरीसी-मसीहियों द्वारा लाया गया संदेश था: कामों द्वारा उद्धार। फरीसी हमेशा अतिरिक्त नियमों को याहुवाह के व्यवस्था में जोड़ देते थे। ये “पूर्वजों की परंपरा” जाने जाते थे। याहुशूआ ने बार बार दिव्य व्यवस्था से जोड़े गये इन फरीसियों के नियमों की निंदा की।

“फरीसी...एक ऐसे भारी बोझ को जिसको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं।” (देखें मत्ती २३:२,४)

जब फरीसियों ने याहुशूआ से पुछा कि उसके चेले पूर्वजों की परंपरा को क्यों तोड़ते, उसका जवाब था:

तुम भी अपनी परम्पराओं के कारण क्यों परमेश्‍वर की आज्ञा टालते हो? (देखें मत्ती १५:३)

फरीसी-मसीहीयों, जो जुडाइज़र भी जाने जाते थे, धर्मांतरित अन्य-जाति को सिखाया कि बचने के लिए उन्हें खतना अवश्य करवाना होगा।

“फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे : “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।” जब पौलुस और बरनबास का उनसे बहुत झगड़ा और वाद-विवाद हुआ तो यह ठहराया गया कि पौलुस और बरनबास...इस बात के विषय में प्रेरितों और प्राचीनों के पास यरूशलेम को जाएँ…

“जब वे यरूशलेम पहुँचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उनसे आनन्द के साथ मिले...परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्‍वास किया था, उनमें से कुछ ने उठकर कहा, “उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए।’


“तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए।” (प्रेरितों १५:१-६)

रेम्ब्रैंट का

रेम्ब्रांट का "प्रेरित पौलुस"

प्रेरितो ने निष्कर्ष निकाला कि जुडाइज़र गलत थे। धर्मान्तरित अन्य-जातियों को उद्धार के लिए खतना जरूरी के रूप में आवश्यक नहीं था। यरूशलेम के हुक्मनामे में कहा गया:

“जो अन्य-जातियों में से हैं, प्रेरितों और प्राचीन भाइयों...हमने सुना है कि हम में से कुछ ने वहाँ जाकर, तुम्हें अपनी बातों से घबरा दिया; और तुम्हारे मन उलट दिए हैं परन्तु हम ने उनको आज्ञा नहीं दी थी। इसलिये हम ने एक चित्त होकर ठीक समझा कि...इन आवश्यक बातों को छोड़, तुम पर और बोझ न डालें; कि तुम मूरतों पर बलि किए हुओं से और लहू से, और गला घोंटे हुओं के मांस से, और व्यभिचार से दूर रहो। इनसे दूर रहो तो तुम्हारा भला होगा। आगे शुभ।” (प्रेरितों १५:२३-२९)

इस मुद्दे को हमेशा के लिए सुलझ जाना चाहिए था, परंतु फरीसियों के साथ चले आ रहे संघर्ष एक समस्या बनी रही जिस पर पौलुस को बार-बार संबोधन करने के लिए बुलाया गया था। यह परिस्थिति थी जब पौलुस ने अपना पत्र गलातियों को लिखा था। जुडाइज़र ने अन्य-जाति को बताया था कि विश्वास के द्वारा उद्धार काफी नहीं है। बचाये जाने के लिए, उन्हें खतना भी अवश्य करवाना होगा।

“परंतु जब गलाती विश्वास से हटकर कामों की ओर मुड़ गये, वे उन कामों को करने से नहीं रूके जिनकी फरीसियों ने करने की सिफारिश और आग्रह किया था। पूर्व में मूर्तिपूजक रह चुके, अब वापस विश्वास से हटकर कामों की ओर मुड़ गये, अपने ही बुतपरस्त कामों के साथ ही साथ वे उन कामोंं को करने लगे जिन कामों को फरीसियों ने सिफारिश की थी। आत्मा से शरीर के ओर मुड़ जाने के बाद, केवल यह उम्मीद हो सकती थी कि वे ऐसा करेंगे: यह देखकर कि फरीसियों के तरीके की तुलना में  विधर्मियों के तरीके से उनका शरीर को अधिक संतुष्टि मिल सकती थी, क्योंकि ये वो चीजें थीं जिसके लिए उनका शरीर पहले ही आदी हो गया था।" ("Studies in Galatians," A. T. Jones, Review & Herald, 1900, #20.)

जब पौलुस को यह समाचार मिला, वह हृदय में पीडित हो गया था। वह जानता था कि “व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।” (रोमियों ३:२०). पौलुस तुरंत ही गलातियों को लिखा:

“मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल...मसीह पर विश्‍वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है...इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा।

“हे निर्बुद्धि गलातियो, किसने तुम्हें मोह लिया है?


“मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूँ कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से या विश्‍वास के समाचार से पाया? क्या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो कि आत्मा की रीति पर आरम्भ करके अब शरीर की रीति पर अन्त करोगे?” (गलातियों २:१६, ३:१-३)

पौलुस उनके विश्वास को सभी के लिए पर्याप्त उद्धारकर्ता के लहू कि योग्यता में पुन: स्थापित करना चाहता था। मनुष्य के द्वारा किये हुए कोई भी कार्य किसी को भी नहीं बचा सकता। यह गलातियों के अध्याय ४ में है, कि पौलुस के गलातियों को संदेश के द्वारा बहुत से लोग भ्रमित हो गये।

पहले तो तुम याहुवाह को न जानकर उनके दास थे जो स्वभाव से परमेश्‍वर नहीं,

पर अब जो तुम ने याहुवाह को पहचान लिया...तो उन निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातों की ओर क्यों फिरते हो, जिनके तुम दोबारा दास होना चाहते हो?


तुम दिनों और महीनों और नियत समयों और वर्षों को मानते हो। मैं तुम्हारे विषय में डरता हूँ, कहीं ऐसा न हो कि जो परिश्रम मैं ने तुम्हारे लिये किया है वह व्यर्थ ठहरे। (देखें गलातियों ४:८-११)

आदमी बाइबल पढ़ रहा हैक्योंकि गलातियों को संदेश, जुडाइज़र्स के खारिज करने के स्पष्ट उद्देश्य के लिए था, बहुतों ने मान लिया की "निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातों" जो पौलुस संदर्भित कर रहा है, वे याहुवाह की व्यवस्था होनी चाहिए, विधियां और नियमों के साथ। कथन, "तुम दिनों और महीनों और नियत समयों और वर्षों को मानते हो” को सबूत के रूप में पेशकश किया जाता है कि सब्बात और वार्षिक पर्व अब और बाध्यकारी नहीं है और उन्हें क्रुस पर चढ़ा दिया गया था। यह याद रखना चाहिए कि गलाती अन्य-जाति थे। गलाती वापस उन चीजों के तरफ नहीं मुड़ सकते थे जिसका उन्होंने सर्वप्रथम मसीही बनने से पहले विश्वास नहीं किया था!

“जो कोई भी गलातियों को लिखा पत्री को पढ़ता है, और सोचता है जैसे पढ़ता है, जानना चाहिए कि गलाती यहूदी नहीं थे। वे मुर्तिपूजकों में से परिवर्तित हुए। इसलिए, उनके परिवर्तन होने से पहले उनका यहूदियों द्वारा अभ्यास किए गए किसी भी धार्मिक रीति-रिवाज़ों से कुछ लेना-देना नहीं था। उनका यहूदियों के साथ कुछ भी एकसमान नही था।

“परिणाम स्वरूप, जब वे पुन: ‘निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातों’ की ओर मुड़े जिनकी दासत्व में जाने की इच्छा कर रहे थे, स्पष्ट है कि वे यहूदियों की किसी प्रथाओं की ओर वापस नहीं जा रहे थे। वे अपने पुराने मूर्तिपूजक रीति-रिवाज़ों की ओर वापस जा रहे थे।” (Glad Tidings, E. J. Waggoner,175.)

पौलुस दिव्य व्यवस्था से प्रेम करता था। उसने उपेक्षा जनक ढंग से याहुवाह की दिव्य व्यवस्था को कभी भी “निर्बल और निकम्मी” के रूप में संदर्भित नहीं किया होगा। बल्कि, उसने जोर देकर कहा:

“इसलिये व्यवस्था पवित्र है, और आज्ञा भी ठीक और अच्छी है। (रोमियों ७:१२)

प्रेरित ने अभी कहा था कि [याहुवाह]...को जानने से पहले, वे उनके दास थे जो स्वभाव से परमेश्वर नहीं थे, और अब, [याहुवाह]...से हटकर, वे वापस उन बातों की ओर और दोबारा उस दासता की ओर मुड़ गये। और...ये ‘आदि-शिक्षा की बातों’ जिसके लिए वे पहले से दासता में थे और जिसमें  अब दोबारा से दासत्व में थे, वे "संसार की आदि-शिक्षा की बातें” थी।…” ("Studies in Galatians," A. T. Jones, Review & Herald, 1900, #20.)

पौलुस की गलातियों को “दिनों और महीनों और नियत समयों और वर्षों” को मानने के लिए फटकार मारने के द्वारा, कुछ ने दावा किया है कि चंद्र-सब्बात गलत है। हालांकि, पौलुस वैसा नहीं कह रहा था। याहुवाह के कैलेंडर में, पवित्र दिनों, उत्सव-संबंधी सप्ताह, और परमविश्राम का वर्ष है। परंतु पवित्र महीने या ऋतुऐं नहीं हैं। पौलुस मूर्तिपूजक प्रथाओं को संदर्भित कर रहा था, इस प्रकार यह पुष्टि कर रहा था कि "निर्बल और निकम्मी आदि-शिक्षा की बातें" जिसकी ओर गलाती वापस लौट गए, वे मूर्तिपूजक संस्कार थे। गलातियों को लौटने वाले मूर्तिपूजक प्रथाओं में से कुछ समारोहों का पालन करना था। ये वही पालन करने वाले समारोह थे जिनके खिलाफ याहुवाह ने विशेष रूप से चेतावनी दी जब इस्राएलियों ने कनान में प्रवेश किया था:

“जब तू उस देश में पहुँचे जो…[तेरा एलोहीम याहुवाह] तुझे देता है, तब वहाँ की जातियों के अनुसार घिनौना काम करना न सीखना। तुझ में कोई ऐसा न हो जो...शुभ-अशुभ मुहूर्त्तों का माननेवाला, या टोन्हा, या तान्त्रिक,  या बाजीगर, या ओझों से पूछनेवाला, या भूत साधनेवाला, या भूतों का जगानेवाला हो।  क्योंकि जितने ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब…[याहुवाह] के सम्मुख घृणित हैं; और इन्हीं घृणित कामों के कारण…[तेरा एलोहीम याहुवाह] उनको तेरे सामने से निकालने पर है।” (व्यवस्थाविवरण १८:९-१२)

गलातियों एक शक्तिशाली पुष्ट समर्थन है कि विश्वास के द्वारा, उद्धार सभी के लिए एक मुफ्त दान है न कि कामों के द्वारा, कि कोई घमंड करे।

क्योंकि याहुशूआ में न खतना और न खतनारहित कुछ है, परन्तु नई सृष्‍टि। जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्राएल पर शान्ति और दया होती रहे। (गलातियों ६:४, १५-१६)
 

लड़की बाइबल पकड़े फूलों का एक क्षेत्र में बैठी है