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सृष्टिकर्ता का कैलेंडर

“विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना। छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम-काज करना: परंतु सातवाँ-दिन…विश्रामदिन है।” (निर्गमन 20:8-10)

बाईबल की आज्ञाओं का पालन करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए, प्रश्न है कि: “पहला दिन कौन सा है?” सभी सात तक गिनती कर सकते है, परंतु गिनती कहाँ से शुरु होती है? आप कैसे जान सकते है कि सातवाँ-दिन सब्त कौन सा है? सृष्टिकर्ता जिसने सप्ताह को बनाया महीने को भी सात उंगलियाँ दिखाता एक लड़कारुपांकित किया जिसमें उस सप्ताह को रखा जाये। सृष्टि का कैलेंडर नये चाँद के दिन के साथ शुरु होता है, जिसके बाद चार पूर्ण सप्ताह आते है। प्रत्येक सप्ताह में कार्य करने के 6 दिन और एक सातवाँ-दिन सब्त का विश्राम शामिल होता है।

आदि में, सृष्टिकर्ता ने समय को मापने के लिये सूर्य और चन्द्रमा की गति को रचा।

“दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अंतर में ज्योतियां हो; और वे चिन्हों, और नियत समयो [H41501; धार्मिक सभाओं] और दिनों, और वर्षों के कारण हो; …दो बड़ी ज्योतियां [निर्धारित थी]…आकाश के अंतर में…दिन और रात पर प्रभुता करें…” (उत्पत्ति 1:14, 16-18)

समय को केवल गति के द्वारा ही मापा जा सकता है। सूर्य का घूर्णन एक दिन को मापता है। 365 ¼ दिनों में, सूर्य और पृथ्वी अपने सापेक्षित स्थान पर लौट आते है। यह एक सौर वर्ष है। चन्द्रमा की 29 ½ दिनों की परिक्रमा एक चन्द्र-मास (लूनेशन) को मापती है, जो कि महीने का आधार है। 12 ⅓ लूनेशन्स एक सौर वर्ष के समान लम्बे होते है।

यहाँ सूर्य और चंद्र की गति का उपयोग करते हुए तीन प्रकार के मूल कैलेंडर प्रारुप है:

1.सौर: सूर्य और पृथ्वी की गति की माप।

सौर कैलेंडर सूर्य का उपयोग केवल वर्ष की लम्बाई मापने के लिये कर रहे हैं। महीनों की मनमानी लम्बाई से प्रकृति का कोई सम्बंध नहीं। ग्रेगोरियन सौर कैलेंडर पर साप्ताहिक चक्र निरंतर चलते रहते है। यहां तक की हर चार वर्षों में आने वाला अधि दिवस (लीप) भी साप्ताहिक चक्र को भंग नहीं करता हैं।

2.चन्द्र: चन्द्रमा की गति की माप।

चन्द्र कैलेंडर पूरी तरह से चाँद के चक्र पर आधारित होते है। महीने, जो कि अमावस्या के बाद प्रथम भोर से शुरु होकर, सौर वर्ष से बिना समायोजन के निरंतर चलते रहते है। क्योंकि 12 चन्द्र मास एक सौर वर्ष से 11 दिनों में छोटे है, चन्द्र मास ऋतुओं में चलायमान रहते है।

3.चन्द्र-सौर:चन्द्र-मास, सौर वर्ष से स्थिर किये गये है।

सूर्य और चन्द्रमा के एकसाथ कार्य करने से एक चन्द्र-सौर कैलेंडर बनता है। एक 13वे महीने को सात बार 19 वर्षों में जोड़कर लूनेशन्स को सबसे लम्बे सौर वर्ष से समायोजित किया जाता है। साप्ताहिक चक्र प्रत्येक नये चाँद के साथ पुन: आरम्भ होता है। हर चन्द्र-मास चार पूर्ण सप्ताहों का होता है।

सृष्टि के समय स्थापित किया गया कैलेंडर चन्द्र-सौर है। यह समय को निर्धारण करने की सारी प्रणालियों में सबसे सही और सटीक है।

धर्मशास्त्र में, प्रत्येक चन्द्र-मास उपासना के एक विशेष दिन के उत्सव के साथ आरम्भ होता है: नये चाँद का दिन। चूंकि यह एक उपासना का दिन है, यह हर महीनें के प्रथम सप्ताह में 6 कार्य दिनों के हिस्से की तरह नहीं गिना जा सकता है। नये चाँद का दिन खगोलीय अमावस्या के बाद प्रथम भोर के साथ शुरु होता है जो संगम के नाम से भी जाना जाता है। 6 कार्य दिनों के बाद और फिर एक सातवाँ-दिन सब्त, महीनें का आठवां दिन है। तीन और अधिक सप्ताहों के बाद, 29वे पर समाप्त होता है। दिनों की गणना में और माप के द्वारा 29वे दिन की ओर अग्रसर हो रहे, अमावस्या के समय का खुलासा होता है जिससे कोई भी यह निर्धारण कर सकता है कि महीना 29 या 30 दिनों का है। कोई महीना कभी भी 30 दिनों से अधिक का नहीं होता।

सच्चा चन्द्र-सौर कैलेंडर बहुत ही उपयोग-सुलभ है। सप्ताह के दिन हमेशा महीने की समान तारीखों पर पड़ते है। हर बार सातवाँ-दिन सब्त को धर्मशास्त्र में एक विशेष तारीख नियुक्त किया गया है, यह महीनें के हमेशा 8वे, 15वे, 22वे और 29वे दिनों पर पड़ती है।

धर्मशास्त्र में कहा गया है कि चन्द्रमा को विशेष तौर से उपासना के समयो को मापने के लिये बनाया गया था।

“उसने नियत समयो [H41501; उपासना के समयो] के लिये चन्द्रमा को [नियुक्त] बनाया है।” (भजन संहिता 104:19 )

सृष्टि का सप्ताह, सब्त दिन के विश्राम के साथ समाप्त हुआ। निर्गमन 31 में कहा गया है कि सब्त को पीढ़ी दर पीढ़ी माना जाये।

निश्चय तुम मेरे विश्राम दिनों को मानना, क्योंकि तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में मेरे और तुम लोगों के बीच यह एक चिन्ह ठहरा है, जिस से तुम यह बात जान रखो कि यहुवाह हमारा पवित्र करनेहारा है। (देखिए निर्गमन 31:13)

सातवाँ-दिन सब्त सृष्टिकर्ता के द्वारा अपने और उसके लोगों के बीच निष्ठा का प्रतीक होने के लिये बनाया गया था। शत्रु, लुसिफर ने व्यवहारिक कैलेंडर को बदल दिया और सृष्टिकर्ता के प्रति उचित उपासना को भी चुरा लिया। परम्परा और धारणा के माध्यम से, लुसिफर ने विश्व को निरंतर साप्ताहिक चक्र में चलने वाले सौर कैलेंडर का उपयोग करने के लिये एकमत कर लिया है। जब कोई व्यक्ति उपासना करता है, तो प्रगट हो जाता है कि वह किसकी उपासना करता है। वे लोग जो अपने उपासना के दिनों की गणना करने के लिये सौर कैलेंडर का उपयोग करते है, वे अनजाने में अपनी निष्ठा और उपासना उस महा धोखेबाज को अर्पित कर रहे है।

जो सृष्टिकर्ता के प्रति अपनी निष्ठा दिखाने की इच्छा रखते है, अवश्य ही सृष्टिकर्ता की उपासना उस दिन करना चाहेंगे जो दिन उन्होंने नियुक्त किया है। उपासना के सही दिन का पता लगाने के लिये, सृष्टि के समय स्थापित किया गया चन्द्र-सौर कैलेंडर का उपयोग करना चाहिए।

धर्मशास्त्र से प्रगट होता है कि समूचे अनंतकाल तक उपासना के लिये उपयोग किया जाने वाला कैलेंडर नये चाँद पर आधारित होगा:

“फिर ऐसा होगा कि एक नये चाँद से दूसरे नये चाँद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक समस्त प्राणी मेरे सामने दण्डवत् करने को आया करेंगे।” (यशायाह 66:23)

आप किसकी उपासना करते है? आप किसे अपनी निष्ठा प्रदान करते है? जिस कैलेंडर का आप अपनी उपासना का समय मापने के लिये उपयोग करते है उससे पता चलता है कि आप किस ईश्वर की उपासना करते है।

 


1 “जब यहूदी त्यौहार नियमित अंतराल पर घटित हुए, यह शब्द उनके साथ निकट रुप से पहचाना गया था...Mo’ed (मोएड) का सभी धार्मिक सभाओं के लिए व्यापक अर्थों में प्रयोग किया गया था। यह खुद निवासस्थान के साथ करीब से जुड़ा हुआ था...[यहुवाह] वहाँ इस्त्राएलियो से विशिष्ट समयो पर अपनी इच्छा को उजागर करने के प्रयोजन से मिला था। यह एक आम शब्द है, उपासनाओं की सभाओं के लिए...[यहुवाह के] लोग।” (देखिए #4150, “लेक्सिकल ऐईड़स टू दा ओल्ड़ टेस्टामेंट,” हिब्रु-ग्रीक की वर्ड स्टडी बाईबल, KJV.)