रखना एक भोझ नहीं बल्कि खुशी है! सब्बात को आनंदमय पाने का रहस्य सीखिए। |
मुझे खुशी है कि WLC टीम के सदस्य गुमनाम रहते हैं, क्योंकि मुझे कुछ कुबुल करना है और यह शर्मनाक है। सच में। आप तैयार हैं?
मेरे जीवन में, बहुत समय तक सब्बात एक बोझ रहा है।
घुँघराले बाल, सुंदर पोशाकें, और स्वादिष्ट भोजन सब्बात के दिन को विशेष महसूस करावाते हैं, लेकिन वे एक अपेक्षा भी उत्पन्न करते हैं कि उचित सब्बात के पालन के लिए वह आवश्यक समझा गया है। |
अपनी माँ के गर्भ से ही सब्बात रखते आई हूँ। दूसरे शब्दों में मेरी पूरी ज़िन्दगी। मुझे गलत मत समझना, मैं हमेशा से सब्बात को पसंद की हूँ। बचपन से ही, सब्बात बहुत खास दिन था। सब्बात से पहली रात को मेरी माँ मेरे बालों को कर्लर (घुँघराले बाल बनाने का प्लास्टिक ट्यूब) में लगाती थी और मुझे सुंदर-सी कपडे पहनाई करती थी। (याहुवाह के घर जाते वख्त हमारे पास रहने वाले में से खास कपड़े पहना महत्वपूर्ण था)। सब्बात का भोज काफी स्वादिष्ट बनता था, आराधना के लिए हम, "सब्बात न भुलना"(इस दिन को प्रभु ने आशीष की) और "छः दिन हमारे काम के लिए (सात्वा ईशु के लिए)" गीत गाते थे। सब्बात मुझे अंदर से खुशी देता था।
लेकिन यह एक बोझ भी था। सब्बात भोजन के बाद, बडे बहुत ही उत्सुक्ता से "सब्बात से न संबंधित कार्यक्रम" में भाग लेते हैं - यानि झपकी लेने के लिए श्र्लेशालंकार शब्द। अगर मेहमान हो, तो सब साथ में बैठकर ऐसे चीजों के बारे में बात करते थे जो मेरे समझ से बाहर होती थी। दिन का वास्तविक आकर्षण सूर्यास्त के समय आता था, जब (आखिरकार!) सब्बात समाप्त हो जाती थी। तभी असली मजा पॉपकार्ण और खेल के साथ शुरु होता था।
जैसे बड़ी होते गई, सब्बात और भी बोझ बनते गया। बड़ी होने के नाते, सब्बात के विष्य में मुझसे कुछ उम्मीदें की जाती थीं, की पूरे दिन सब्बात कैसे रखना चाहिए: खाने का इन्तेजाम पहले दिन ही करना था; घर पूरा साफ और ठीक-ठाक करना होता था। एक माँ होते हुए, सबका नहाना काफ़ी मुशकिल होता था, छोटे बच्चों को नहलाकर उनको अच्छे कपड़े पहनाने में काफी समय लग जाता था। साथ ही साथ, खाना और बच्चों की डाईपर, सब की तैयारी और पैक करने के बाद सब्बात के लिए तैयार होना था।
चाहे जितना भी कोशिष करूँ, मैं कभी भी सब कुछ तैयार नहीं कर पाती। बच्चों का नहाना हो पाता था, खाने और बाकी चीज़ो की पैकिन्ग हो जाती थी, लेकिन एक चीज़ मैं कभी पूरा नहीं कर पाती, वो है सब के लिए कपड़ों की तैयारी करना। याहुवाह के घर को अपना सर्वश्रेष्ठ पहनने का मतलब विशेष कपड़े पहनना था जिसके लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता थी। मेरे पति और तीन बेटों के लिए कमीजों और जूतों को इस्त्री करना, साथ ही मेरी दो बेटियों और मेरे लिए कपड़े। . . यह सब कुछ मेरे लिए बहुत था और, काम पर एक लंबे सप्ताह के बाद, मेरे पति मदद करने के लिए बहुत थके हुए होते थे।
एक बार मैंने सब्बात के कपड़ों की इस्त्री हफ्ते के शुरूआद के दिन में ही करने की कोशिष की, लेकिन जब सब्बात का सुबह आ पहुँचा था, अलमारी में दूसरें कपड़ें के भार के वजह से सिलवट पड़ गए थे। एक और बार मैं अलारम लगाकर जल्दी उठने कि कोशीष की, लेकिन थकान के कारण नहीं उठ पाती थी। तो हर हफ्ते, सब्बात के पहले दिन, बच्चों के सोने के बाद, रात को मुझे इस्त्री करना पड़ता था। और पूरा काम सब्बात से पहले ना कर पाने पर दोषी महसूस करती थी।
सबसे बड़ा अपराध का भाव तो ये था, कि जो भय मैं महसूस करती थी जब सब्बात का दिन आ जाता था। बाइबिल के अनुसार दिन कब शुरू होता है औद चंद्र सब्बात के ज्ञान के साथ यह तो आसान बस इसलिए हो गया क्योंकि पवित्र समय कम था। बस इतना ही।
मैं सब्बात से प्रेम रखती थी। सच में। लेकिन यह इतना कठिन था, कि विश्राम के दिन होने के बजाय, मेरे लिए यह सप्ताह का सबसे कठिन दिन था! शारीरिक थकान के कारण काम न कर पाने के वजह से दोषी महसूस करती थी। सबसे बुरी बात तो यह है कि, सप्ताह के श्रेष्ठ दिन के आने का डर लगता था!
सब्बात: क्या यह एक बोझ है?
सब्बात याहुवाह के सबसे कीमती उपहारों में से एक है! हमारे आशीर्वाद के लिए अभिप्रेत कोई वस्तु इतनी विकृत कैसे बन सकती है कि वह वास्तव में एक बोझ बन जाए?
सब्बात का पालन यहुदियों के साथ पर्याय है। लेकिन उनके लिए भी सब्बात एक बोझ बन गया। आज तक, यहूदियों के सबसे रूढ़िवादी लोग एक "शब्बात गोय" (एक अन्यजाति) को काम पर रखते हैं जो सब्बात के दिन उनके घरों में बिजली चालू करने, चूल्हे को जलाने, श्रवण यंत्र की बैटरी बदलने, या ऐसे अन्य छोटे-छोटे कार्य जिसे यहूदी "काम" कहता है (ताकि वह यहूदी सब्बात को न तोड़े)।
अधिकांश ईसाई सब्बात का पालन को इतनी दूर नहीं ले जाते, लेकिन इस विचार में योग्यता प्रतीत हो सकती है: सब्बात के दिन पर किसी को काम पर लागाना और अपने जीवन को आसान बनाना। समस्या यह है, कि ऐसा करना न केवल व्यवस्था को शब्दिक तौर पर, बल्कि व्यवस्था की भावना का भी उल्लंघन करना है। चौथी आज्ञा स्पष्ट रूप से कहता है: “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना। छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम–काज करना; परन्तु सातवाँ दिन तेरे एलोआह याहुवाह के लिये विश्रामदिन है। उसमें न तो तू किसी भाँति का काम–काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।" (निर्गमन २०:८-१०; HINDI-BSI)
लेकवुड के बारे में एक समाचार लेख में, न्यू जर्सी पुलिस विभाग अपने समुदाय में रहने वाले ६०,००० रूढ़िवादी यहूदियों के छोटे-छोटे काम के लिए, मदद करने के बारे में, हेमंत मेहता ने आलोचना की है :
एक धार्मिक दृष्टिकोण से भी, यहूदी जो कर रहे हैं वह व्यवस्था की भावना का उल्लंघन है। अगर आपको बिजली नहीं चालू करनी है क्योंकि आपकी पवित्र पुस्तक ऐसा कहती है, तो ऐसा न करें। चर्च/राज्य अलगाव को भूल जाओ - पुलिस को तुम्हारा गंदा काम करने के लिए कहना क्योंकि तुम्हें नहीं करना है, यह सिर्फ अधिकारियों के समय की बर्बादी है। वे आपके निजी सप्ताहांत नौकर नहीं हैं। वास्तव में, ऐसे लोग हैं जिन्हें रूढ़िवादी यहूदी अपने लिए उन कार्यों को करने के लिए ("शबात गोय") रख सकते हैं, लेकिन अगर वे सब्बात को गंभीरता से लेते हैं तो यह भी समस्या लगती है। एक ऑनलाइन टिप्पणीकार को उद्धृत करने के लिए, "यदि आपका धर्म कहता है कि आप बिजली को चालू नहीं कर सकते हैं, तो अंधेरे में बैठें या अपने धर्म से परिवर्तित हो जाइए।"1
याहुशुआ ने अपने समय के इस्राएलियों की इसी मनोवृत्ति की निन्दा की थी। अपनी सार्वजनिक सेवकाई की शुरुआत से ही, उद्धारकर्ता ने लोगों को सच्चे सब्बात के पालन की आशीष सिखाने की कोशिश की। मार्कुस २ दर्ज करता है : "ऐसा हुआ कि वह [याहुशुआ] सब्बात के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेले चलते हुए बालें तोड़ने लगे। तब फरीसियों ने उससे कहा, 'देख; ये सब्बात के दिन वह काम क्यों करते हैं जो उचित नहीं?' " (मरकुस २:२३-२४; HINDI-BSI)
फरीसी मसीह के चेलों को चोरी करने का आरोप नहीं लगा रहे थे। यह मूसा द्वारा दी गई लैव्यव्यवस्था का हिस्सा था कि जो कोई भी व्यक्ति भूखा था, वे दूसरों के खेत या बगीचों में से बिना किसी से पूछे ही खा सकते थे, सिर्फ उतना ही ले सकते थे, जितना वे उस समय खा सकते थे। फरीसी यह बात जानते थे। लेकिन वे जो आरोप चेलों पर लगा रहे थे, वह काम करने का था।
"मक्की" का अनुवाद "अनाज" के रूप में भी किया जा सकता है। "मुक्के के बालें" को तोड़कर और फिर उसे खाने में, फरीसी, चेलों पर आरोप लगा रहे थे, पहले तो सब्बात के दिन कटाई का काम करने का। और दूसरी, जब वे भूसी को हटाने के लिए अपने हाथों के बीच में अनाज को रगड़ा, तो उस कार्य को "ताड़ना" माना जा सकता है।
यहूदियों ने सब्बात का पालन के लिए बहुत ही रस्म-संबंधी परंपराएं विकसित की हैं। कई सब्बात के पालन करने वाले मसीहियाँ भी यही रवैया अपनाया है। |
याहुशुआ समझ गए कि उनका अर्थ क्या था और वह उस भारी बोझ को उठाना चाहते थे जो सब्बात का पालन करना बन गया था, इसे मूल रूप से याह के आशीर्वाद में बदल देना चाहते थे। और इसे उस आशीर्वाद में परिवर्तित करना चाहते थे जो याहुवाह आदि से नियत किए हैं। यह जानते हुए कि फारासी कितनी उच्च मानक में दाऊद को मानते थे, याहुशुआ उनसे कहा: “क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा कि जब दाऊद को आवश्यकता हुई, और जब वह और उसके साथी भूखे हुए, तब उसने क्या किया था? उसने कैसे अबियातार महायाजक के समय, परमेश्वर के भवन में जाकर भेंट की रोटियाँ खाईं, जिसका खाना याजकों को छोड़ और किसी को भी उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दीं?” (मरकुस २:२५-२६; HINDI-BSI)
वह उन्हें सब्बात के एक कर्मकांडी, बहुत ही कानूनी पालन से परे खींचने की कोशिश कर रहा थे। फिर, याहुशुआ ने एक कथन दिया जो बहुत ही सुंदर तरीके से, हमेशा के लिए स्थापित करता है कि सब्बात बोझ नहीं बल्कि उपहार है। तब उसने उनसे कहा, “सब्बात का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्बात के दिन के लिये। इसलिये मनुष्य का पुत्र सब्बात के दिन का भी स्वामी है।” (मरकुस २:२७-२८; HINDI-BSI)
दुख की बात है, कि इस्राएली अपनी प्रथाओं को बदलने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। आज़ तक भी, कई यहूदियों के लिए सब्बात-पालन एक आत्मिक आशीर्वाद नहीं है, बल्कि एक पारंपारिक दायित्व है। अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले, याहुशुआ ने फरीसियों के काम-उन्मुख पत्थर दिलों को तोड़ने का अंतिम प्रयास किया। यह व्यवस्था की सच्ची भावना पर लौटने के लिए एक हृदयविदारक दलील है, और यह मत्ती २३ में दर्ज है। याहुशुआ इस बात के लिए चिंतित थे कि इस्राएलियों का धर्मान्तरित लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, वह जानते थे कि जैसे-जैसे सुसमाचार का संदेश फैलता जाएगा वे आऐंगे। उन्होंने ने कहा, फरीसी जो करते हैं वह मत करो:
इसलिये वे तुमसे जो कुछ कहें वह करना और मानना, परन्तु उनके से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। वे एक ऐसे भारी बोझ को जिसको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु स्वयं उसे अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते।“हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो। (मत्ती २३:३-४,१५ ; HINDI-BSI)
सब्बात पालन करने वाले मसीहियों के बीच सब्बात के प्रति इसी मनोवृत्ति को फैलाने के लिए शैतान ने कड़ी मेहनत की है। बहुत अच्छे वजह हैं कि क्यों कई रविवार को मानने वाले मसीही, सब्बात रखने वालों पर विधि-सम्मत होने का आरोप लगाते हैं। लेकिन यह सब्बात का दोष नहीं है। अब, पृथ्वी के इतिहास का अंत करीब है, यह सब्बात को पुनः स्थापित करने का समय है; अद्भुत उपहार के रूप में सब्बात में प्रसन्न होने के लिए जो यह वास्तव में है।
सब्बात: सभी लोगों के लिए
यदि आप या आपका कोई करीबी सोच रहा है, “एक दिन के बारे में इतना हंगामा क्यों? मैं हर दिन आराधना करता/करती हूँ!" मैं सुझाव देना चाहती हूँ कि इस तरह की प्रतिक्रिया सब्बात की मतलब को पूरी तरह से समझने से छूट जाता है। यह उस ग़लतफहमी से उत्पन्न हुआ जो सब्बात को खुशी के बजाय, एक बोझ के रूप में देखता है।
"उद्धारकर्ता का क्या अर्थ था जब उन्होंने कहा कि "सब्बात का दिन मनुष्य के लिए बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्बात के दिन के लिए" ? मेरा मानना यह है कि वह चाहते हैं, हम समझे कि सब्बात हम सब के लिए उनका उपहार है, जो दैनिक जीवन की कठोरता से वास्तविक राहत और आत्मिक और शारीरिक नवीनीकरण का अवसर प्रदान करता है। [याह] ने हमें यह विशेष दिन मनोरंजन या दैनिक श्रम के लिए नहीं दिया, बल्कि शारीरिक और आत्मिक राहत के साथ कर्तव्य से आराम के लिए दिया है।" ~ रस्सैल एम. नेलसन, "द सब्बात इज़ ये डिलैट"। |
इसके अलावा, यह सुझाव देता है कि अब्राहम के जैविक वंशजो के लिए पूरी तरह से आरक्षित कुछ दायित्व या आवश्यकताएं (साथ ही कुछ आशीर्वाद) हैं। यह सत्य नहीं है। यह एक झूठी विचार है जो ज़ैयोनिस्ट द्वारा फैलाया गया है कि यहूदियाँ श्रेष्ठ या उत्तम हैं जबकि सारे अन्यजाति किसी तरह से कम हैं।
पतरस को जबरदस्ती दिखाया गया कि याहुवाह कि नजर में सब समान है जब, कुरनेलियुस, एक रोमी सूबेदार और धर्मी आदमी, बदला और उसी पवित्र आत्मा को प्राप्त की जो पिन्तेकुस्त के दिन चेलों ने प्राप्त की थी।
तब पतरस ने कहा, “अब मुझे निश्चय हुआ कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता,
वरन् हर जाति में जो उससे डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है। (प्रेरितों १०:३४-३५; HINDI-BSI)
याहुवाह के उपहार सभी को मुफ्त में उपलब्ध है, और वह सब्बात का उपहार को भी शामिल करता है। नबी, यशायाह, दर्ज करता है:
याहुवाह यों कहता है, “न्याय का पालन करो, और धर्म के काम करो; क्योंकि मैं शीघ्र तुम्हारा उद्धार करूँगा, और मेरा धर्मी होना प्रगट होगा।
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भाँति की बुराई करने से रोकता है।”
जो परदेशी याहुवाह से मिल गए हैं, वे न कहें, “याहुवाह हमें अपनी प्रजा से निश्चय अलग करेगा;” और खोजे भी न कहें, “हम तो सूखे वृक्ष हैं।”
“क्योंकि जो खोजे मेरे विश्रामदिन को मानते और जिस बात से मैं प्रसन्न रहता हूँ उसी को अपनाते और मेरी वाचा का पालन करते हैं,” याहुवाह यों कहता है,
“मैं अपने भवन और अपनी शहरपनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूँगा जो पुत्र–पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूँगा और वह कभी न मिटाया जाएगा।
“परदेशी भी जो याहुवाह के साथ इस इच्छा से मिले हुए हैं कि उसकी सेवा टहल करें और याहुवाह के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएँ, जितने विश्रामदिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा का पालन करते हैं,
उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आकर अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूँगा; उनके होमबलि और मेलबलि मेरी वेदी पर ग्रहण किए जाएँगे; क्योंकि मेरा भवन सब देशों के लोगों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा।
याहुवाह ऐलोआह, जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा करनेवाला है, उसकी यह वाणी है कि जो इकट्ठे किए गए हैं उनके साथ मैं औरों को भी इकट्ठा करके मिला दूँगा।” (यशायाह ५६:१-८; HINDI-BSI)
शैतान जानता है कि उन सभी के लिए कितने अमूल्य आशीषें उपलब्ध हैं जो सब्बात को उस तरीके से मनाएंगे जिस तरह से याहुवाह ने सब्बात का नियत किया था। इसलिए उसने यह विचार फैलाया कि सब्बात क्रूस पर समाप्त की गई थी। और जो लोग इसकी निरंतर वैधता को समझते हैं, उसने इसे एक बोझ, भारी और "सहने के लिए गंभीर" बना दिया है।
याहुवाह के आशीर्वाद सब के लिए स्वतंत्र और समान रूप से उपलब्ध हैं, चाहे वे किसी भी जाति के हो। याहुवाह "किसी व्यक्ति का पक्ष नहीं करता", किसी के DNA के कारण उनको उच्च सम्मान नहीं देता।
सब्बात : याहुवाह का उपहार
पिता का असीम प्रेम और ज्ञान ने सब्बात के दिन के विषय में उत्पन्न होने वाले उलझन को पहले से ही देख लिया था। वह जानते थे कि सब्बात खोई जाएगी। वह यह भी जानते थे कि जब सत्य बहाल किया जाएगा तब फरीसियों कि कानूनी मानसिकता बाकी के बचे हुए लोगों के बीच सब्बात के पालन को फिर से भ्रष्ट कर देगी। याहुवाह ने अपनी कृपा और करुणा में स्पष्ट निर्देश दिए कि कैसे कोई भी, कहीं भी सब्बात के उपहार से प्रसन्न हो सकते हैं।
यह सही कपड़े पहनने, या विशेष भोजन की तैयारी करने या उनके पवित्र दिन पर याह का काम करने पर निर्भर नहीं है। रंग-बिरंगे काँच के खिड़कियों की सुंदरता से इस दिन का कोई लेना देना नहीं है, एक हज़ार आवाज़ें एकजुट से गाने को सुनने से कोई लेना देना नहीं है। यह सभी रोमांचक अनुभव है लेकिन ये सभी के लिए उपलब्ध अनुभव नहीं है।
नहीं, बाहरी कारकों पर निर्भर किसी भी चीज़ की तुलना में सब्बात का आनंद लेना अधिक सरल और फिर भी कहीं अधिक गहरा है।
अंधकार-युग न केवल तकनीकी अज्ञानता और वैचारिक त्रुटि का समय था। वो महान आत्मिक अंधकार का समय भी था जहां कई आत्माएं शांति और आराम के लिए तरसती थीं जो केवल याह से आती है। यशायाह ५८ परिस्थिति के बारे में याहुवाह की समझ को प्रकट करता है: अंधकार का कारण क्या था, और शांति प्राप्त करने और सब्बात के उपहार में प्रसन्नता पाने के लिए दिव्य उपाय:
“गला खोलकर पुकार, कुछ न रख छोड़, नरसिंगे का सा ऊँचा शब्द कर; मेरी प्रजा को उसका अपराध अर्थात् याकूब के घराने को उसका पाप जता दे।
वे प्रतिदिन मेरे पास आते और मेरी गति जानने की इच्छा ऐसी रखते हैं मानो वे धर्मी लोग हैं जिन्होंने अपने एलोआह के नियमों को नहीं टाला; वे मुझ से धर्म के नियम पूछते और एलोआह के निकट आने से प्रसन्न होते हैं।
वे कहते हैं, ‘क्या कारण है कि हम ने तो उपवास रखा, परन्तु तू ने इसकी सुधि नहीं ली? हमने दु:ख उठाया, परन्तु तू ने कुछ ध्यान नहीं दिया?’ (यशायाह ५८:१-३; HINDI-BSI)
ये कपटपूर्ण प्रश्न नहीं है। कोई भी व्यक्ति के लिए जो याहुवाह से प्रेम करता है और उनका सम्मान करना चाहता है, जब आकांशा की गई आशीर्वाद इतनी दूर हो ऐसा लगता है कि हाथ न आएगा तो यह भ्रमित हो सकता है। धीरे से, याहुवाह समझाते हैं कि उनके आंतरिक हृदय में क्या चल रहा जिससे वे स्वयं अनजान है। "सुनो, उपवास के दिन तुम अपनी ही इच्छा पूरी करते हो और अपने सेवकों से कठिन कामों को कराते हो। सुनो, तुम्हारे उपवास का फल यह होता है कि तुम आपस में लड़ते और झगड़ते और दुष्टता से घूँसे मारते हो। जैसा उपवास तुम आजकल रखते हो, उस से तुम्हारी प्रार्थना ऊपर नहीं सुनाई देगी।" (यशायाह ५८:३-४; HINDI-BSI)
केवल एक धार्मिक अनुभव की गतियों से गुजरने से सृष्टिकर्ता के साथ एक गहरे, आध्यात्मिक संबंध के लिए हमारी आत्मा कि भूख को कभी संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। |
याहुवाह कह रहे हैं, तुम उपवास कर रहे हो, क्योंकि तुम इससे क्या प्राप्त करते हो। तुम आत्मिक के बजाय धार्मिक हो। तुम ये सब इसलिए करते हो क्योंकि यह तुम्हें ऐसा महसूस कराता है जैसेकि तुम बहुत अच्छे हो। लेकिन समस्या यह है कि तुम्हारा दिल अभी भी दुष्ट है।
यह वही संदेश है जो लौदीकिया की कलीसिया को दिया गया था: "तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।" (प्रकाशित वाक्य ३:१७; HHBD)
मैं हमेशा सब्बात से प्रेम करती थी, लेकिन यह मानव-निर्मित परंपरा थी, उचित सब्बात पालन की मानवीय व्याख्या, और बाकी चर्च जाने वालों की अपेक्षा को पूरा करना कि चर्च के लिए उचित पोशाक क्या थी. . . यह सब मुझे महसूस कराता था कि मैं सब्बात को ठीक से पालन कर रही हूँ और पवित्र रख रही हूँ। लेकिन यही सब चीज़ें मेरे सब्बात के दिन की आशीष को बोझ में बदल दिया . . . और मुझे इसका एहसास भी नहीं हुआ।
लेकिन, तब भी, जब हमारे इरादें अशुद्ध हैं, याहुवाह हमारा साथ नहीं छोड़ते। बल्कि वह धीरे-धीरे हमारी निगाहों को हमारे दिलों के छिपे हुए गड्ढों को प्रकट करता है और हमें धार्मिकता के मार्ग में निर्देश करता है। यशायाह ५८ में, वह पुछते हैं : "जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूँ अर्थात् जिस में मनुष्य स्वयं को दीन करे, क्या तुम इस प्रकार करते हो? क्या सिर को झाऊ के समान झुकाना, अपने नीचे टाट बिछाना, और राख फैलाने ही को तुम उपवास और यहोवा को प्रसन्न करने का दिन कहते हो?" (यशायाह ५८:५; HINDI-BSI)
याहुवाह पुछते हैं, क्या मैंने तुमसे अपने आप को दुखी करने के लिए कहा है? क्या तुम्हें सच में लगता है कि मैं ये चाहता हूँ?
क्या मैं सब्बात के दिन के आशीर्वाद को प्राप्त की जब मैं अपराध और मानव द्वारा थोपी गई कठिनाइयों के तहत काम किया था? बिलकुल! याहुवाह जो हर हृदय को पढ़ते हैं, जानते थे कि मैं उनसे प्रेम करती थी और उनका सम्मान करना चाहती थी। जैसे याहुशुआ ने अपनी पहाड़ी उपदेश में समझाया था:
“माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
“तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उससे रोटी माँगे, तो वह उसे पत्थर दे? या मछली माँगे, तो उसे साँप दे?
अत: जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों न देगा? (मत्ती ७:७-११; HINDI-BSI)
याहुवाह हमेशा उनके बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। लेकिन वह जानते थे कि सब्बात के आशीष और भी बहुत हैं जो मैं अपने अज्ञानता और अंधापन के कारण खो रही हूँ।
यशायह ५८ में, वह रुकता नहीं जब एक बार वह हमारे हृदय के गहरे छिपे हुए अशुद्ध इरादों को प्रकट कर देता है जो सब्बात के दिन कि खुशी को चुरा लेता है। इसके बजाय, वह समझाते हैं, कि वह वास्तव में क्या चाहते हैं और यह बाहरी चीज़ों को काटते हुए सीधे दिल को पहुँचता है:
“जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूँ, वह क्या यह नहीं, कि अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहनेवालों का जूआ तोड़कर उनको छुड़ा लेना, और सब जूओं को टुकड़े टुकड़े कर देना"
क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बाँट देना, अनाथ और मारे–मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जातिभाइयों से अपने को न छिपाना? (यशायाह ५८:७; HINDI-BSI)
यह हमेशा से दिल का काम रहा है। याहुशुआ के साथ भी यही था, और हमारे साथ भी यही है। लेकिन जब हम याहुवाह को हमारे उद्देश्यों को शुद्ध करने कि अनुमति देते हैं और हमारे दिल और उनके दिल के बीच की किसी भी चीज़ को निकालने देते हैं, तो आशीषों का प्रवाह वास्तव में "पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे" (लूका ६:३८; HINDI-BSI) आशीषों की बाढ़ को सुने जो स्वर्ग आप पर उण्डेलने के लिए उत्सुकता के साथ प्रतिक्षा कर रहा है:
तब तेरा प्रकाश पौ फटने की नाईं चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, याहुवाह का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा। तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दोहाई देगा और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे, उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा। और याहुवाह तुझे लगातार लिए चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता। (यशायाह ५८:८-११ ;HHBD)
कितना अधिक इनाम! और यह सब स्वतंत्र रूप से दिया गया कि आप याहुवाह को आपके छिपे हुए, आंतरिक हृदय को प्रकट करने और हर आड़ को दूर करने की अनुमति देने के लिए, जो, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के रास्ते में खड़ी होगी। और जब यह होगा, तब याहुवाह की व्यवस्था पूरी नई रोशनी में देखी जा सकती है। इसे अब बोझ के रूप में देखा नहीं जाएगा जिसे क्रूस पर चढ़ाया गया। अब, इसे सर्वशक्तिमान के विचारों और भावनाओं के प्रतिलेख के रूप में देखा जाता है। दिव्य व्यवस्था हमें उनके छिपे हुए, आंतरिक हृदय की झलक पाने की अनुमति देता है! और हमें जो मिलता है वह शुद्ध सुंदरता है।
याहुवाह की व्यवस्था उनके प्रेमी स्वभाव कि प्रतिलेख है। यह कभी नहीं टलेगी! बल्कि यह याहुवाह कि छुपी हृदय को प्रकट करता है। दिव्य व्यवस्था का जितना अधिक अध्ययन किया जाता है, उतना ही सुंदरता दिखाई देता है। |
उस दिव्य व्यवस्था का एक हिस्सा सब्बात है – जो आपको सबसे अच्छा जानता है, और आपसे प्रेम करता है, उनके साथ समय बिताने का नित्य निमंत्रण है। गौर करें कि कैसे अगले वचन में, जो यह करते हैं, पहचानते हैं कि चौथी आज्ञा क्रूस पर खत्म हो जाने के बजाय, अब भी बाध्यकारी है! सृष्टिकर्ता के साथ समय बिताने का निमंत्रण अब भी खुला है!
“तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएँगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नींव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करनेवाला पड़ेगा। (यशायाह ५८:१२; HINDI-BSI)। याहुवाह के व्यवस्था में "टूट" यह धारणा कि चौथी आज्ञा क्रूस पर खत्म हो गया। लेकिन जब हमारा अंधापन दूर हो जाता है और हम दिव्य व्यवस्था कि सुंदरता को समझ लेते हैं, तब हम इस धारणा के भ्रम को पहचान लेंगे। न ही हम याहुवाह के सब्बात का पालन करेंगे बल्कि इस अद्भुत सत्य को दूसरों के साथ साझा भी करेंगे।
और कहीं ऐसा न हो कि हम कभी भी सब्बात के विधि-सम्मत "पालन" की ओर लौट जाएँ, यहीं, याहुवाह स्पष्ट रूप से तीन-चरणीय प्रक्रिया बताते हैं जिसके द्वारा सभी सब्बात में आनंद ले सकते हैं:
“यदि तू विश्रामदिन को अशुद्ध न करे अर्थात् मेरे उस पवित्र दिन में अपनी इच्छा पूरी करने का यत्न न करे, और विश्रामदिन को आनन्द का दिन और यहोवा का पवित्र किया हुआ दिन समझकर माने; यदि तू उसका सम्मान करके उस दिन अपने मार्ग पर न चले, अपनी इच्छा पूरी न करे, और अपनी ही बातें न बोले, तो तू यहोवा के कारण सुखी होगा, और मैं तुझे देश के ऊँचे स्थानों पर चलने दूँगा, मैं तेरे मूलपुरुष याकूब के भाग की उपज में से तुझे खिलाऊँगा, क्योंकि याहुवाह ही के मुख से यह वचन निकला है।” (यशायाह ५८:१३-१४; HINDI-BSI)
यही सब्बात में आनंदित होने का रहस्य है।
दिन को पवित्र बनाना हमारा काम नहीं है। यह पहले से ही पवित्र है! यह पवित्र इसलिए है क्योंकि
सृष्टिकर्ता पहले ही इस दिन को आशीषित किया और पवित्र घोषित किया है। इसे ऐसा ही रखना हमारा काम है।
सब्बात में प्रसन्न होना
वास्तव में सब्बात की आशीष प्राप्त करने के लिए, आपको सबसे पहले सब्बात को आनंद के रूप में मानना चाहिए। सिर्फ आपको शब्दों में नहीं। बल्कि, आपके अपने दिल और मन में, सब्बात को सप्ताह के सबसे अच्छे दिन के रूप में देखें क्योंकि, इस दिन ब्रह्मांड के सम्राट अपने सबसे बड़े खजाने पर ध्यान क्रेंदित करने के लिए अपना काम छोड़ देते है: आप।
याहुवाह तीन विशेष बातें निर्धारित किए हैं। अगर हम इन्हें करते हैं, तो सब्बात वह उपहार और आनंद होगा जो उन्होंने हमेशा से नियत किया है . . . और यह हमारे प्रयासों के कारण नहीं होगा कि कपड़ों की इस्त्री ठीक से हुई है या नहीं; और, समय से पहले सारे पकवान कि तैयारी खत्म हुई है या नहीं!
सब्बात में आनंद रहने के लिए तीन चरण/कदम यह है:
१. अपना काम न करना।
२. अपनी बात न बोलना।
३. अपनी इच्छा न करना।
अपना काम न करना
यह काफी स्पष्ट और आत्म-व्याख्यात्मक है। हमें सब्बात के पवित्र घंटों के दौरान अपना खुद का काम नहीं करना है। जो लोग दावा करते हैं कि सब्बात को क्रूस पर चढ़ा दिया गया था, और इसके अलावा, वे हर दिन उपासना करते हैं, वे कोई काम न करने कि इस बात को समझने से चूक रहे हैं।
सृष्टिकर्ता के ओर छोटे बच्चों का हृदय खींचा जाता है। वे बहुत उत्सुकता से पवित्र आत्मा के स्पर्ष का उत्तर देंगे। |
हमें हर दिन याहुवाह कि उपासना करना चाहिए! दिन कि शुरूआत सृष्टिकर्ता के साथ व्यक्तिगत अकेले समय बिताना काफ़ी महत्वपूर्ण है। जब मेरे बच्चे काफ़ी छोटे थे, ३ से ४ वर्ष के, "याहुशुआ के साथ" उनका अपना समय हुआ करता था जहाँ वे CD में बाइबिल कि कहानियाँ सुन सकते थे, बाइबिल कि कहानियों के पुस्तकें देख सकते थे. . . और भी बहुत कुछ। और उस दिन के आशीर्वाद, प्रार्थना और धन्यवाद की याद के साथ दिन को समाप्त करना, मन को प्रार्थना की भावना में रखता है ताकि अगली सुबह, व्यक्ति के विचार स्वाभाविक रूप से सबसे पहले याह के पास जा सकें।
लेकिन फिर भी, व्यक्तिगत भक्ति समय के साथ, और सुबह और शाम कि पारिवारिक आराधना के साथ, एक साधारण कार्य का दिन, सब्बात के दिन के साथ समान नहीं है जहाँ दैनिक कार्यों को छोडकर पूरी तरह से याहुवाह पर ध्यान केंद्रित करने जैसा है।
अपनी बात न बोलना
विशेष रूप से इस बात को भूलना आसान हो सकता है। चाहे हम मेहमानों को सब्बात के भोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करें, या हम होम-चर्च करने वाले दूसरे परिवारों के साथ मिलकर भोजन का आनंद ले, अपने खुद के शब्दों को बोलना बहुत आम बात है।
संगति के ऐसे समय बहुत ही आशीर्वाद हो सकता है यदि इसका उपयोग याह की महिमा करने के लिए, उनके वचन से सीखे गए पाठों पर चर्चा करने के लिए किया जाए। और उन कई तरिकों को साझा करने के लिए जिनमें उन्होंने पिछले सप्ताह आपको आशीषित किया है।
फिर भी, कई बार, माताएँ बच्चों या आपसी दोस्तों के जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में बात करना शुरू कर देती हैं। पुरुष काम के बारे में, या अपने पसंदीदा क्रीड़ा टीम के स्कोर के बारे में, या अपने गाड़ी [बैइक या कार] के साथ होने वाले परेशानियों के बारे में बात करेंगे। और इनमें से किसी भी बातों के द्वारा याहुवाह की महिमा नहीं होती है। क्योंकि ध्यान याहुवाह से हटकर लैकिक विषयों पर है।
सच में सब्बात में आनंद होने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम याहुवाह के वचन ही बोलें, न कि अपना।
अपनी इच्छा न करना
यह अपने आप में स्पष्ट दिखाई देता है। जाहिर है, आप सब्बात के पवित्र घंटों के दौरान खेलने, या पार्टी, या संगीत कार्यक्रम में नहीं जा रहे हैं। लेकिन, यह तीसरी बात, सब्बात में प्रसन्न होना, पिछले दो बातों कि तुलना में अधिक गहरा अर्थ देता है।
उन लोगों के लिए जिन्होंने याहुवाह की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है, यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसे WLC टीम का हिस्सा बनने का विशेषाधिकार मिला है, हम सभी के लिए वेबसाइट या WLC रेडियो कार्यक्रमों के लिए काम करना, ई-मेल का जवाब देना. . .आदि, को सही ठहराना बहुत आसान हो गया है। आखिरकार, यह याहुवाह का काम करना है, है न?
लेकिन सच्चाई यह है, कि हम सभी को याहुवाह का काम करना पसंद है! हम सभी को इस मिनिस्ट्री का हिस्सा होना अच्छा लगता है। खुद के बारे बोलूँ तो, मुझे बहुत खुशी और व्यक्तिगत तृप्ति मिलती है, यह जानते हुए कि दूसरों तक सच को पहँचाने में मेरी छोटी योगदान थी। वेबसाइट पर पाठकों द्वारा छोड़ी गई टिप्पणियां मेरे दिल को खुश करती हैं, और अधिक लगन से उन सत्यों का साझा दूसरों के साथ करने में और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती हैं, जिन्हें याहुवाह WLC को दिया है।
लेकिन, देखिए, वह भी मेरी इच्छा करना है। मुझे सब्बात के दिन अपने सुख की खोज नहीं करना है। मुझे याहुवाह के आनन्द की खोज करना है। सब्बात मेरे लिए अपनी खुशी तलाशने का समय नहीं है। यह मेरे लिए याहुवाह की प्रसन्नता की खोज करने का समय है। और जब मैं ऐसा करती हूँ, तो मुझे भी खुशी होती है!
कई बार कहा गया कि आप पिता को कभी भी "ज्यादा" नहीं दे सकते हैं, और जब खुशी की बात आती है, यह बिलकुल सच है। अपने आस-पास के लोगों के लिए एक आशीष बनकर हम पिता के आनंद को प्राप्त करने का एक तरीका खोज सकते हैं (या उनकी इच्छा पूरी कर सकते हैं)। इब्रानियों ४:१५ एक अद्भुत सच प्रकट करता है: पिता और पुत्र, वो महसूस करते हैं जो हम महसूस करते हैं! "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दु:खी न हो सके; वरन् वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।" (इब्रानियों ४:१५ ; HINDI-BSI)
दूसरे शब्दों में, हम जो महसूस करते हैं, पिता भी वो महसूस करते हैं। हर वो खुशी की भावना जो हमारे दिल में होती है, या कोई दुख, सब कुछ याहुवाह महसूस करते हैं। ये एहसास मत्ती २५ में याहुशुआ के शब्दों को जितनाहमने अभी तक समझा है उससे कहीं अधिक गहरा अर्थ देता है: "तब राजा उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।’ (मत्ती २५:४०; HINDI-BSI)"
जब हम दुखी होते हैं तो याहुवाह भी दुखी होते हैं। और जबकि कोई पीड़ित व्यक्ति इस विचार से आराम ले सकता है कि उसके दर्द को समझा गया है, हमें यह जानने में प्रोत्साहन होना चाहिए कि हम बहुत ही वास्तविक और शाब्दिक तरीके से, पिता की पीड़ा को दूर कर सकते हैं और उन्हें खुश कर सकते हैं।
तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, ‘हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया गया है।
क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया; मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया;
मैं नंगा था, और तुमने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, और तुमने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, और तुम मुझसे मिलने आए।’
“तब धर्मी उसको उत्तर देंगे, ‘हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा और पानी पिलाया?
हमने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया? या नंगा देखा और कपड़े पहिनाए?
हमने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझसे मिलने आए?’
तब राजा उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।’ (मत्ती २५:३४-४०; HINDI-BSI)
दूसरों को सहायता करने में हमें याहुवाह के हाथ बनना चाहिए, और आश्वासन और खुशी की बातें बोलने में याहुवाह की आवाज़ बनना है। और चूंकि वह सचमुच अपने बच्चों द्वारा महसूस की जाने वाली हर भावना को महसूस करता है, जब हम अपने आस-पास के लोगों में दुख, उदासी या अकेलेपन को कम करने की कोशिष करते हैं, तो हम याहुवाह के दुख, उदासी और अकेलेपन को कम कर रहे हैं, और सचमुच उन्हें खुश कर रहे हैं!
जब हम अकेले, परेशान, या उदास की सेवा करते हैं, तो हम बहुत ही वास्तविक तरीके से, पिता के द्वारा महसूस होने वाले दर्द को कम करते हैं, क्योंकि याहुवाह महसूस करते हैं जो उसके बच्चे महसूस करते हैं। सब्बात "इनमें से छोटे से छोटे" को शामिल करने और पिता की महिमा करने का एक अद्भुत समय है। |
दुनिया भर में, कई लोग, हफ्ते में छः दिन काम करते हैं। और जिस देश में मैं रहती हूँ, ७२-घंटे काम हफ्ते में साधारण है: दिन में १२-घंटे, हफ्ते में छः दिन। अगर हम स्वार्थी होकर सब्बात के दिन अपनी इच्छा न करें, बल्कि याहुवाह के इच्छा को खोजने के लिए सब्बात एक अद्भुत अवकाश है। कोई बुजुर्ग अकेले रहता हो और उनका कोई नहीं है, ऐसे व्यक्ति के साथ सब्बात भोज करना उनको खुशी दे सकती है।
और हर उस प्रकार जिसमें हम याहुवाह के आनन्द को ढूंढ़ते हैं, और अपनी प्रसन्नता के बदले उसकी प्रसन्नता की खोज करते हैं, बदले में हमें जो आनंद मिलता है, वह हमारे कुछ भी देने से कहीं अधिक होता है।
सब्बात की अपेक्षा करना!
यह समझ किस तरह से सब्बात को रखने कि अपेक्षा याहुवाह हम से करते हैं WLC को बदल दिया। हम में से प्रत्येक व्यक्ति को उन सच्चाईयों को साझा करने के लिए जिम्मेदारी की एक गहरी भावना महसूस होती है जिसके साथ हमें आशीष मिली है और हम सभी को यह महसूस हुआ है कि हम सब्बात के दिन की उस आशीष को प्राप्त करने से चूक रहे हैं जिसे पिता हमें प्रदान करने की लालसा कर रहे हैं।
टीम का एक सदस्य ने कहा "कभी अपने ज़िन्दगी में सब्बात में आनंदित होने के बारे में उपदेश नहीं सुनी। सब्बात को रखने और उसको पालन करने के बारे में सुनी थी। पर जब वो तीन बातें रखीं थीं, तो तुरंत ही सब्बात मेरे लिए एक आनंद हो गया! तुरंत!"
"मैं याहुवाह को धन्यवाद कहता हूँ कि उन्होंने मेरी आयू बढ़ाई है, ताकि मैं इस बूढ़ापे में सीख सकूँ।" ~ WLC टीम के सदस्य |
टीम के दूसरे सदस्य कहते हैं: "मैं बहुत शरमींदा महसूस करता हूँ जब अपने ज़िन्दगी के वह सारे साल को मैं दूसरों को यह बताने में बिता दिया की सब्बात एक बोझ है। लेकिन अब, मैं पूरी दुनिया को कहना चाहता हूँ : कि यह सच में आनंद का दिन है, प्रसन्नता का दिन है!"
जब आप सब्बात को उस तरीके से रखते हैं जो तरीका याहुवाह ने नियत किया है, एक अद्भुत परिवर्तन होगा। आप सब्बात को एक नए तरीके से देखेंगे जिसका आपने पहले कभी अनुभव नहीं किया है।
क्योंकि सब्बात वास्तव में एक खुशी का दिन है, मैं अब पूरे सप्ताह इसके लिए उत्सुकता से इंतेजार करती हूँ। बचपन में सब्बात के दिन कि खत्म के जो आशा से पतिक्षा करती थी, अब, उसके बदले, मैं सच से दुखी हूँ जब यह दिन समाप्त हो जाता है। याह के निर्देशों का पालन करके, मैं सब्बात और सब्बात के दाता, दोनों में प्रसन्न होती हूँ, और प्राप्त आशीर्वाद किसी भी चीज से परे हैं जिसकी मैं पहले कल्पना नहीं कर सकती थी। और मैं इसे आपके लिए भी चाहती हूँ।
जब सब्बात मानव निर्मित परंपराओं और फरीसी अपेक्षाओं से भरा होता है, यह एक बोझ बन जाता है। लेकिन जब, याह के निर्देशों की सादगी में, हम अपना काम नहीं करते हैं, हम अपने स्वयं के शब्द नहीं बोलते हैं, या अपनी खुशी की तलाश नहीं करते हैं, तो हमारा ध्यान वहीं होता है जहां होना चाहिए: सभी खुशी, संपूर्णता, प्रेम और आनंद के स्रोत पर, जो याहुवाह हैं।
अगर आप सब्बात के दिन में आनंद रहने के द्वारा याहुवाह की सम्मान करते है, आपको अनंत जीवन दिया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण अंत-समय अवधारणा है जिसे हम सबको समझने की आवश्यकता है। याहुवाह ने अपनी महान दया में, घटनाओं को धीमी कर दिया है, ताकि हम इस महान सत्य को सीखें। सब्बात का आनंद लेने वाले सभी लोगों के लिए बहुत बडा इनाम इंतेजार कर रहा है। जो यह करते हैं, यशायाह ५८, वचन १४, यह वादा करता है, कि हमारे पिता, मूलपुरूष याकूब के भाग की उपज में से खिलाए जाऐंगे। याहुवाह आपसे कहेंगे, " तुम मेरे हो। तुम मेरे खास, (विशेष) लोगों में से हो, १,४४,०००। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ रहो। तुम स्वर्ग के हो!"
एक चुनौती
WLC टीम इन शब्दों को पढ़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने दिल की खोज करने की चुनौती देना चाहेगी। क्या सब्बात का दिन वास्तव में आपके लिए आनंदमय रहा है? या यह एक भोज है? क्या आप आराम या राहत महसूस करते हैं जब सब्बात (आखिरकार) खतम हो जाता है? या आप दुखी हैं कि यह दिन अगले हफ्ते तक नहीं आएगी?
यशायह ५८ में दी गई निर्देश को अपनाएं। मानव निर्मित परंपराओं को छोड दें। जब आप ऐसा करेंगे, तो सब्बात का दिन आनंददायक और आशीर्वाद हमेशा रहेगा जो याहुवाह का इरादा था। |
अगर आप, अपने दिल की खोज में यह पाते हैं कि सब्बात प्रसन्नता के बजाय एक भोज है, तो निराश मत होइए! याहुवाह को किस तरह से सम्मान करने की यह तीन नियम को अगर आप रखते हैं, तो आप उनकी सम्मान और उनमें प्रसन्न रहेंगे। सब्बात का दिन, आपके सृष्टिकर्ता और सबसे अच्छे दोस्त के साथ रहने का आपका विशेष समय, एक खुशी की बात होगी जिसे आप जाते हुए देख घृणा करते हैं। फिर भी, उन पवित्र घंटों के दौरान प्राप्त आशीर्वाद आपको पूरे सप्ताह तक ले जाएगा, आपको हर उस परीक्षा में बनाए रखेगा जिसके माध्यम से आपको जाने के लिए बुलाया जाता है। याह की आत्मा, पवित्र घंटों के दौरान जिसका इतनी गहराई से भाग लिया गया है, आपका निरंतर साथी होगा और आप अगले सब्बात को खुशी और उत्सुकता के साथ स्वागत करेंगे। यह वास्तव में आपकी प्रसन्नता होगी।
यह याह के साथ एक होना है। वह आप में, और आप उनमें, एक-दूसरे की संगति में प्रसन्न होना। सब्बात एक ऐसा आनंद है, जो यहां से शुरू होता है, जो हमेशा के लिए आनंदित करता रहेगा। यह एक ऐसा उपहार है जो कभी नहीं छीना जाएगा। अनंत काल के निरंतर युगों के लिए, छुड़ाए गए हर एक व्यक्ति नए चंद्रमा के दिन को, और हर सातवें दिन सब्बात को सृष्टिकर्ता की उनकी उपस्थिति में आराधना करने के विशेषाधिकार के लिए इकट्ठा हो जाऐंगे।
"फिर ऐसा होगा कि एक नये चाँद से दूसरे नये चाँद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक समस्त प्राणी मेरे सामने दण्डवत् करने को आया करेंगे; याहुवाह का यही वचन है।" (यशायाह ६६:२३; HINDI-BSI)
बच्चे स्वर्ग के परिवार के छोटे सदस्य हैं और उनके साथ उस सम्मान और दया के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए जिसकी अपेक्षा बड़े सदस्य निश्चित रूप से करते ही हैं। जब बच्चों को जिस तरह से उद्धार के सत्य सिखाए जाते हैं कि उनका कोमल, युवा मन समझ सकता है, याह की आत्मा उन्हें अपनी ओर खींचती है। उनके हृदय भी कोमल हो जाते हैं, और वे भी सब्बात के दिन प्रसन्न होते हैं। माता-पिता की विशेष जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को अपने साथ लाएं, और धार्मिकता के मार्ग में उनकी रक्षा करें। बच्चे की उम्र के आधार पर, विभिन्न कार्यक्रम हैं जो इन कीमती युवा आत्माओं को सब्बात के पवित्र घंटों में आनंद लेने को सीखने में मदद कर सकती हैं। १) एक विशेष पारिवारिक आराधना करें जिसमें सभी भाग लेते हैं। छोटे बच्चे भी एक वस्तु ला सकते हैं और समझा सकते हैं कि यह कैसे उन्हें याहुवाह की याद दिलाता है। |
1 http://www.patheos.com/blogs/friendlyatheist/2014/11/19/cant-turn-off-your-lights-on-the-sabbath-no-problem-just-ask-the-local-police-to-do-it-for-you/, retrieved Nov. 20, 2017.