मेरा ऐलोआह भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह याहुशुआ में है,
तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।
(फिलिप्पियों ४:१९; HINOVBSI)
जॉर्ज मुलर एक ऐसे व्यक्ति थे जो विश्वास को समझ गए थे। उन्होंने एक बार कहा था: "मैं खुशी- खुशी अपना पूरा जीवन इस उदाहरण देने के लिए समर्पित कर दिया कि प्रार्थना और विश्वास से कितना कुछ हासिल किया जा सकता है।" ब्रिस्टल, इंग्लैंड की सड़कों पर रहने वाले बेसहारा बच्चों की देखभाल के लिए अनाथालयों का निर्माण करने का एक भार याहुवाह ने जॉर्ज मुलर के दिल में रखा था। सिर्फ दो शिल्लिंग (३५ रुपये) उनके जेब में थे, और जॉर्ज मुलर आज्ञा पालन करने का निशाचय लिया। वह नहीं जानते थे कि पैसे कहाँ से आएँगे, लेकिन यह उनकी समस्या नहीं थी। वह याहुवाह के इच्छा को जानते थे। मार्ग प्रदान करने काम याहुवाह का था। उनका काम आज्ञा का पालन करने का था।
जॉर्ज मुल्लर (१८०५-१८९८), एक सच्ची विश्वास योद्धा, भरोसा किया कि याह का वादा होना उतना ही वास्तविक था जितना कि हाथ में जरूरी चीज होना, चाहे वह घर में खाना हो या उसके बटुए में पैसा। |
मुलर ने अपने दिव्य एलोहीम पर सब कुछ के लिए भरोसा किया। उन्होंने अपनी जरूरतों के बारे में किसी को, कभी नहीं बताने का अभ्यास बना लिया - और उनके पास बहुत जरूरतें थी। वह सिर्फ अपने परमपिता को ही बताते थे। विश्वास के इस दीन आदमी के द्वारा, याहुवाह ने पाँच विशाल, ग्रेनाइट की इमारतें खड़ी कीं, जो २,००० अनाथों को आवास देने में सक्षम थीं।
एक दिन, मुलर के पास पैसे नहीं थे और बच्चों के अगले भोजन के लिए कुछ भी नहीं था। जब वह घुटने के बल प्रार्थना कर रहे थे, विश्वास से वादों का दावा करते हुए, अपने स्वर्गीय पिता के सामने अपनी ज़रूरतों को रख रहे थे, किसी ने पैसों का उपहार के साथ दरवाजा खटखटाया। याहुवाह ने एक बार फिर साबित कर दिया था कि वह हमेशा अपने वादों को पूरा करता है। बच्चें अपने अगले भोजन समय पर खाया।
कई वर्षों के दौरान, उनके महान कार्य के समर्थन में उन्हें करोड़ों डॉलर के बराबर पैसा दया गया था - यह सब बिना उनकी किसी भी व्यक्ति को उनकी ज़रूरतों के बारे में बताए बिना, जिनमें से कई बहुत जरूरी थे। मुलर ने याहुवाह की भलाई और शक्ति को प्रकट करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, जो उन सभी की ओर से प्रयोग किया जाएगा जो याहुवाह को उसके वचन पर लेते हैं और एक वाचा-पालन करने वाले एलोहीम के वादों पर भरोसा करते हैं। उन्होंने पहचान लिया कि कोई भी व्यक्ति जो दृढ़ विश्वास रखना चाहता है, उसके लिए परीक्षण आवश्यक हैं।
"दृढ़ विश्वास सीखना बड़ी परिक्षाओं को सहना है।" मुलर ने कहा, "मैंने कठिन परिक्षा के बीच दृढ़ खड़े रहने के द्वारा विश्वास सिखा है।"
यह कहा गया कि विश्वास एक पौधा जैसा है, जो बहुत जल्द बढ़ेगा अगर उसकी पोशन किया जाए और मुलर का विश्वास इस बात को साबित करता है। उन्होंने कहा: "आश्वासित रहें, कि अगर आप याहुवाह के साथ चलते हैं, और उनके तरफ देखते हैं, और आप उनसे सहायता की अपेक्षा करते हैं, तो वो आपको कभी निराश नहीं करेगा।" मुलर का विश्वास परिस्थितियों की परवाह किए बिना भरोसा करने को चुनने के उनके अनुभव का परिणाम था। उन्होंने कहा: "अगर परमेश्वर मुझे निराश करेगा तो वह पहली बार होगा।"
याहुवाह ने एक छोटी इस्राएली लड़की को अपहरण करने और गुलामी में बेची जाने से नहीं रोका, लेकिन उन्होंने उसकी गवाही का इस्तेमाल सेनापति नामान के माध्यम से एक पूरे राष्ट्र को गवाही देने के लिए किया। (darreltank.com से अनुमति द्वारा उपयोग किया गया) |
पवित्रशास्त्र कहानियों से भरा हुआ है, जो याहुवाह के अपने पृथ्वी से बंधे बच्चों के साथ बातचीत के बारे में बताता है। बाइबिल में दर्ज हर कहानी का प्राथमिक कारण विश्वासियों के दिलों में विश्वास को प्रेरित करना है। लाल समुद्र में चमत्कारी छुटकारे से लेकर उस विधवा की कहानी तक जिसका तेल कई गुना बढ़ा दिया गया था ताकि वह अपना कर्ज चुका सके, याहुवाह के पिछले व्यवहारों के इन खातों का उद्देश्य विश्वास और भरोसा को प्रेरित करना है कि जिसने अतीत में अपने लोगों के लिए पराक्रम से काम किया है, वही आज भी करने को तैयार है अगर याह लोग उन पर भरोसा करेंगे।
याह के हर बच्चे ने हमेशा कठिनाइयों का अनुभव किया है। दानिय्येल को बंदी बनाकर यहूदा के शत्रुओं के दरबार में नपुंसक बनाया गया। यूसुफ को अन्याय से कैद किया गया था। अय्यूब ने अपने बच्चों, अपनी संपत्ति और अपनी प्रतिष्ठा को खो दिया था। एस्तेर को उसके परिवार से ले लिया गया था और उसे एक मूर्तिपूजक राजा की पत्नी बनाया गया जो उससे कई वर्ष बड़ा था!
याहुवाह बुरे चीजों को होने से नहीं रोकता। इब्रानियों ११, प्रसिद्ध "विश्वास के नायकों की सूची" अध्याय, उन लोगों के उदाहरण के बाद उदाहरण प्रदान करता है, जिन्होंने दुर्गम कठिनाइयों और परीक्षणों का सामना किया, विजय प्राप्त की - अपनी ताकत में नहीं, बल्कि याहुवाह के वादों पर यकीन करने के द्वारा। ये हैं विश्वास के योद्धा
इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ प्राप्त कीं; सिंहों के मुँह बन्द किए; आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले; निर्बलता में बलवन्त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया। स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवित पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए और छुटकारा न चाहा, इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने वरन् बाँधे जाने, और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए। पथराव किए गए; आरे से चीरे गए; उनकी परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में, और क्लेश में, और दु:ख भोगते हुए भेड़ों और बकरियों की खालें ओढ़े हुए, इधर–उधर मारे मारे फिरे; और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। संसार उनके योग्य न था।. . . . . इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ें, और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें. . . . . (इब्रानियों ११:३३-१२:२; HINOVBSI)
बाइबल की कहानियाँ सिखाती हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का सबसे बड़ी आवश्यकता दिव्य वादाओं में विश्वास है। जो परीक्षा और कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं, वे विश्वास और भरोसा सिखाने के लिए स्वर्ग के शिक्षक हैं। याहुवाह की शक्ति उस [दिव्य वादों] पर की गई हर मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। यह हर आपात स्थिति को हल करने के लिए काफी बड़ा है। एकमात्र सीमा यह है कि व्यक्ति विश्वास का प्रयोग करेगा या नहीं क्योंकि याहुशुआ ने उससे कहा, “विश्वास करनेवाले के लिए सब कुछ हो सकता है।” (मरकुस ९:२३; HINOVBSI) "और विश्वास के बिना तो याहुवाह को प्रसन्न करना असम्भव है। क्योंकि हर एक वह जो उसके [ऐलोहीम] पास आता है, उसके लिए यह आवश्यक है कि वह इस बात का विश्वास करे कि याहुवाह का अस्तित्व है और वे जो उसे सच्चाई के साथ खोजते हैं, वह उन्हें उसका प्रतिफल देता है।" (इब्रानियों ११:६; HERV)
पृथ्वी के इतिहास के इन अंतिम दिनों में, विश्वासियों के विश्वास को मजबूत करने के लिए बाइबल की कहानियाँ दी गई हैं। याह के लोगों को एक प्राचीन कैलेंडर द्वारा गणना किए गए सातवें दिन के सब्बात के अलोकप्रिय सत्य के साथ पूरी दुनिया के सामने खड़ा होना चाहिए। सभी जो चौथी आज्ञा के दायित्व का सामना कर रहे हैं, वे जल्दी से महसूस करते हैं कि यदि किसी विशिष्ट दिन पर आराधना करना महत्वपूर्ण है, तो उस दिन की गणना करने के लिए उपयोग किया जाने वाला कैलेंडर भी समय-माप का सही तरीका होना चाहिए।
क्योंकि दुनिया एक सौर कैलेंडर का उपयोग करने में एकजुट हुआ है जिसमें निरंतर साप्ताहिक चक्र होता है, दूसरे कैलेंडर द्वारा आराधना करने का निर्णय तुरंत पूर्व अनदेखी हुई कई समस्याओं को प्रस्तुत करता है। सच्चे बाइबल सब्बात के दिन को आराधना करने को चाहने अधिकांश लोगों के लिए मुख्य भय नौकरी को खोने का है। यह, बदले में, उन लोगों के लिए अन्य खतरे प्रस्तुत करता है जो कर्ज में हैं: मैं अपनी कार का ऋण का भुगतान कैसे करूंगा? क्या मैं अपना घर खो दूंगा? मेरे छात्र ऋण के बारे में क्या? मेरे पास बहुत सारे प्रश्न हैं!
ये सभी बहुत ही वास्तविक चिंताएं हैं। याह के बहुत से लोग इन्हीं मुद्दों का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति में किसी की सबसे बड़ी जरूरत विश्वास की है - विश्वास जो हिलेगा नहीं, भले ही आसमान गिर जाए। एक बात जिसके लिए याहुशुआ ने अपने चेलों को बार-बार चेतावनी दी, वह थी उनके विश्वास की कमी: "हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो?" (मत्ती ८:२६; HHBD)। "हे अल्प-विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?"(मत्ती १४:३१; HHBD)। “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?”(लूका ८:२५; HERV)
इसके विपरीत, जहाँ कहीं भी उन्हें विश्वास मिला, उन्होंने तुरंत उसकी प्रशंसा की। यीशु ने मुड़कर उसे देखा और कहा, “पुत्री धैर्य रख; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।” (मत्ती ९:२२; IRVHIN) "हे स्त्री, तेरा विश्वास बड़ा है: जैसा तू चाहती है, तेरे लिये वैसा ही हो;" (मत्ती १५:२८; HHBD) “चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा कर दिया है।” (मरकुस १०:५२; HINOVBSI)। याहुशुआ सीखाना चाहते थे कि याहुवाह एक व्यक्ति के लिए काम करने के लिए स्वतंत्र होने का मात्र, उस व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए गए विश्वास की मात्रा के सीधे आनुपातिक था।
"विश्वास" उन शब्दों में से एक है जिसे अक्सर धार्मिक लोगों के बीच काफी उपयोग किया जाता है, फिर भी कदाचित समझा जाता है कि यह क्या है। विश्वास एक भावना नहीं है। अक्सर लोगों को संदेह होता है कि उनकी प्रार्थना तब तक सुनी नहीं जाती है जब तक कि वे अच्छी भावनाओं से भर न जाएं लेकिन यह विश्वास नहीं है। जब आप भय महसूस करते हैं, शांति नहीं; जब आप दुख अनुभव करते हैं, आनंद नहीं; जब आप कमजोर महसूस करते हैं, मजबूत नहीं; तब विश्वास करना आपका कर्तव्य है।
विश्वास का अर्थ "वह धारणा जो मन में किसी व्यक्ति के प्रति उसका सद्भाव, हितैषिता, सत्यता, दृढ़ता आदि अथवा किसी सिद्धांत आदि की सत्यता अथवा उत्तमता का ज्ञान होने के कारण होती है । किसी के गुणों आदि का निश्चय होने पर उसके प्रति उत्पन्न होनेवाला मन का भाव । एतबार । यकीन ।१ "विश्वास याहुवाह को उसके वचन पर लेना है, यह विश्वास करना चुनना है कि उसने जो कहा है, वह इस कारण करेगा कि वह कौन है (सर्व-प्रेमी) और वह क्या है (सर्वशक्तिमान), बिना किसी अतिरिक्त प्रमाण की आवश्यकता के।
एक दिन, एक रोमी सूबेदार ने याहुशुआ से उसके नौकर को चंगा करने के लिए पुछा।
[याहुशुआ] ने उस से कहा; मैं आकर उसे चंगा करूंगा।
सूबेदार ने उत्तर दिया; कि हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए, पर केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूं, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक से कहता हूं, जा, तो वह जाता है; और दूसरे को कि आ, तो वह आता है; और अपने दास से कहता हूं, कि यह कर, तो वह करता है।
यह सुनकर [याहुशुआ] अचम्भा किया, और जो उसके पीछे आ रहे थे उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।. . . . .
और [याहुशुआ] ने सूबेदार से कहा, जा; जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिये हो: और उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया॥ (मत्ती ८: ७-१०;१३ HHBD)
जब सूबेदार याहुशुआ को मदद के लिए पुछा, तो उद्धारकर्ता ने तुरंत जवाब दिया: "मैं आकर उसे चंगा करूँगा।" सूबेदार चौंक गया। उसने सोचा नहीं था कि एक इस्राएली स्वेच्छा से उसके, एक अन्यजाति, के घर में कदम रखेगा। उसने जल्दी से जवाब दिया: "ओह नहीं। इसकी आवश्यकता नहीं है। पर केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।"
याहुशुआ ने कहा, "वही विश्वास है"।
"बिना प्रमाण के भरोसा विश्वास नहीं है, बल्कि बिना आरक्षण के यकीन है।" डी.
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पवित्रशास्त्र याहुवाह का वचन है, उतनी ही निश्चित रूप से जब उसने ब्रह्मांड को अस्तित्व में आने की बात कही थी। जब आप मानते हैं कि याहुवाह के वचन में जो कुछ कहा गया है उसे करने की शक्ति है, और जो उसने कहा उसमें आप विश्वास करना चुनते हैं कि, वह करेगा, तो आप विश्वास का प्रयोग कर रहे हैं। यही याहुवाह के लोगों को किसी भी चीज़ से अधिक आवश्यकता है, जब उन सभी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जो अपने सृष्टिकर्ता का सम्मान उसके सब्बात के दिन आराधना करने को चुनते हैं।
खूबसूरत बात यह है कि, विश्वास याहुवाह के पास से उपहार है! उसने सभी को विश्वास का पर्याप्त मात्रा में दिया है यह यकीन करने के लिए कि यदि वे अधिक मांगेंगे, तो वे अधिक प्राप्त करेंगे। लेकिन, उसे बढ़ने के लिए,
विश्वास को आपके जीवन में वास्तविक होने से पहले परीक्षण किया जाना चाहिए। "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है . . . ."(रोमियो ८:२८; HHBD) ताकि चाहे कुछ भी हो जाए, [याहुवाह] के दूर-दृष्टि की परिवर्तनकारी शक्ति, सिद्ध विश्वास को वास्तविकता में बदल देती है। विश्वास हमेशा व्यक्तिगत रूप से काम करता है, क्योंकि [याहुवाह] का उद्देश्य यह देखना है कि उसके बच्चों में पूर्ण विश्वास वास्तविक हो।२
याहुवाह जानते हैं कि आपको विश्वास की आवश्यकता है। व्यक्तिगत रूप से आपकी देखभाल करने की याह की क्षमता में चट्टान-ठोस विश्वास विकसित करने का एकमात्र तरीका है, ऐसी समस्याओं का सामना करना जो किसी भी मानवीय प्रयास से न सुलझ सकें। यह वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता अगर समस्या नौकरी कि है जिसे आप सब्बात का पालन करने पर खो देंगे, या एक बैंक लोन जो आपकी नौकरी खो जाने पर आपको अपना घर या कार खोना पड़ेगा: यदि समस्या कुछ ऐसी होती जिसे आप संभाल सकते, या जिसे आपका कोई परिचित आपके लिए संभाल सकता है, यह आपका विश्वास का निर्माण नहीं कर सकता।
"विश्वास संभव के दायरे में काम नहीं करता। [याहुवाह] के लिए कोई महिमा नहीं है जिसमें मानव रूप से संभव है। विश्वास वहीं से शुरू होती है जहाँ इन्सान की ताकत खत्म होती है।"
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आज्ञाकारिता के परिणामस्वरूप आपके सामने जो भी समस्याएँ आती हैं, याहुवाह उसके बारे में सब कुछ जानते हैं। प्रत्येक परीक्षण आपके स्वर्गीय पिता पर विश्वास और निर्भरता को विकसित करने के लिए "कस्टम डिज़ाइन" किया गया है जिसे आपको आने वाले कठिन दिनों में जीने के लिए आवश्यक है। याहुवाह की घोषित इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता को रोकने के बजाय एक अच्छा घर खोना और देश में एक साधारण अपार्टमेंट या छोटे घर में रहना बेहतर होगा। केवल सख्त आज्ञाकारिता में रहने वाले ही वादों का दावा कर सकते हैं।
याहुवाह ने हर आपात स्थिति में मदद करने और हर जरूरत को पूरा करने के लिए वादा पहले ही दिया है। जब आपने उसकी प्रकट इच्छा का पालन करने में वह सब किया है जो आप कर सकते हैं, तो आपका हिस्सा भरोसा करना चुनना है क्योंकि वह याहुवाह आपका एलोह है और झूठ नहीं बोल सकता। मानवीय रूप से दुर्गम समस्याओं के बिना, उनके दूर-दृष्टि के अगुआई में रहे बिना आपका विश्वास नहीं बढ़ेगा। आप जिन परीक्षाओं का सामना कर रहे हैं, वे आपको अपने विश्वास का प्रयोग करने का अवसर प्रदान करने के स्पष्ट उद्देश्य के लिए हैं ताकि आपका विश्वास बढ़े! परीक्षण के बिना, विश्वास नहीं बढ़ेगा जिस तरह कि व्यायाम के बिना मांसपेशियां नहीं बढ़ सकतीं।
"यदि हम चाहते हैं कि हमारा विश्वास मजबूत हो, तो हमें उन अवसरों से नहीं हटना चाहिए जहाँ हमारे विश्वास की परीक्षा हो सकती है, और, परीक्षण के माध्यम से, मजबूत किया जा सकता है।"
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क्योंकि हर व्यक्ति की परिस्थिति विशिष्ट है, ऐसी कोई सलाह नहीं है जिसे हर व्यक्तिगत परिस्थिति में लागू किया जा सकता है। एक कारण है कि आपकी परेशानियाँ आपकी क्षमता या उपलब्ध संसाधनों से परे हैं। याहुवाह का इरादा यह नहीं है कि मनुष्य वह सहायता प्रदान करे जो वह प्रदान करना चाहता है। याहुवाह किसी भी व्यक्ति या संस्था को सक्षम नहीं करता है, जैसे कि WLC, याह के बच्चों के सामने आने वाली हर समस्या के लिए उत्तर और धन प्रदान करने में सक्षम नहीं करता है। आपकी समस्याओं को याह में विश्वास विकसित करने में आपकी मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, न कि अपने दोस्तों के ज्ञान या दूसरों के संसाधनों पर निर्भर होने।
जिन परीक्षाओं का आप सामना करते हैं, वे आपके द्वारा अब तक सामना की गई किसी भी परीक्षा से अधिक भयानक हो सकती हैं; खतरे, बहुत वास्तविक। इन सब में, आपका सबसे सुरक्षित मार्ग आज्ञाकारिता और विश्वास है। हर परीक्षा में याहुवाह की दया का उद्देश्य आपको उनके करीब लाना है।
क्योंकि [याहुवाह] मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता, चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है; क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है। (विलापगीत ३:३१-३३; HHBD)
याह आपका कर्ज मिटा सकते हैं। वह आपके बटुए में पैसा बना सकते हैं। लेकिन इससे विश्वास नहीं बढ़ेगा और विश्वास आपकी सबसे बड़ी जरूरत है। जब दिव्य मार्गदर्शन और हस्तक्षेप से मानवीय रूप से दुर्गम समस्या का समाधान हो जाता है, तभी विश्वास बढ़ता है।
सबसे कठिन समस्याएं वे हैं जो हमें लगता है कि हमने नासमझी निर्णयों के द्वारा से अपने आप पर लाया है:
- हमें इतना बड़ा महंगा घर का निर्माण नहीं करना चाहिए था।
- मुझे वो कर्ज नहीं लेना चाहिए था।
- हमें नई कार नहीं खरीदना चाहिए था बल्कि पुरानी वाली को ठीक करवाना था।
- क्यों मैं इतने सारे एज्यूकेशन ऋण (पढ़ाई के लिए ऋण) लिए?
जब किसी व्यक्ति ने कागजात पर हस्ताक्षर किए हैं और चुकाने का वादा किया है, तो दायित्व की भावना रहती है कि यदि आप अपना वचन नहीं रख पाते हैं, तो आप सृष्टिकर्ता का अपमान कर रहे हैं। किसी को भी याहुवाह के प्रेमपूर्ण नेतृत्व में विश्वास नहीं खोना चाहिए यदि वे अपनी नौकरी खो देते हैं और ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं। "सुनो, याहुवाह का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके।" (यशायाह ५९:१; HHBD) हमें तब भी उसका अनुसरण करना और उनका पालन करना चाहिए, जब हम उनके अगुआई के कारणों को नहीं समझते हैं।
जिन अनुभवों को हम सबसे अधिक कठिन पाते हैं, वे हमारे स्वभाव को परिष्कृत करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह बहुत ही संभव है कि याहुवाह को अय्यूब की तरह एक गवाह की आवश्यकता हो, जो परिस्थितियों की परवाह किए बिना विश्वासयोग्य और भरोसेमंद रहेगा। यह हो सकता है कि दूसरों की आत्माओं को बचाने के लिए आपको अंधेरे घाटियों के माध्यम से गुजरना पड रहा है।
यहां तक कि जब हम खुद को कठिनाइयों और उलझानों में डाल चुके हैं, जिसमें हमें शामिल करना याह की इच्छा नहीं थी, तब भी हम पिता के पास आ सकते हैं और पुत्र के नाम से प्रार्थना कर सकते हैं कि वह हमें एक मार्ग दिखाने के लिए ज्ञान दें जो कि पालन करने के लिए सुरक्षित है।
याहुवाह उन सभी को ज्ञान देने का वादा किया है जो उनसे माँगते हैं।
पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो ऐलोआह से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी। पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे [याहुवाह] से कुछ मिलेगा। वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥ (याकूब १:५-८; HHBD)
याहुवाह हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर जैसे हम चाहते हैं वैसे देने के लिए बहुत ज्ञानी हैं। यह संभव है कि दिवालियापन से गुजरने की परीक्षा, नौकरी, घर या यहाँ तक कि किसी की प्रतिष्ठा का नुकसान ही एकमात्र ऐसी हो सकता है जिसे अनंत ज्ञान जानता है कि यही एक व्यक्ति को याहुवाह पर पूर्ण निर्भरता में लाएगा। यदि आपका अनुभव ऐसा है, तो विश्वास करना और पालन करना जारी रखें, यह जानते हुए कि याहुवाह कोमल दिल और प्रेम करने वाला पिता है।
वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा,
वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा
और दूध पिलानेवालियों को धीरे धीरे ले चलेगा॥
(यशायाह ४०:११; HHBD)
"विश्वास [याहुवाह] के स्वभाव में जानबूझकर किया गया भरोसा है जिसके तरीके आप उस समय नहीं समझ सकते हैं।"
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हर स्थिति में याहुवाह पर भरोसा करना सुरक्षित है, यह जानते हुए कि वह हमेशा अगुवाई करेगा जैसा कि हम अपने लिए चुनेंगे यदि हम भविष्य को देख सकते हैं जैसा वह देखते हैं, और वो शानदार योजना जो याह हमारे जीवन में काम कर रहा है।
सर्वशक्तिमान की शक्ति उनके द्वारा किए गए हर वादे का समर्थन करती है। इस प्रकार, आज्ञाकारिता प्रदान करने से इनकार करने का कोई बहाना नहीं है - भले ही सत्य की आज्ञाकारिता आपको अपनी नौकरी, अपने घर, अपनी कार, आपकी प्रतिष्ठा, आपकी शादी या यहाँ तक कि आपके जीवन को खोना पड़े।
क्या आपको प्रलोभन का सामना कर रहे हैं? वह आपको छुडाएगा। क्या आप कमज़ोर हैं? वह आपको मज़बूत करेगा। क्या आप अज्ञानी है? वह आपको ज्ञान देगा। क्या आप घायल हुए हैं? वह आपको चंगा करेगा। याहुवाह "तारों को गिनता" है, और फिर भी, "वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।" (भजन संहिता १४७: ३-४; HHBD)। उनका न्योता है, "मेरे पास आओ"। जो कुछ भी तुम्हारी चिंताएं और परीक्षण हैं, अपने बात या दर्द को [उसके] सामने रखें। आपकी आत्मा धीरज के लिए तैयार रहेगी। शर्मिंदगी और कठिनाई से खुद को अलग करने का रास्ता आपके लिए खुल जाएगा। आप अपने आप को जितना कमजोर और असहाय जानते हैं, आप उसकी ताकत में उतने ही मजबूत होते जाएंगे। आपके बोझ जितने भारी होंगे, बोझ उठाने वाले [याहुशुआ] पर डालने में उतना ही आशीर्वाद मिलेगा। शांति जो [उद्धारकर्ता] प्रदान करता है वह शर्तों पर निर्भर है, लेकिन ये शर्तें स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट हैं। वे ऐसे हैं जिनका पालन सभी कर सकते हैं। वह हमें बताता है कि उनका विश्राम कैसे पाया जाकता है।३
"विश्वास धुंधले भविष्य में लंबे और दूर तक यकीन करने की क्षमता नहीं है। यह बस [याहुवाह] को उनके वचन पर लेना है और अगला कदम उठाना है"
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जो लोग सब बातों में याहुवाह का पालन करते हैं उन्हें हर उस वादे का दावा करने का अधिकार है जो अनंत प्रेम ने दिया है। सिर्फ और सिर्फ आपके ये प्रश्न होना चाहिए, याहुवाह की आज्ञा क्या है? और उनका वादा क्या है? इन्हें जानकर आप आज्ञा को मानेंगे और वादे पर भरोसा करेंगे।
• ऋण के बारे में पुनःबातचीत के लिए पुछने से न डरें। याह शायद वहाँ आपकी मदद करेंगे।
• कोई दूसरी पार्ट-टाइम नौकरी को तलाशने में घमंड न करें।
•अपने घर को छोटा करने, बेचने और एक छोटे से घर से संतुष्ट होने के लिए अनुच्छिक न रहें जिसका ऋण आसान से भुगतान किया जा सकता है या किराए पर रहना पड़ें। अगर कोई खरीदने नहीं आ रहा, याहुवाह आपको खरीददार भेज सकते हैं।
• जब हर जगह बेरोजगारी की समस्या है और कहीं नौकरी नहीं मिल रही, याहुवाह आपके लिए परिस्थितियों को प्रबंध कर सकते हैं।
याहुवाह व्यक्तिगत समस्याओं को अनुमति देता है ताकि उनके द्वारा व्यक्तिगत विश्वास का निर्मान हो सके। यह एक ऐसी समस्या होनी चाहिए जो आपको संभालने के लिए बहुत बड़ी हो क्योंकि वही आपको जवाब के लिए याह के पास ले जाती है। जैसे ही विश्वास और प्रार्थना से उत्तर मिलता है, वैसे ही आपका विश्वास भी बढ़ेगा। हर परीक्षा और क्लेश में, प्रार्थना का निमंत्रण देखें।
आज्ञाकारिता के मार्ग पर चलने में आपके सामने आने वाली हर समस्या के लिए पवित्रशास्त्र ने समाधान प्रदान किया है: "सदा आनन्दित रहो। निरन्तर प्रार्थना मे लगे रहो। हर बात में धन्यवाद करो।" (१ थिस्सलुनीकियों ५:१६-१८; HHBD) सबसे कड़वी, कठोर परीक्षा, यदि नम्रता और विश्वास में स्वीकार किया जाता है, तो यह अपने साथ एक शांतिपूर्ण आश्वासन लाएगा की याह देखता है, सुनता है और आपके शाश्वत अच्छे के लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करने के लिए काम कर रहे हैं।
चार्ल्स स्पर्जन (१८३४-१८९२) ने अपने जीवनकाल में १०,०००,००० से भी अधिक लोगों को उपदेश किया और उनसे सर्वशक्तिमान के वचन पर भरोसा करने का आग्रह किया। |
चार्ल्स स्पर्जन, जो एक जाने-माने उपदेशक थे, ने लिखा:
लोगों ने जो [याहुवाह] से चीजों की माँग की, उसे पा लिए; जो याह के सिंहासन के पास गए थे, उन्हें वादा दिया गया। और वे लोग जो उस वादे को दावा किए, कहे कि सिंहासन के पास से बिना उस वादे को पुरा हुए वे नहीं हटेंगे;वे [याहुवाह] के सिंहासन के पास से विजयी होकर लौट आए; क्योंकि प्रार्थना वो बाहु को हिलाता जो विश्व को हिलाता है। "प्रार्थना [याह] के बाहु को हिलाता है" और यह सच है। वास्तव में, प्रार्थना में, विश्वास के हृदय की शक्ति के साथ, इन शब्दों की एक सुंदर पूर्ति होती है, "वह मुझ में शक्ति डालेगा।" . . . जाओ, मसीही, क्योंकि यह तुम्हारा वादा है, "वह मुझ में शक्ति डालेगा।"
"भले ही मैं कमज़ोर हूँ, फिर भी उसके बल से,
मैं सब कुछ कर सकता (सकती) हूँ"४
कोई इन्सान के पास आपके सारे प्रश्नों के जवाब नहीं है। WLC के पास आपके सारे समस्यायों का हल नहीं है। यह आपका विशेषाधिकार है की आप विश्वास के साथ चलें और देखें की याहुवाह आपके समस्यायों का समाधान कैसे करेगा। दुश्मन के सभी हमलों के खिलाफ प्रार्थना आपकी रक्षा का हथियार है।
[याहुवाह] कहते हैं, संकट के दिन मुझे पुकार;" (भजन संहिता ५०:१५; HHBD) वह हमें अपनी उलझनों और जरूरतों को, और ईश्वरीय सहायता की हमारी आवश्यकता को उसके सामने प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित करते हैं। प्रार्थना करने में तुरंत रहने के लिए याहुवाह बोलते हैं। जैसे ही कठिनाइयाँ आती हैं, हमें याह को अपनी ईमानदार, गंभीर याचिकाएँ देनी चाहिए। हमारी प्रार्थनाओं के द्वारा हम [एलोहीम] में अपने दृढ़ विश्वास का प्रमाण देते हैं। हमारी आवश्यकता की भावना हमें ईमानदारी से प्रार्थना करने के लिए प्रेरित करती है, और हमारे स्वर्गीय पिता हमारी प्रार्थनाओं से प्रभावित होते हैं।
अक्सर वे लोग जो अपने विश्वास के लिए निन्दा या उत्पीड़न सहते हैं, यह सोच में पड़ते हैं कि [याहुवाह] उनका साथ छोड़ दिए। लोगों के नजर में वे अल्पमत में हैं। बाहरी रूप से ऐसा लगता है कि उनके शत्रु उन पर विजय प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन वे अपने विवेक का उल्लंघन न करें। जिसने उनके पक्ष में दु:ख उठाया, और उनके कष्ट और क्लेशों को सहा है, वह उन्हें नहीं छोड़ा।
[याह] के बच्चे अकेले और निराश्रय नहीं हैं। प्रार्थना सर्वशक्तिमान की बाहु को हिलाती है. . . .
यदि हम अपना जीवन उनकी सेवा में समर्पित कर देते हैं, तो हमें कभी भी ऐसी स्थिति में नहीं रखा जा सकता जिसके लिए [याहुवाह] ने प्रावधान नहीं किया है। हमारी स्थिति जो भी हो, हमारे पास रास्ता निर्देशित करने के लिए एक मार्गदर्शक है; हमारी जो भी उलझनें हों, हमारे पास एक पक्का सलाहकार है; हमारा दुःख, शोक, या अकेलापन कुछ भी हो, हमारा एक हमदर्द मित्र है। यदि हमारे अज्ञान में हम गलत कदम उठाते हैं, [याहुशुआ] हमें नहीं छोड़ता। उनका आवाज़, स्पष्ट और विशेष, यह कहता सुनाई पडता है: "मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं;" (यूहन्ना १४:६; HHBD) "क्योंकि वह दोहाई देने वाले दरिद्र को, और दु:खी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा।" (भजन संहिता ७२:१२; HHBD)।
[याहुवाह] घोषणा करते हैं कि जो लोग उसके निकट आते हैं, जो ईमानदारी से उसकी सेवा करते हैं, उनके द्वारा वह सम्मानित किया जाएगा। "जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।" (यशायाह २६:३; HHBD) हमें आगे और आगे ले जाने के लिए सर्वशक्तिमान के बाँहें फैली हुई है। आगे बढ़ो, [उद्धारकर्ता] कहते हैं; मैं आपको मदद भेजूंगा। यह मेरे नाम की महिमा के लिए है जो तुम माँगते हो, वो तुम पाओगे। मैं उन लोगों के सामने सम्मानित होऊंगा जो आपकी विफलता को देखने कि इंतजार कर रहे हैं। वे मेरे वचन को शानदार रूप से विजयी होते देखेंगे। "और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा॥" (मत्ती २१:२२; HHBD)
सभी जो दु:खी हैं या अन्याय से उनका उयोग किया गया है, वे [याहुवाह] को दोहाई दें। उन लोगों से दूर हो जाएँ जिनके दिल पत्थर जैसे हैं, और अपने अनुरोध अपने सृष्टिकर्ता को बताएँ। कोई भी व्यक्ति कभी भी इन्कार नहीं किया जाएगा जो उनके पास पछताए हुए हृदय से आता है। एक भी सच्ची प्रार्थना नहीं खो जाती। स्वर्ग के गायक मंडली के गीतों के बीच, [याहुवाह] सबसे कमजोर मनुष्य की पुकार को भी सुनता है। हम अपने दिल की इच्छा को अपनी कोठरी में डालते हैं, रास्ते में चलते हुए हम एक प्रार्थना की सांस लेते हैं, और हमारे शब्द ब्रह्मांड के सम्राट के सिंहासन तक पहुंचते हैं। वे किसी भी मानव कान को सुनाई नहीं होते हैं, लेकिन वे खोए नहीं जाते हैं। हर प्रार्थना याहुवाह के पास पहुँचती है। आत्मा की इच्छा को कुछ भी नहीं रोक सकता। लोगों की आवाज़, या रास्ते में गाड़ियों के आवाज़। कुछ भी नहीं रोक सकता और यह इन सब से उपर होकर, स्वर्ग के राज-दर्बार में जा पहुँचता है। हम [याहुवाह] से बात कर रहें हैं, और हमारी हर प्रार्थना सुनी जाती है।
"अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है।"
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जो सबसे अधिक अयोग्य महसूस करते हैं, अपने मामले को [याहुवाह] को सौंपने से न डरें। जब उसने दुनिया के पाप के लिए खुद को [अपने बेटे] में दे दिया, तो उसने हर आत्मा का मामला अपने पर ले लिया। "जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया, वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्यों न देगा?" (रोमियों ८:३२; HINOVBSI)। क्या वह हमारे प्रोत्साहन और शक्ति के लिए दिए गए अनुग्रहपूर्ण वचन को पूरा नहीं करेगा?५
जो व्यक्ति आपको सच्चा सब्बात प्रस्तुत करता है, वह संभवतः वह व्यक्ति नहीं हो सकता जो आज्ञाकारिता को आसान बनाने के लिए आपको विचलित करता है। आज्ञाकारिता, स्वभाव रूपी, कुछ खो देना चाहिए। याहुशुआ ने इस तथ्य को स्वीकार किया जब उन्होंने समझाया: "यदि कोई मेरे पीछे चलना चाहता है तो उसे अपने आप को नकारना होगा और उसे हर दिन अपना क्रूस उठाना होगा। तब वह मेरे पीछे चले।" (लूका ९:२३; HERV)। जो क्रूस सभी को उठाना चाहिए वह आज्ञाकारिता का क्रूस है - और यह एक क्रूस है। क्रूस प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग है - और प्रत्येक व्यक्ति को उनके आध्यात्मिक विकास के जरूरत के अनुसार यह विशिष्ट रूप से तैयार किया गया है।
याहुशुआ ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि स्वर्ग के राज्य को प्राप्त करने के लिए बाकी सब कुछ त्यागने की आवश्यकता होगी। न केवल इसे त्याग देने के लिए चाहें, बल्कि वास्तव में ऐसा करना होगा।
स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर और अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया॥
फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उस ने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया॥ (मत्ती १३:४४-४६; HHBD)
उद्धार एक मुफ्त उपहार है, परन्तु जो कोई भी जानते हुए आज्ञा उल्लंघन करते हैं, वे इसे प्राप्त नहीं करते। क्योंकि सभी को विजयी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है, सभी को कोई बहाना न रहेगा अगर वे खो जाते हैं। लोगों के आज्ञाकारिता के क्रूस को न उठाने का मुख्य कारण घमंड है। उन्हें साधारण आवास से ज्यादा, अपना आरामदायक घर पसंद है। वे प्रतिष्ठा को पसंद करते हैं जो अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी के साथ आती है। यदि वे अपने भुगतान में चूक करते हैं तो वे नौकरी छूटने या घर और कार के संभावित नुकसान की शर्मिंदगी नहीं चाहते हैं।
आप सामना करने वाले मुश्किलों को सुलझाना याहुवाह के लिए बहुत आसान है। उनके साधन असीमित हैं। हालंकि, पापियों को याह में विश्वास विकसित करना कष्ट है। याहुवाह कभी भी आपको उनके वादों पर विश्वास करने के लिए जबरदस्ती नहीं करता। स्वतंत्रता के प्रेमी के रूप में, उस विकल्प को याह आप पर छोड़ देता है। "विश्वास में, उन लोगों के लिए पर्याप्त प्रकाश है जो विश्वास करना चाहते हैं और जो नहीं करते हैं उन्हें अंधा करने के लिए पर्याप्त छाया है।"६
अपने सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता पर भरोसा करने का एक जानबूझकर चुनाव करें। अनन्त जीवन इसके लायक है, भले ही इसके लिए आपको सब कुछ खोना पड़े। हमेशा आनन्दित रहें, हर चीज में धन्यवाद दें, सभी चीजों में प्रार्थना का निमंत्रण देखें। कोई भी पहाड़ इतना बड़ा नहीं है कि याह उसे हिला न सके; कोई भी दूरी उनके लिए बड़ी नहीं की वह पार नहीं कर सकते। वह आपकी प्रार्थनाओं को सुनते हैं और वह उन घटनाओं का आदेश देंगे जो अंत में, आपके लिए सबसे बड़ी आशीष होगी।
"जब आप सभी प्रकाश के अंत पहुँच जाते हैं और आप जानते हैं कि यह अज्ञात के अंधेरे में कदम रखने का समय है, तो विश्वास यह जानना है कि दो चीजों में से एक होगा: या तो आपको खड़े होने के लिए कुछ ठोस चीज़ दिया जाएगा, या आपको कैसे उड़ना सिखाया जाएगा।"
एड टेलर
विश्वास ही विजय है!
“क्योंकि जो कुछ याहुवाह से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है; और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है।” (१ यूहन्ना ५:४; HINOVBSI)
१ "विश्वास" हिन्दी शब्दकोश https://hi.m.wiktionary.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8
२ ऑसवल्ड चेम्बर्स, मै अटमोस्ट फार हीज़ हाइयस्ट।
३ ऐलन ह्वाइट, डीज़ाइर ऑफ ऐजस, पृष्ठ ३२९।
४ स्पर्जन, " विश्वास के विरूद्ध भय"
५ ऐलन ह्वाइट, मसीह का उद्देश्य पाठ, पृष्ठ १७२-१७४।
६ ब्लाइज़ पास्खल