While WLC continues to uphold the observance of the Seventh-Day Sabbath, which is at the heart of Yahuwah's moral law, the 10 Commandments, we no longer believe that the annual feast days are binding upon believers today. Still, though, we humbly encourage all to set time aside to commemorate the yearly feasts with solemnity and joy, and to learn from Yahuwah’s instructions concerning their observance under the Old Covenant. Doing so will surely be a blessing to you and your home, as you study the wonderful types and shadows that point to the exaltation of Messiah Yahushua as the King of Kings, the Lord of Lords, the conquering lion of the tribe of Judah, and the Lamb of Yahuwah that takes away the sins of the world.
World’s Last Chance
Preparing Hearts and Minds for Yahushua's Sudden Return!

Biblical Christian Articles

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सृष्टिकर्ता का कैलेंडर

जो सृष्टिकर्ता के प्रति अपनी निष्ठा दिखाने की इच्छा रखते है, अवश्य ही सृष्टिकर्ता की उपासना उस दिन करना चाहेंगे जो दिन उन्होंने नियुक्त किया है। उपासना के सही दिन का पता लगाने के लिये, सृष्टि के समय स्थापित किया गया चन्द्र-सौर कैलेंडर का उपयोग करना चाहिए।

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मदिरा उपहासक है | क्या मसीहियों को मदिरा पीना चाहिए?

अल्कोहल का सेवन एक ऐसा क्षेत्र है जिसने कुछ लोगों को भ्रमित कर दिया है. क्योंकि बाइबल में बहुत से धर्मी लोग जिन्होंने यहुवाह से प्रेम किया और उसकी सेवा की के मदिरा-पान का वर्णन है, यह प्रश्न पूछा जाता है कि क्या यह ऐसा कुछ है जो यहुवाह के लोग बिना पाप किये कर सकते हैं?  

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शान्ति में विश्राम | मृत्यु के बाद क्या होता है?

मृत्यु प्रत्येक मनुष्य का भाग है, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य ने पाप किया है. सृष्टिकर्ता, जिसके प्रेमी ह्रदय ने कभी यह नहीं चाहा की उसके बच्चे पाप में दुःख झेलें, उसी ने मृत्यु के समय क्या होता है की सभी शंकाओं को दूर कर दिया.

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सब्त भाग ४ – एकाकी उपासना

धर्मशास्त्र लोगों के एक बहुत ही अधिक विशेष समूह को प्रस्तुत करता है जो अपने सृष्टिकर्ता का आदर उसके पवित्र सब्त पर उसकी उपासना द्वारा करते हैं जबकि शेष संसार इसका तिरस्कार करता है.  इस बिंदु पर जल्द से जल्द आज्ञाकारिता पेश की जाती है, तौभी प्रत्येक को अकेला ही खड़ा रहना होता है. चूँकि सातवाँ दिन सब्त की गणना केवल प्राचीन चन्द्र-सौर कैलेन्डर के उपयोग के द्वारा ही की जा सकती है. यह पुरोहितों, पासतरों, दोस्तों और परिवार में एक समान नितांत अलोकप्रिय है.  वे सभी जो सृष्टिकर्ता के सब्त पर उसकी उपासना के दायित्व को अस्वीकार करते हैं, वे उनके विरुद्ध जो आज्ञापालन करते है उठ खड़े होंगे. यह हमेशा ही उनके जो यहुवाह की सेवा करते और नहीं करते के बीच होता है.

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सब्त | भाग २ – शाश्वत और युगानुयुग

सातवाँ दिन सब्त पवित्र व्यवस्था के रूप में सभी लोगों पर बन्धनकारी है. सारी आज्ञाओं में से कोई और आज्ञा प्राय: निर्भयता से नहीं तोड़ी जाती जैसे की चौथी आज्ञा. 

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सब्त भाग १ | याहुवाह का सारगर्भित व्यक्तित्व

याहुवाह की व्यवस्था उसके व्यक्तित्व, उसके अन्तरतम विचारों और भावनाओं की सम्पूर्ण प्रतिलिपी है. याहुवाह की व्यवस्था शाश्वत है. यह सर्वदा बनी रहेगी.

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नये चाँद का दिन : सृष्टिकर्ता का दान

 नये चाँद का दिन याहुवाह का दान है. इन अन्तिम दिनों में विश्वासी इस विशेष दी की पवित्रता को बनाए रखेंगे. धर्मशास्त्र घोषणा करता है कि नये चाँद का दिन छुटकारा पाए हुओं के द्वारा नई पृथ्वी में अनन्तकाल तक मनाया जाएगा. उन सभों के लिये जो उसकी जिसके पास जीवन की परिपूर्णता है सहभागिता चाहते हैं अकथनीय आनन्द बाट जोह रहा है.

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पौलुस, रोमी और सब्त

साधारणतया रोमियों १४ नये नियम के गलत अर्थ लगाये गए अध्यायों में से एक है. पौलुस के शब्दों को यहाँ तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है कि याहुवह के सब्त और पर्ब के दिन अब लागू नहीं है, और यह कि वे किसी भी दिन को, कोई भी दिन जब वे अपने काम से विश्राम करें सृष्टिकर्ता की उपासना कर सकते हैं. फिर भी इस अध्याय के सन्दर्भ का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने पर इस विचार की त्रुटि प्रगट होती है. पौलुस ने हमेशा सातवें दिन सब्त और पर्बों का पालन किया और अपने धर्मान्तरित लोगों को भी यही करने के लिए सिखाया!  

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यहुशुआ की मृत्यु : व्यवस्था का लोप?

धर्मशास्त्र हमेशा यह सिखाता है कि पवित्र व्यवस्था शाश्वत है. इसका पालन स्वर्ग और पृथ्वी दोनों में अनन्तकाल तक निरन्तर चलने वाले चक्र में किया जाना चाहिए. यदि बाइबल का कोई सन्दर्भ यह सिध्द करने के लिये उपयोग किया जावे कि व्यवस्था क्रूस पर चढाई जा चुकी है तो यह शैतान के  झूठ को धर्मग्रन्थ के साथ लपेटना है कि पवित्र व्यवस्था का पालन करने की आवश्यकता नहीं है. इफिसियों २;१५ के स्पष्ट और सही अर्थ को तब ही समझा जा सकता है जब इस सन्दर्भ के पूरे अंश को पढ़ा जाए.  

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उद्धार का रहस्य

कभी कभी उपदेशों में कुछ शब्द और वचन पढ़े या सुने जाते है जो स्पष्ट रूप से समझ में नही आते.  विश्वास के द्वारा धार्मिकता एक ऐसा वचन है जो बहुतायत से प्रयोग किया जाता है पर कम समझा जाता है. उन सभी के लिए जो यहुवह के साथ अनन्त जीवन चाहते है यह अत्यंत आवश्यक है की उनको  विश्वास के द्वारा धार्मिकता क्या है इसकी स्पष्ट तथा ठीक ठीक जानकारी हो क्योकि केवल यही एक मार्ग है जिससे उद्धार पाया जा सकता है.  

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