मिस प्रिया चिंतित थी। अरुणा को घर ले जाने कोई नहीं आया था। उसकी माँ कहाँ थी? अपने दिमाग से सबसे खराब स्थिति के खायाल को पीछे धकेलते हुए, उसने नन्ही अरुणा के लिए शांत रहने की कोशिश की जैसे मिनट, घंटों में बदल गए। लेकिन छोटी अरुणा के पास विश्वास, भरोसा और धैर्य के बारे में मिस प्रिया को सिखाने के लिए एक बड़ा सबक था। पता करें कि यह क्या था!
याहुवाह के पास आने के लिए आपको तब तक इंतजार करने कि जरूरत नहीं है जब आप पाप करना छोड़ दिया हो। अब ही आ जाइए। आप जैसे हैं वैसे ही, क्योंकि वह पापियों को स्वीकार करता है!
सच में, याहुशुआ को उनके उपदेशों से अलग करना यह शैतान का प्रथम उद्देश्य है। हमें हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए, हमेशा पवित्रशास्त्र से तुलना करते रहना कि जो हमें सिखाया जा रहा वह सच है या नहीं!
उद्धार एक उपहार है, लेकिन उस उपहार को प्रत्येक व्यक्ति अपने लिए स्वीकार करना होगा। कोई भी व्यक्ति किसी और के लिए उद्धार स्वीकार नहीं कर सकता!
याहुवाह के अनंत ज्ञान और असीम प्रेम ने एक योजना बनाई जिससे पापी मनुष्य को दिव्य कृपा में बहाल किया जा सके। इस योजना ने मानव जाति को शैतान के नियंत्रण से, और कानूनी छुडौती से भी कहीं ज्यादा ऊँचा उठाया। यह मानव आत्मा के अंदर दिव्य चरित्र की बहाली भी कहलायी जाता है। और यह वही काम है जिसे याहुशुआ अभी भी करने में लगा हुआ है।
यहुवाह की धार्मिकता कैसे प्राप्त करें: सुसमाचार के संदेश की एक बाईबल आधारित जाँच। और जो इसका सच्चा अर्थ होता है “विश्वास से चलना”।
मृत्यु प्रत्येक मनुष्य का भाग है, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य ने पाप किया है. सृष्टिकर्ता, जिसके प्रेमी ह्रदय ने कभी यह नहीं चाहा की उसके बच्चे पाप में दुःख झेलें, उसी ने मृत्यु के समय क्या होता है की सभी शंकाओं को दूर कर दिया.
धर्मशास्त्र लोगों के एक बहुत ही अधिक विशेष समूह को प्रस्तुत करता है जो अपने सृष्टिकर्ता का आदर उसके पवित्र सब्त पर उसकी उपासना द्वारा करते हैं जबकि शेष संसार इसका तिरस्कार करता है. इस बिंदु पर जल्द से जल्द आज्ञाकारिता पेश की जाती है, तौभी प्रत्येक को अकेला ही खड़ा रहना होता है. चूँकि सातवाँ दिन सब्त की गणना केवल प्राचीन चन्द्र-सौर कैलेन्डर के उपयोग के द्वारा ही की जा सकती है. यह पुरोहितों, पासतरों, दोस्तों और परिवार में एक समान नितांत अलोकप्रिय है. वे सभी जो सृष्टिकर्ता के सब्त पर उसकी उपासना के दायित्व को अस्वीकार करते हैं, वे उनके विरुद्ध जो आज्ञापालन करते है उठ खड़े होंगे. यह हमेशा ही उनके जो यहुवाह की सेवा करते और नहीं करते के बीच होता है.
सातवाँ दिन सब्त पवित्र व्यवस्था के रूप में सभी लोगों पर बन्धनकारी है. सारी आज्ञाओं में से कोई और आज्ञा प्राय: निर्भयता से नहीं तोड़ी जाती जैसे की चौथी आज्ञा.
याहुवाह की व्यवस्था उसके व्यक्तित्व, उसके अन्तरतम विचारों और भावनाओं की सम्पूर्ण प्रतिलिपी है. याहुवाह की व्यवस्था शाश्वत है. यह सर्वदा बनी रहेगी.
कभी कभी उपदेशों में कुछ शब्द और वचन पढ़े या सुने जाते है जो स्पष्ट रूप से समझ में नही आते. विश्वास के द्वारा धार्मिकता एक ऐसा वचन है जो बहुतायत से प्रयोग किया जाता है पर कम समझा जाता है. उन सभी के लिए जो यहुवह के साथ अनन्त जीवन चाहते है यह अत्यंत आवश्यक है की उनको विश्वास के द्वारा धार्मिकता क्या है इसकी स्पष्ट तथा ठीक ठीक जानकारी हो क्योकि केवल यही एक मार्ग है जिससे उद्धार पाया जा सकता है.